विशाल ‘बिल्ली’ और ‘कुत्ते’ ने विश्व नसबंदी दिवस पर पशु जन्म नियंत्रण (ABC) का महत्व समझाया

Posted on by Shreya Manocha

वर्ल्ड स्पे डे यानि विश्व नसबंदी दिवस (25 फरवरी) से ठीक पहले, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया और वीगन ऑफ छत्तीसगढ़ के समर्थकों नें बिल्ली और कुत्ते की वेशभूषा धारण कर रायपुर में एक कक्षा आयोजित की जिसमे लोगों को ब्लैक बोर्ड पर पशु जन्म नियंत्रण (ABC) के महत्व के बारे में बताया। इस कक्षा में पप प्रोफेसर और किटी ट्यूटर ने यह समझाया कि साथी पशुओं की नसबंदी से उनके जीवन में लंबे समय तक स्वास्थ्य लाभ होते हैं, और यह बेघर पशुओं की बढ़ती समस्या से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है।

भारत में लाखों बेघर कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। हर साल 6 करोड़ से ज्यादा पशु भूख, प्यास, गाड़ियों की टक्कर और जानबूझकर किए गए अत्याचारों का शिकार होते हैं। इसके अलावा, 8 करोड़ 80 लाख पशु शेल्टरों में हैं, क्योंकि उनके लिए अच्छे घर उपलब्ध नहीं हैं। यह स्थिति अत्यंत दुखद है, लेकिन इसका समाधान उतना ही सरल है: पशु जन्म नियंत्रण (ABC)। नसबंदी किए गए पशु न केवल प्रजनन प्रणाली के कैंसर से बच सकते हैं, बल्कि स्टेरिलाइज्ड कुत्ते और बिल्लियाँ आपस में कम लड़ाई करती हैं और इधर-उधर कम घूमती हैं। यह एक छोटा कदम है, लेकिन इसका असर बड़े पैमाने पर हो सकता है।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के अनुसार, नगर पालिका, नगर निगम और पंचायत जैसे संबंधित स्थानीय निकायों को सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया है। PETA इंडिया कुत्तों और बिल्लियों के अभिभावकों से अपील करता है कि वे अपने साथी पशुओं की नसबंदी करवाएं, ताकि पहले से पैदा हुए अनगिनत बच्चों को एक प्यार भरा घर मिल सके, और वे भी एक खुशहाल, शांतिपूर्ण जीवन जी सकें। इस छोटे से कदम से हम न केवल उनके जीवन को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि बेघर पशुओं की बढ़ती संख्या पर भी काबू पा सकते हैं।

अपने साथी पशु की नसबंदी कराने का संकल्प लें

संकल्प लें कि आप कभी पशु खरीदेंगे नहीं बल्कि हमेशा किसी बेघर को गोद लेंगे