PETA इंडिया ने कार के अंदर बंदी बनाकर रखे ‘पग’ नस्ल के 2 घायल व बीमार कुत्तों को बचाया
एक नागरिक से मिली खबर पर कार्यवाही करते हुए PETA इंडिया ने पग नस्ल के 2 ऐसे 2 कुत्तों को बचाया जिन्हे बिना किसी पशु चिकत्सा देखभाल व चलने फिरने के पर्याप्त स्थान के बिना जबरन गंदी पड़ी कार के अंदर रहने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
कुत्तों के युवा मालिक के माता पिता ने इन कुत्तों को घर के अंदर रहने की इजाजत नही दी थी इसलिए इन दोनों कुत्तों को अपने ही मल मूत्र से गंदी पड़ी कार में जबरन रखा गया था। दोनों ही कुत्ते गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थे। एक के कान में गंभीर संक्रमण था तो दूसरे के एक पैर में आंशिक रूप से फ्रेक्चर था। बचाव के समय दोनों कुत्ते सुस्त, उदास व काफी थके हुए पाये गए। जानवरों को इस तरह की क्रूर व अवैध परिस्थितियों में रखने पर होने वाले गंभीर कानूनी परिणामों की चेतावनी दिये जाने के बाद मालिक ने स्वेच्छा से उन दोनों कुत्तों को पशु चिकित्सा देखभाल तथा पुनर्वास हेतु हमारे हवाले कर दिया व भविष्य में जानवरों को कभी ऐसी अवस्था में ना रखने का वचन भी दिया। दोनों कुत्तों को तत्काल पशु चिकित्सा देखभाल हेतु “यूथ ओर्गेनाईजेशन इन डिफेंस ऑफ एनिमल्स” में ले जाया गया। PETA को उन्मीद है कि एक बार दोनों कुत्तों का स्वास्थ्य ठीक होने तथा मानसिक आघात से उबर जाने के बाद किसी न किसी परिवार को ढूंढ लिया जाएगा जो इन दोनों कुत्तों को अपना सके व इनका पालन पोषण कर सके।
PETA इंडिया ने वोडाफोन से आग्रह किया था कि वो अपने विज्ञापन में कुत्तों का इस्तेमाल न करें, इस से पहले वोडाफोन ने एक विज्ञापन में 30 कुत्तों को एक गाँव में दौड़ते हुए दिखाया था। कंपनी के इस विज्ञापन ने भारत में कुत्तों की इस नस्ल को बेहद लोकप्रीय बना दिया है, पालतू पशुओं की बिक्री करने वाले तथा ब्रीडर इसका फायदा उठाते हुए इस नस्ल के कुत्तों की पैदावार के लिए उनकी मताओं को एक के बाद एक बच्चे पैदा करने के लिए मजबूर करते हैं जबतक की उनका शरीर इसके लायक न रह जाए।
पग नस्ल के कुत्ते, आपसी करीबी रिश्तेदारी में प्रजनन कर पैदा किए जाते है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की उनमे अवांशिक, अप्रकृतिक व एकदम विपरीत विशेषताओं वाले गुण न आ जाए। पशु स्टोर इस नस्ल के छोटे कुत्तों को उन ग्राहकों को बेच देते हैं जो इनकी देखभाल करने हेतु प्रशिक्षित नहीं होते । ऐसे अप्रशिक्षित अभिभावक इन कुत्तों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को नहीं समझ पाते या चिकित्सीय खर्चों को वहन नहीं कर पाते जिस कारण इन कुत्तों के साथ अनेकों शारीरिक समस्याए होने लगती हैं व उनकी मौत तक हो जाती है। अभिभावक बहुत से पग्स को सड़क पर या फिर पशु कल्याणकर्ताओं के घर पर छोड़ देते है। कुछ ऐसा ही इन दोनों पग्स के साथ भी हुआ। दिल्ली के एक समूह को पिछले 10 वर्ष के समय अंतराल में ऐसे 4 कुत्ते मिले हैं।
PETA इंडिया ने इंगित किया है की जब भी कोई इंसान किसी पशु बिक्री स्टोर से कोई जानवर खरीदता है तो पशु ग्रह में या बेघर घूमने वाले जानवर को एक घर मिलने का अवसर समाप्त हो जाता है। हम लोगों से आग्रह करते हैं कि जिनके पास समय व स्थान हो कृपया अपने घर में एक जानवर को अवश्य पनाह दे। इसके लिए वो किसी पशु बिक्री की दुकान से न खरीद कर किसी पशु ग्रह या फिर बेघर घूमने वाले जानवर का बचाव कर उसको घर लेकर आयें।
संकल्प लें कि आप कभी भी पशु स्टोर से जानवर नहीं खरीदेंगे।
पशुओं को गोद लेने का संकल्प लें