PETA इंडिया इसे हाथियों का वर्ष मानता हैं।

चीन में, 2024 ड्रैगन का वर्ष था, लेकिन PETA इंडिया में, यह हाथी का वर्ष था!

एक दर्जन से अधिक मशहूर हस्तियों ने हाथियों को प्रदर्शनों में इस्तेमाल होने से बचाने के लिए सरकार को भेजी जाने वाली हमारी अपील पर हस्ताक्षर किए। PETA इंडिया ने, आमेर किले में, कैद और दुर्व्यवहार से हताश होकर हिंसक रूप धारण करने वाले घायल हाथियों के वीडियो फुटेज को जारी किया। हमने राजस्थान के पर्यटन मंत्री को पत्र लिखकर इन हाथियों के पुनर्वास की मांग की। और एक गहन अभियान के बाद, प्रताड़ित हथिनी मालती को आमेर किले से एक अभयारण्य में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वह अब बाकी का जीवन बचाए गए अन्य हाथियों के साथ बिता रही है।

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और, PETA इंडिया की सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने सिफारिश की कि 55 वर्षीय बंदी हथिनी, प्रतिमा और उसके बच्चे, जिन्हें अवैध रूप से रखा जा रहा था और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था, को भी एक अभयारण्य में स्थानांतरित कर दिया जाए। और उन्हें भी बचा लिया गया!

यह आशा करते हुए कि एक दिन सभी असली हाथी गुलामी से आजाद होकर और दुखद जीवन से मुक्त होकर अपने प्राकृतिक आवास में परिवारों के साथ खुशी से रहें सकेंगे, आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए, PETA इंडिया ने यांत्रिक हाथी बनाने का अभियान शुरू किया, इस वर्ष, PETA इंडिया ने संयुक्ता हॉर्नड और कम्पैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन के साथ मिलकर, कर्नाटक के येदियुर में सरकारी मंदिर श्री सिद्धलिंगेश्वर स्वामी में पूजा अर्चना और मंदिर के धार्मिक कार्यों हेतु इस्तेमाल के लिए “निरंजन” नाम का विशालकाय रोबोट हाथी उपहार में दिया। कोच्चि में थ्रीक्कयिल महादेव मंदिर ने PETA इंडिया और प्रियामणि द्वारा उपहार में दिए गए मैकेनिकल “महादेवन” का स्वागत किया। PETA इंडिया के साथ मिलकर एंद्रिता रे और दिगंत मनचले ने मैसूर के श्री सुत्तूर मठ को “शिव” नामक रोबोट हाथी दान किया और अदा शर्मा ने “बालाधासन” को तिरुवनंतपुरम के पूर्णमिकवु मंदिर तक पहुंचाने में हमारी मदद की। अभिनेता वेधिका और पुरस्कार विजेता बाल कलाकार श्रीपथ यान ने कन्नूर के पहले विशालकाय यांत्रिक हाथी, “शंकरनारायणन” को एडयार श्री वडक्कुंबद शिव विष्णु मंदिर को दान करने में PETA इंडिया का समर्थन किया, ताकि मंदिरों में जीवित हाथियों को न रखने या किराए पर न लेने के फैसले को मान्यता दी जा सके। कुछ अन्य गैर-सरकारी संगठनों, PETA इंडिया और सीयूपीए के साथ मिलकर शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने “वीरभद्र” नामक हाथी दान किया। इस अभिनव परियोजना के साथ, मंदिर अधिकारी संवेदनशील, बुद्धिमान हाथियों को अपने परिवारों के साथ जंगल में रहने की अनुमति देते हुए गहरी सांस्कृतिक परंपराओं को स्वीकार कर रहे हैं । इससे उनके लिए, हाथियों के लिए और PETA इंडिया के बेहद खुशी की बात है।

इस बीच, हमारे दूसरे यांत्रिक हाथी, जो एक शिक्षक है और दिया मिर्जा की आवाज में बोल सकती है, ने मुंबई, पुणे, दिल्ली-एनसीआर, अहमदाबाद, वडोदरा, हैदराबाद और जयपुर में 157 स्कूलों का दौरा किया और 1,51,232 बच्चों को हाथियों के साथ होने वाले शोषण की कहानी सुनाई। ऐली ने इन बच्चों को बताया कि हाथियों की आजादी और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और इसके लिए यह जरूरी है कि वे कभी भी पशुओं का शोषण करने वाले सर्कस या फिर पशुओं की सवारी करनी वाले कार्यक्रम में नया जाए न उनका समर्थन करें।

