PETA इंडिया और CUPA के समर्थन से कोलार में पहली बार श्री मध नागालपुरा वीर सिम्हासन मठ द्वारा यांत्रिक हाथी के साथ यात्रा निकाली गयी
तुमकुर जिले के येदियुर श्री सिद्दलिंगेश्वर स्वामी मंदिर के निरंजना नामक यांत्रिक हाथी से प्रेरित होकर, कोलार में पहली बार श्री मध नागालपुरा वीर सिम्हासन मठ द्वारा एक यांत्रिक हाथी के साथ यात्रा निकालने का दयालु कदम उठाया गया। मठ को अपने इस निर्णय में, PETA इंडिया और कंपैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन (CUPA) नामक दो NGOs का समर्थन प्राप्त हुआ। पूर्व में, इस मठ द्वारा कुछ विशेष त्योहारों के लिए जीवित हाथियों को किराए पर लिया जाता था और अब इस मठ द्वारा कभी भी किसी जीवित हाथी को किराए पर न लेने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।
मठ के वार्षिक उत्सव में इस यांत्रिक हाथी को प्रदक्षिणम (यात्रा) के लिए लाया गया और इस उत्सव में श्री मध नागालपुरा वीर सिम्हासन मठ के प्रमुख स्वामीजी, पुजारी, भक्त, अनुयायी और CUPA एवं PETA इंडिया के कुछ सदस्य भी शामिल हुए। इस यात्रा में कर्नाटक और तमिलनाडु के कई श्रद्धालु शामिल हुए।
श्री मद नागालपुरा वीर सिंहासन मठ के मुख्य स्वामीजी, श्री तेजेशलिंग शिवाचार्य स्वामीगलु ने भी इस यात्रा में भाग लिया और अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “पहले हम जीवित हाथियों को किराए पर लेते थे, लेकिन अब इसकी कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि हमारे पास यांत्रिक हाथी जैसा दयालु विकल्प उपलब्ध है। यांत्रिक हाथियों का उपयोग मनुष्यों को पशु हमले से सुरक्षित रखता है और असली हाथियों को अपने परिवारों के साथ जंगलों में रहने का अवसर देता है।“
CUPA की मानद सचिव और ट्रस्टी, श्रीमती सनोबर भरूचा ने कहा, “CUPA को PETA इंडिया के साथ काम करके बहुत खुशी हो रही है और हमारी इस दयालु पहल से हाथी प्रभु इच्छा अनुसार, अपने प्राकृतिक घरों यानी जंगलों में अपना आगे का जीवन व्यतीत कर पाएंगे। हम इस यात्रा का आयोजन करने के लिए और अन्य मंदिरों हेतु एक दयालु उदहारण पेश करने के लिए, श्री मद नागालपुरा वीर सिम्हासन मठ का अत्यंत आभार प्रकट करते हैं।“
हाथी जंगल में रहने वाले बेहद समझदार, सक्रिय और मिलनसार पशु होते हैं। प्रदर्शनों हेतु उपयोग करने के लिए इन कैदी पशुओं का मानसिक मनोबल मार-पीटकर और विभिन्न प्रकार की यातनाएँ देकर पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाता है । मंदिरों और अन्य स्थानों पर बंदी बनाकर रखे गए हाथियों को जंजीरों से जकड़कर घंटों तक कंक्रीट की ज़मीन पर खड़े रहने के लिए बाध्य किया जाता है जिस कारण उन्हें पैरों के दर्दनाक घावों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें से अधिकांश पशुओं को पर्याप्त भोजन, पानी, पशु चिकित्सकीय देखभाल और प्राकृतिक परिवेश से वंचित रखा जाता है। इस प्रकार की दयनीय परिस्थितियों के चलते कई हाथी अत्यधिक निराशा का सामना करते हैं और हमला करके अपने महावत या आसपास के लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं। ‘हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स’ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, केरल में बंधी हाथियों ने पिछले 15 साल की अवधि में 526 लोगों की जान ली है। केरल में विशेष अवसरों पर सबसे ज़्यादा उपयोग होने वाले थेचिक्कोट्टुकावु रामचंद्रन नामक लगभग 40 वर्षों से बंधक हाथी ने कथित तौर पर 13 जनों को मौत के घाट उतारा है जिसमें छह महावत, चार महिलाएं और तीन अन्य हाथी शामिल हैं।
PETA इंडिया ने वर्ष 2023 की शुरुआत में अभिनेत्री पार्वती थिरुवोथु की मदद से केरल के त्रिशूर में इरिन्जादपिल्ली श्री कृष्ण मंदिर को एक यांत्रिक हाथी दान में देकर मंदिरों में जीवित हाथियों को यांत्रिक हाथियों से बदलने की एक दयालु आंदोलन की शुरुआत करी थी। अब, दक्षिण भारत के मंदिरों में कम से कम दस यांत्रिक हाथियों का उपयोग किया जाता है, जिनमें से कुल छह हाथियों को PETA इंडिया द्वारा दान में दिया गया है। इन हाथियों की लंबाई कुल 3 मीटर और वजन कुल 800 किलोग्राम होता है। यह रबर, फाइबर, मेटल, जाल, फोम और स्टील से बने होते हैं और पाँच मोटरों की मदद से काम करते हैं। यह सभी हाथी बिल्कुल किसी असली हाथी की तरह दिखते हैं और इनका उपयोग भी उसी रूप में किया जाता है। यह अपना सिर, कान और आँख हिला सकते हैं, अपनी पूंछ घुमा सकते है, अपनी सूंड उठा सकते है और यहां तक कि भक्तों पर पानी भी छिड़क सकते है। इन हाथियों की सवारी भी करी जा सकती है और इन्हें केवल प्लग लगाकर एवं बिजली से संचालित किया जा सकता है। इन्हें सड़कों के माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है और इनके नीचे एक व्हीलबेस लगा होता है जिसके जरिये इन्हें अनुष्ठानों और जुलूसों के लिए एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाया जाता है।
श्री मद नागालपुरा वीर सिंहासन मठ एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल और भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित मंदिर है। प्रकृति के बीच स्थित यह मंदिर अपने शांत और आध्यात्मिक वातावरण के कारण हर साल सैकड़ों पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मंदिर में प्रतिदिन रुद्राभिषेक होता है, जो इसे आध्यात्मिक और संस्कृति में रुचि रखने वाले लोगों के लिए और महत्वपूर्ण बना देता है।
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