‘अंतर्राष्ट्रीय मांस-मुक्त दिवस’ से पहले एक इंसान को जलती आग पर भूनने का डेमो प्रदर्शन

Posted on by Shreya Manocha

‘अंतर्राष्ट्रीय मांस-मुक्त दिवस’ से पहले, कोलकाता में PETA इंडिया की एक समर्थक ने प्रतिकात्मक ढंग से स्वयं को भूनकर दिखाने का डेमो प्रदर्शन किया। उनके द्वारा आग पर भूनने का दृश्य दिखाते हुए यह संदेश दिया गया कि सभी पशु मांस, खून और हड्डी से बने होते हैं और यह सब भी इंसानों की तरह दर्द एवं अन्य भावनाओं का एहसास कर सकते हैं। साथ ही, पशुओं के मांस का सेवन करने का अर्थ है ऐसे संवेदनशील प्राणियों के मृत शरीरों को खाना जो अपना जीवन को महत्व देते हैं और इस इंसान की तरह महज़ किसी के भोजन के लिए मरना नहीं चाहते।

 वीगन जीवनशैली को अपनाकर पशुओं को व्यापक क्रूरता से बचाया जा सकता है। वर्तमान में, मांस, अंडा और डेयरी उद्योग में पशुओं को बड़े-बड़े पशुपालन केंद्रों में गंभीर कैद में रखकर पाला जाता है। जिंदा मुर्गियों के गले चीरे जाते हैं, गायों और बैलों को जबरन उनके बच्चों से अलग किया जाता है,  सूअर के बच्चों को बिना दर्द निवारक दवा दिए बिना उनकी नसबंदी कर दी जाती है, और एक-एक सांस के लिए संघर्ष करती हुई मछलियों को सरेआम काट दिया जाता है। इसके अलावा, मांस और अन्य पशु-व्युत्पन्न खाद्य पदार्थ के सेवन को हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, कैंसर और मोटापे जैसी गंभीर बीमारियों से जोड़कर देखा गया है, जबकि भोजन के लिए पशुओं को पालना और मारना SARS, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, इबोला, HIV और संभवतः कोविड-19 सहित कई जूनोटिक रोगों से जुड़ा हुआ है। भोजन के लिए पशुओं का पालन जल प्रदूषण और भूमि क्षरण का एक प्रमुख कारण है एवं संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि जलवायु आपदा के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन जीवनशैली की ओर एक वैश्विक बदलाव आवश्यक है।

पशुओं को अपना भोजन न बनाएं, वीगन जीवनशैली का चुनाव करें!