घोड़ों, भैंसों, तोते और सभी जीव जंतुओं की मदद करना

बेशक, ये सिर्फ हाथी नहीं हैं! PETA इंडिया ने घोड़ों, भैंसों, तोते, कुत्तों और अन्य जीव जंतुओं की भी मदद की।

अभिनेत्री रूपाली गांगुली ने कोलकाता में घोड़ा-गाड़ी को ख़त्म करने के लिए PETA इंडिया का सहयोग किया। एक घायल घोड़ी और उसके बच्चे को सड़क पर खून से लथपथ पाए जाने के बाद, हमने स्थानीय पुलिस के पास प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज की, जिसने PETA इंडिया के माध्यम से उनके बचाव का रास्ता खोल दिया ताकि वे एक अभयारण्य में बचाए गए अन्य घोड़ों के साथ शांति से रह सके। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को मुंबई में प्रगति से प्रेरित होकर, घोड़े के मालिकों को वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया। मुंबई में, PETA इंडिया के अभियान के बाद, घोडा गाड़ियों की जगह खूबसूरत ई-गाड़ियों में बदल दिया गया और घोड़ों को काम से मुक्ति मिल गई।

 

 

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PETA इंडिया के दर्जनों समर्थक बैलों और भैंसों की दौड़, लड़ाई और जल्लीकट्टू जैसे क्रूर खेलों का विरोध करते हुए इन खेलों में उनकी पीड़ा को उजागर करने हेतु लाल सुर्ख लबादा पहनकर व सिर पर बैलों जैसे सींग लगाकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकत्र हुए और प्रदर्शन करके जनता एवं सरकार से अनुरोध किया इन खेलों पर प्रतिबंध लगाया जाए। PETA इंडिया द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के बाद कर्नाटक सरकार ने निर्धारित किया कि सार्वजनिक रूप से अक्टूबर के अंत में बेंगलुरु में आयोजित होने वाली कंबाला भैंस रेसिंग प्रतियोगिता नहीं होगी।

सांगली और मुंबई में, PETA इंडिया ने अवैध घोडा दौड़ों को बंद करने के लिए पुलिस के साथ सहयोग किया। परिणामस्वरूप, इन दौड़ों में इस्तेमाल हो रहे 10 घोड़ों बचा कर को देखभाल के लिए एक अभयारण्य में भेजा गया। और जब हमें पलक्कड़ में अवैध बैलगाड़ी दौड़ के बारे में पता चला, तो हमने पुलिस रिपोर्ट दर्ज की और छह आयोजकों पर मामला दर्ज किया गया। वास्तव में, 2024 में, हमारे हस्तक्षेप के कारण 500 से अधिक पशु दुर्व्यवहारियों को पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा। बैल और घोड़ागाड़ी को इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा से बदलने की PETA इंडिया की दिल्ली मशीनीकरण परियोजना भी एक मील के पत्थर साबित हुई जिसमे अब तक हमने 150 पशुओं को कठोर परिश्रम वाले काम से मुक्त करवाया।

2024 में हमारा बचाव कार्य जोर पर था, हमने दिल्ली, कानपुर और जमशेदपुर में पक्षियों की बिक्री करने वाली दुकानों पर पुलिस छापे करवाकर अवैध व्यापारियों से लगभग 2000 तोते और अन्य पक्षियों को पिंजरों की कैद से बचाया। मुंबई के एक डंप यार्ड में दयनीय स्थिति में रह रहे आठ कुत्तों को बचाया और गंदे पिंजरे में कैद कर रखे गए एक बंदर को बचाने के लिए औरंगाबाद में प्रभाग वन कार्यालय के साथ काम किया। 2024 में, PETA इंडिया ने पशुओं की आपात स्थिति के संबंध में अपनी हेल्प लाईन पर प्रतिदिन 1000 से अधिक कॉलों का जवाब दिया और एक नसबंदी कार्यक्रम चलाया, जिससे मुंबई में हमने अब तक 5000 से अधिक बिल्लियों की नसबंदी करा दी है।

