अभिनेत्री पार्वती नायर ने तिरुवनंतपुरम के श्री बालभद्रकाली क्षेत्रम में एक्शन फॉर एलीफेंट्स UK द्वारा प्रदत्त और PETA इंडिया द्वारा समर्थित ‘देवी दासन’ नामक विशालकाय मैकेनिकल हाथी का अनावरण किया
शुक्रवार दिनांक 7 मार्च 2025 को प्रसिद्ध अभिनेत्री पार्वती नायर ने तिरुवनंतपुरम के श्री बालभद्रकाली क्षेत्रम, पेरुमकडाविला में विशाल काय ‘देवी दासन‘ नाम के मैकेनिकल हाथी का अनावरण किया। यह पहल एक्शन फॉर एलीफेंट्स (AFE) UK द्वारा प्रायोजित और PETA इंडिया द्वारा समर्थित है, जो मंदिर द्वारा अनुष्ठानों में जीवित हाथियों को न रखने या किराए पर लेने के निर्णय को सम्मानित करती है। इस अवसर पर पार्वती नायर के पति श्री आश्रिथ अशोक भी मौजूद रहे।
‘देवी दासन’ PETA इंडिया द्वारा मंदिरों को दान किया गया दसवां मैकेनिकल हाथी है। इसमैकेनिकल हाथी का स्वागत एक उद्घाटन समारोह औरपंचारी मेलम प्रदर्शन के माध्यम से किया गया। ‘देवी दासन’ को मंदिर में सुरक्षित और क्रूरता रहित तरीके से धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए उपयोग किया जाएगा, जिससे वास्तविक हाथियों को उनके परिवारों के साथ जंगल में रहने का अवसर मिलेगा। मैकेनिकल हाथी के ‘नदायिरुथल’ समारोह के पश्चात मंदिर में पंचवड्यम प्रदर्शन भी आयोजित किया गया।
“आज की तकनीक हमें हमारे धार्मिक कर्तव्यों को क्रूरता मुक्त तरीके से निभाने का अवसर देती है, साथ ही भगवान द्वारा बनाई रचनाओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है। मुझे बहुत गर्व है कि मैं एक्शन फॉर एलीफेंट्स UK और PETA इंडिया के साथ मिलकर इस ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बन पाई। इस मैकेनिकल हाथी के आने से भक्त न केवल सुरक्षित, बल्कि सबसे करुणामयी तरीके से धार्मिक अनुष्ठानों में भाग ले सकेंगे।” – पार्वती नायर
“हम बेहद गर्व महसूस करते हैं कि हम मैकेनिकल हाथी ‘देवी दासन’ का उपयोग कर रहे हैं, जो भगवान द्वारा बनाए गए उन सभी जीवों के प्रति सम्मान का प्रतीक है जो इंसानों की तरह अपने परिवारों के साथ स्वतंत्र और सुरक्षित जीवन जीना चाहते हैं।” – बालभद्रकाली क्षेत्रम के मुख्य पुजारी, श्री ब्रह्म श्री गणेश लक्ष्मी नारायणन पोती
“हमें अत्यंत खुशी है कि हम ‘देवी दासन’ का स्वागत कर रहे हैं, जो हमारे धार्मिक अनुष्ठानों को सबसे सुरक्षित और पशु-हितैषी तरीके से संपन्न करने में मदद करेगा। केरल में हाल ही में हुई त्योहारों के दौरान अनेकों ऐसी घटनाएं हुई हैं जहां बंधी हाथियों के आक्रामक होने के चलते छह इंसानों की मौत हो गई, और इस तथ्य को देखते हुए हम अन्य मंदिरों से आग्रह करते हैं कि वे भी मंदिर के अनुष्ठानों हेतु जीवित हाथी के बजाय मैकेनिकल हाथी को अपनाएं।” – श्री बालभद्रकाली क्षेत्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष, बी आदर्श
“हमें पूरी उम्मीद है कि अन्य समर्थक और समूह इस मानवतावादी बदलाव की दिशा में कदम उठाएंगे, और अपने स्तर पर मैकेनिकल हाथी के लिए पैसा इकट्ठा करके करके इस नेक पहल का हिस्सा बनेंगे।” – AFE से डेनिस ड्रेस्नर
हाथी जंगल में रहने वाले बेहद समझदार, सक्रिय और मिलनसार पशु होते हैं। इंसानों के मनोरंजन हेतु अनेकों तरह के प्रदर्शन और कार्यक्रमों में इस्तेमाल करने के लिए हाथियों को कैद करके, उनके साथ मारपीट कर, उन्हें यातनाएं देकर उनका मनोबल तोड़ दिया जाता है ताकि वह इंसानों की आज्ञा का पालन कर सकें। मंदिरों और अन्य स्थानों पर बंदी बनाकर रखे गए हाथियों को जंजीरों से जकड़कर घंटों तक पक्के फर्श या सीमेंट से बने फ्लोर पर खड़े रहने के लिए मजबूर किया जाता है जिस कारण उनके पैरों में दर्दनाक घाव