हाईवे पर अवैध दौड़ के लिए जबरन इस्तेमाल किए जाने वाले छह घोड़ों की अंतरिम हिरासत PETA इंडिया को सौंपी गई।
ठाणे के 9वीं ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) कोर्ट द्वारा हाल की अदालती कार्यवाही के बाद, हाईवे पर अवैध दौड़ के लिए जबरन इस्तेमाल किए जा रहे छह घोड़ों की अंतरिम हिरासत PETA इंडिया को सौंप दी गई है।
काशीगांव पुलिस स्टेशन द्वारा FIR दर्ज करने और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 291, 281, 125 और 3(5) और पशु क्रूरता निवारण (PCA), 1960 की धारा 11(1)(A) और 11(1)(I) के तहत घोड़ों को जब्त करने के बाद PETA इंडिया ने 8 अक्टूबर को इन छह घोड़ों की अंतरिम हिरासत की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी। कोर्ट ने, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत अधिसूचित ‘पशु क्रूरता निवारण (केस विषयक पशुओं की देखरेख और भरणपोषण) नियम, 2017’ के अनुसार फैसला सुनाते हुए, PETA इंडिया के आवेदन को स्वीकार कर उन्हें पशुओं की अंतरिम हिरासत सौंप दी है और इन घोड़ों के पुराने मालिकों द्वारा दायर याचिका को ख़ारिज़ कर दिया।
PETA इंडिया ने अपनी याचिका में उल्लेखित किया कि ‘प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) नियम, 2001’ और ‘प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) संशोधन नियम, 2001’ के अंतर्गत, किसी भी पशु का भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) के पास पंजीकरण कराए बगैर प्रशिक्षण, प्रदर्शन या करतब हेतु प्रयोग पूरी तरह से गैर-कानूनी है। इस प्रकार की पशु दौड़ों का आयोजन ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ और ‘पशु परिवहन (संशोधन) नियम, 2001’ का भी उल्लंघन है। इसके अलावा, समूह ने वर्ष 2016 के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें AWBI द्वारा प्रस्तुत एक अध्ययन रिपोर्ट के परिणामस्वरूप राज्य में तांगा दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि घोड़ों को भारी यातायात के बीच दौड़ने के लिए मज़बूत करना क्रूरता है क्योंकि इस दौरान उन्हें अत्यधिक मानसिक तनाव एवं पीड़ा सहनी पड़ती है, जिसमें हाईवे पर आयोजित होने वाली अवैध दौड़ भी शामिल हैं। PETA इंडिया ने अपनी याचिका में ‘पशु क्रूरता निवारण (केस विषयक पशुओं की देखरेख और भरणपोषण) नियम, 2017’ के नियम 3 (B) का भी उल्लेख किया जिसके अंतर्गत जिला मजिस्ट्रेट को किसी बचाए गए पशु की हिरासत एक पशु अधिकार संगठन को सौंपने का अधिकार प्रदान किया गया है। इसके साथ-साथ हमने माननीय सर्वोच्च न्यायालय, विभिन्न उच्च न्यायालयों और ट्रायल कोर्टों के कई उदाहरणों को भी कोर्ट के सामने पेश किया गया, जिनमें पशुओं के साथ होने वाले शोषण को तात्कालिक रूप से रोकने के लिए संबंधित पशुओं की अंतरिम हिरासत को पशु कल्याण संगठनों को सौंपा गया।
पशु क्रूरता के खिलाफ़ कुछ जरूरी कदम