डेयरी मौत का सबब है : PETA इंडिया द्वारा विश्व वीगन माह के उपलक्ष्य में चलाये गए अभियान में मृत बछड़ा उपभोक्ताओं को जागरूक कर रहा है।
“क्योंकि आप डेयरी उत्पादों का सेवन करते हैं, इसलिए नर बछड़े मारे जाते हैं।” यह वो संदेश है जिसे PETA इंडिया के सौजन्य से विश्व वीगन माह (नवंबर) के अवसर पर दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई में लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। बिलबोर्ड PETA इंडिया के राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है, जो डेयरी दूध उत्पादन के पीछे छिपी पीड़ा पर ध्यान आकर्षित करता है और दर्शकों से वीगन जीवनशैली अपनाकर गाय, भैंस और उनके बछड़ों को शांति से जीने का आग्रह करता है। (वीगन जीवनशैली का अर्थ है की आप पशुओं से प्राप्त होने वाले किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करते)।
भारत में, गोमांस उद्योग काफी हद इसीलिए फलफूल रहा है क्योंकि डेयरी उद्योग से इनको मारने के लिए पशुओं के सप्लाई की जाती है। भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गोमांस निर्यातक है हालांकि भारत में गाय मांस का निर्यात अवैध है, लेकिन निर्यात के भैंस के मांस के बीच में गाय मांस को मिलाने की खबरें सामने आई हैं। आज, डेयरी के लिए उपयोग की जाने वाली गायों और भैंसों को फैक्ट्री फार्म के माहौल में पाला जा रहा है और कृत्रिम रूप से गर्भाधान किया जाता है – यानी एक तरह से उनका बलात्कार किया जाता है। इसके लिए एक कार्यकर्ता मवेशी के मलाशय में हाथ डालकर बैल के वीर्य वाली एक धातु की छड़ी को उसकी योनि में डाल देता है।
पशुओं को भारी पीड़ा से बचाने के अलावा, वीगन जीवनशैली अपनाने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने भोजन से संबंधित होने वाले कार्बन फुटप्रिंट को 73% तक कम कर देता है और कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों से पीड़ित होने का खतरा कम हो जाता है।
PETA इंडिया का कहना है कि गाय और भैंसे अपने बच्चों के प्रति समर्पित माताएं होती हैं। उत्तर कन्नड़ में, एक बस कि चपेट में आने से एक बछड़े की मौत हो गयी तो उस बछड़े की माँ ने कम से कम अगले चार साल तक हर दिन उस बस को रोकने का प्रयास किया। उसने कभी भी किसी अन्य वाहन को रोकने की कोशिश नहीं की और ड्राइवर द्वारा बस का रंग बदलने के बाद भी उसने यह क्रम जारी रखा।
दयालुता का चुनाव करें, वीगन जीवनशैली अपनाएं