दवाईयां बनाने में अनिवार्य पशु परीक्षण को समाप्त करना

PETA इंडिया ने 2024 में भी आधुनिक विज्ञान को आगे बढ़ाना जारी रखा। भारत ने दवा विकास में अनिवार्य पशु परीक्षण को समाप्त कर दिया – यह एक ऐसा कदम था जिसकी हम लंबे समय से वकालत कर रहे हैं। हमने फार्माकोलॉजी शिक्षकों को मुफ्त में वर्चुअल सिमुलेशन और कंप्यूटर लर्निंग सॉफ्टवेयर की पेशकश करने के लिए सिमकोलॉजी और एक्स-फार्म के साथ मिलकर काम किया है। इंडाला इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी ने अपने फार्माकोलॉजी शिक्षा कक्षाओं में पशुओं पर होने वाले अनिवार्य प्रयोगों को अब पूरी तरह से समाप्त कर दिया है और इसके लिए उन्होंने PETA इंडिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं, इसकी बजाय वह अब आधुनिक मानव-प्रासंगिक तरीकों का इस्तेमाल करेंगे। नई दिल्ली में, हमारे एक विशालकाय बंदर ने सरकार से रीसस मकाक प्रजाति के बंदरों की सुरक्षा को मजबूत करने का आग्रह किया, इन बंदरों पर प्रयोग करने के लिए इन्हें यहाँ से पकड़कर विदेशों में स्थित प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है और फिर इन पर दर्दनाक परीक्षण किए जाते हैं।

 

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नन्हें जीवों को खतरनाक माँजे और ग्लू ट्रैप (चिपकने वाली शीट) से बचाव

PETA इंडिया के लिए कोई छोटा या बड़ा नहीं है, सबकी जान की कीमत समान है। हमारी अपील के बाद, 30 से अधिक राज्यों ने क्रूर ग्लू ट्रैप पर प्रतिबंध लगा दिया है, और अमेज़ॅन इंडिया और स्नैपडील जैसे ऑनलाईन विक्रेताओं ने उन्हें अपने पोर्टल पर बेचना बंद कर दिया है। हमारी बात सुनने के बाद, पशु कल्याण बोर्ड ने पतंगबाज़ी में इस्तेमाल होने वाले तीखे माँजे के खिलाफ एक एडवाईजारी जारी की, यह तीखा माँजा आसमान में उड़ने वाले पक्षियों और सड़कों पर चलने वाले लोगों को घायल कर देता है और यहां तक ​​कि उनकी जान भी ले लेता है। अन्य राज्यों के बाद अब गोवा और कर्नाटक ने भी इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

पशुओं के अधिकारों की पैरवी में कारपोरेट की दुनिया में हमारी उपलब्धियां

अन्य तरीकों से पशु अधिकारों की पैरवी करने कि दिशा में PETA इंडिया ने कॉर्पोरेट की दुनिया में इस साल जबरदस्त सफलता हासिल की। PETA इंडिया की अपील के बाद, पेटीएम इनसाइडर ने पशुओं के सर्कस की बिक्री करने वाले अपने विज्ञापनों को हटा लिया। एलन सोली ब्रांड ने “PETA स्वीकृत वीगन” लोगो के तहत वीगन हैंडबैग का कलेक्शन लॉन्च किया, और PETA इंडिया ने मिंत्रा के पूर्व सीईओ द्वारा बनाए गए गन्ने के चमड़े के ब्रांड वीगन वीर्या और वीगन फैशन कंपनी, विर्जियो के साथ महत्वपूर्ण सांझेदारी की। अभिनेत्री अदा शर्मा ने चमड़े की क्रूरता को उजागर करने वाले PETA इंडिया के अभियान में अभिनय किया, जिसे सोशल मीडिया पर पांच लाख से अधिक हिट मिले। अब फैशन की दुनिया भी क्रूरता मुक्त होकर वीगन उत्पादों को अपना रही है।

 

पूरे भारत में पशु अधिकारों और वीगन जीवनशैली की वकालत

हमने लोगों को चुनौती दी कि वो खुद से पूछे कि “क्या वो बिल्ली का मांस खा सकते हैं, यदि नहीं तो फिर मछली का क्यूँ खाते हैं ?” PETA इंडिया के एक “कैटमॉन्गर” ने कोच्चि में यह प्रदर्शन किया और लोगों को एहसास कराया कि मछलियों को भी दर्द होता है, और मछली पकड़ने से कछुए भी मर जाते हैं, PETA इंडिया ने भुवनेश्वर, मंगलुरु, पुडुचेरी, तिरुवनंतपुरम और विशाखापत्तनम में जागरूकता भरे बिलबोर्ड लगाए