और अन्य जटिल समस्याएं होती हैं। इनमें से अधिकांश पशुओं को उनकी जरूरत के अनुसार पर्याप्त भोजन, पानी, पशु चिकित्सकीय देखभाल और प्राकृतिक परिवेश से वंचित रखा जाता है। इस प्रकार की दयनीय परिस्थितियों के चलते कई हाथी हताशा और निराशा का शिकार होते हैं और हमला करके अपने महावत या आसपास के लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं। ‘हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स’ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, केरल में बंधी हाथियों ने पिछले 15 साल की अवधि में 526 लोगों की जान ली है। थिच्कोट्टुकावु रामचंद्रन, जो लगभग 40 वर्षों से बंधक है और केरल के त्योहारों में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले हाथियों में से एक है, अब तक 13 व्यक्तियों की जान ले चुका है, जिनमें छह महावत, चार महिलाएं और तीन अन्य हाथी शामिल हैं।
हाल के समय में, हताश एवं निराश हाथियों द्वारा महावतों, भक्तों, पर्यटकों या आसपास के अन्य लोगों पर हमले की बहुत सी घटनाएं सामने या रही हैं । 2025 के पहले दो महीनों में, केरल में जुलूसों और त्योहारों में इस्तेमाल होने वाले बारह बंधी हाथियों ने गुस्से में आकर छह लोगों की जान ली, ग्यारह अलग-अलग घटनाओं में कई अन्य को घायल किया और संपत्ति को भी नुकसान पहुँचाया।
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PETA इंडिया ने 2023 की शुरुआत में मंदिरों में जीवित हाथियों के स्थान पर मैकेनिकल हाथियों को रखने की पहल शुरू की थी। अब, दक्षिण भारत के मंदिरों में कम से कम सोलह स्थानों पर यांत्रिक हाथियों का उपयोग किया जा रहा है। इनमें से दस हाथी PETA इंडिया द्वारा दान किए गए हैं। यह पहल उन मंदिरों के निर्णय को मान्यता देती है, जिन्होंने कभी भी जीवित हाथियों को नहीं रखने या किराए पर लेने का संकल्प लिया है। ये मैकेनिकल हाथी अब मंदिरों में सुरक्षित और क्रूरता मुक्त तरीके से अनुष्ठान करने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं, जिससे असली हाथियों को उनके परिवारों के साथ जंगल में रहने का अवसर मिल रहा है।
मैकेनिकल हाथियों की लंबाई कुल 3 मीटर और वजन कुल 800 किलोग्राम होता है। यह रबर, फाइबर, मेटल, जाल, फोम और स्टील से बने होते हैं और पाँच मोटरों की मदद से काम करते हैं। यह सभी हाथी बिल्कुल किसी असली हाथी की तरह दिखते हैं और इनका उपयोग भी उसी रूप में किया जाता है। यह अपना सिर, कान और आँख हिला सकते हैं, अपनी पूंछ घुमा सकते है, अपनी सूंड उठा सकते है और सूंड से भक्तों पर पानी भी छिड़क सकते है। इन हाथियों की सवारी भी की जा सकती है और इन्हें बिजली से संचालित किया जा सकता है। इनके नीचे छोटे पहिये लगे रहते हैं ताकि धार्मिक कार्यक्रमों की जरूरत के अनुसार इन्हें धकेल कर या खींच कर आम सड़कों पर से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।
श्री बालभद्रकाली क्षेत्रम, एक 350 साल पुराना प्राचीन मंदिर हैं जो हर साल देवी के जन्मोत्सव पर मनाए जाने वाले 10 दिवसीय त्योहार के लिए प्रसिद्ध है। इस अद्वितीय पर्व में हजारों भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ शामिल होते हैं। श्री बालभद्रकाली क्षेत्रम तिरुवनंतपुरम जिले का दूसरा मंदिर है, जहाँ मैकेनिकल हाथी आया है। ‘देवी दासन’ PETA इंडिया द्वारा केरल के एक मंदिर को दान किया गया छठा मैकेनिकल हाथी है, जो न केवल मंदिर की परंपरा को सुरक्षित और करुणामयी तरीके से आगे बढ़ाने का प्रतीक है, बल्कि हाथियों के संरक्षण के लिए भी एक सशक्त कदम है।
असली हाथियों को प्रदर्शनों में इस्तेमाल करने पर रोक लगवाने में मदद करें