कुत्ते के मांस की खबरों के बाद बेंगलुरु में हमारे वीगन बिलबोर्ड ने जनता को प्रेजागरूक किया। लेकिन हमारा सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला बिलबोर्ड विश्व पर्यावरण दिवस के सम्मान में रहा जहां हमने एक स्पष्ट संदेश दिया कि “वीगन जीवनशैली अपनाएं नहीं तो हम सब मारे जाएंगे।” मांस और डेयरी उत्पादों के निर्माण में खाद्य-संबंधित उत्पादों पर होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 60% केवल डेयरी और मांस से आता है। विश्व वीगन माह के दौरान हमने यह संदेश लिखे बिलबोर्ड लगाए, “क्योंकि आप डेयरी का सेवन करते हैं, बछड़े मर जाते हैं।” एक मीडिया रिपोर्ट ने जनता को याद दिलाया कि डेयरी उद्योग नवजात बछड़ों को उनकी माताओं से अलग कर देता है क्यूंकी बछड़ों के हिस्से के दूध से ही यह उत्पाद बनाए जाते हैं, इस हेतु एक संदेश “वे आइसक्रीम के लिए चिल्लाते हैं।” के माध्यम से जनता को बताया गया कि हमारी आईकरीं के लिए उन्हें कितना कष्ठ सहन पड़ता है। डेयरी की असली कीमत कौन चुकाता है इसको उजागर करने वाले PETA इंडिया के वीडियो को सोशल मीडिया पर 3.8 मिलियन से अधिक बार देखा गया। और हम फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर 2 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स के साथ लगातार अपने समर्थकों एवं फॉलोवर्स को पशुओं के अधिकारों पर नियमित रूप से अपडेट देते हैं।

 

 

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विज्ञापन फर्म LytAds ने हमारे ‘डायना पेंटी’ वाले विज्ञापन के माध्यम से पशुओं को गोद लेने हेतु जन जागरूकता में हमारी मदद की। पग प्रजाति के कुत्तों के बारे में हमारे होर्डिंग ने राहगीरों को याद दिलाया कि जब नाक के आकार की बात आती है तो इंसानों के पास कोई विकल्प हो सकता है, लेकिन चपटे चेहरे वाले कुत्तों के पास नहीं है – और पशुओं को चपटे मुँह हुए थूथन के साथ प्रजनन करने से उन्हें सांस लेने में बाधा आती है और उन्हें जीवन भर दुख झेलना पड़ता है। हाथी हाथी दांत के शिकार की विशेष श्रृंखला के लिए हमने निर्देशक रिची मेहता को “पोचर” में जीवित पशुओं के बजाय अत्याधुनिक कंप्यूटर तकनीक का उपयोग करने के लिए “टैक, नॉट टेरर” पुरस्कार से भी सम्मानित किया।

और प्रजातिवाद को समाप्त करने के मूल संदेश “हर पशु एक जीवित प्राणी है”, जिसमें मुर्गियों, बकरियों, सूअरों और अन्य की तस्वीरें शामिल थीं, ने लोगों को क्रूरता-मुक्त भोजन के लिए प्रोत्साहित किया।

 

युवा दिलों में करुणा का प्रसार

PETA इंडिया, साथी संगठनों और स्वयंसेवकों ने पूरे भारत में 50,000 से अधिक छात्रों में पशुओं के प्रति सहानुभूति और सम्मान की भावना का संदेश पहुँचने हेतु 1000 से अधिक दयालु नागरिक मानवीय शिक्षा कार्यशालाएं आयोजित कीं। PETA इंडिया ने स्कूली बच्चों को लखनऊ, सूरत, मुंबई और भोपाल में सामुदायिक पशुओं के लिए पानी के कटोरे वितरित करने में मदद की, और PETA इंडिया के समर्थकों और छत्तीसगढ़ के वीगन जीवनशैली जीने वाले सहयोगियों ने रायपुर में सामुदायिक पशुओं के लिए मुफ्त पानी के कटोरे वितरित किए।

PETA यूथ अपने विशेष वर्चुअल विडिओ के साथ वीगन इंडिया कॉन्फ्रेंस और मुंबई कॉमिक कॉन सहित की अन्य आयोजनों में लगभग 4000 छात्रों तक पहुंचा और उन्हें खासतौर पर तैयार किए गए वर्चुअल वीडियो के मद्यम से उन्हें एहसास कराया करे कि यदि कोई एलीयन्स उन्हें लेजकर उन पर ठीक वैसे ही प्रयोग करे जैसा हम पशुओं पर करते हैं तो उन्हें कैसा लगेगा।

 

हमारा काम आपके समर्थन पर निर्भर हैं

2024 PETA इंडिया के लिए एक और बेहद उपलब्धि भरा वर्ष रहा।

फिर भी, पशुओं की सुरक्षा के लिए हमें अभी भी बहुत काम करना है, और हम 2025 में भी पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और जितना संभव हो उतना अधिक से अधिक काम करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। इसमे हमें आपकी मदद की जरूरत है। कृपया हमारे काम का समर्थन करने के लिए PETAIndia.com पर जाएँ।  सभी पशुओं की तरफ से आपका धन्यवाद!