ईद के बारे में ?

Posted on by Surjeet Singh

ईद के प्रति हमारे काम पर सवाल उठाए जा रहे हैं और हम उनका जवाब देना चाहेंगे –

अगर ऐसे सवालों का मतलब जानवरों के प्रति क्रूरता के औचित्य को साबित करना है जैसे बंदी हाथियों को जंजीर से बांध कर रखना, बैलों का उत्पीड़न, नर बछड़ों को कत्लखाने भेजने की परंपरा जो की डेयरी उद्योग में आम बात है, तो फिर हम इसमे ज्यादा मदद नहीं कर सकते क्यूंकि यह सवाल उन लोगों से नहीं आ रहे जो सच में जानवरों की चिंता करते हैं। जो लोग हमसे सवाल पूछ रहे हैं उनको पहले यह समझने की भी जरूरत है कि हम हर तरह के जानवरों के उत्पीड़न के खिलाफ काम करते हैं।

जो लोग सिर्फ हमे परेशान नहीं करना चाहते बल्कि सच में जानवरों की बलि (जो कि ईद के अवसर पर एक आम बात है) के प्रति हमारे काम को जानना चाहते हैं कृपया इस लेख को पड़ें-

भरोसेमंद, कोमल बकरियां व अन्य जानवर न सिर्फ ईद पर मारे जाते है बल्कि हर रोज उनके जैसे अनगिनत जानवरों का तेज धारदार चाकू से गला काटा जाता है। अंतर सिर्फ इतना है की ईद के अवसर पर यह खुलेआम होता है जबकि बाकी दिनों में यह सिर्फ कत्लखानों में होता है लेकिन स्थान कोई भी हो क्रूरता दोनों जगह एक बराबर होती है। PETA इंडिया एक ऐसी संस्था है जो सिर्फ मुस्लिमों के त्यौहार के अवसर पर नहीं बल्कि प्रतिदिन वीगन भोजन की वकालत करती है। हमारे शांतिपूर्वक तरीके से धार्मिक आयोजन (जैसे की ईद) का आधुनिकीकरण करने की मांग पर हमारे कार्यकर्ताओं की पिटाई की गयी, उन्हे धमकाया गया तथा उनके साथ बलात्कार करने की धमकी दी गयी। हमने हत्या की बजाय दान देकर त्यौहार मनाने की बात की तो हमको जान से मारने की धमकी मिली।

स्पष्टीकरण के लिए बता दें की वीगन का तात्पर्य शुद्ध शाकाहारी होना है, इसके तहत लोग जानवरों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों जैसे दूध, घी, अंडा इत्यादि का सेवन तक नहीं करते क्यूंकि गौमांस उद्योग में मारे जाने वाले जानवरों की आपूर्ति काफी हद तक डेयरी उद्योग से ही की जाती है। जो भी व्यक्ति जानवरों से प्राप्त खाद्य पदार्थ जैसे दूध, घी, पनीर, अंडा, या फिर उनकी खाल से बने प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करता है तो वह व्यक्ति उन जानवरों की पीड़ा तथा हत्या का जिम्मेदार है। जैसा कि नीचे दिये गए वीडियो में दिखाया है कि हमारा काम सिर्फ ईद का जश्न मनाने वाले लोगों को दान देने हेतु प्रेरित करने तक ही सीमित नहीं है।

इस वर्ष ईद से पहले, PETA इंडिया ने समस्त राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर लाईसेन्स प्राप्त कत्लखानों के बाहर होने वाले जानवरों के कत्ल तथा क्रूर परिवहन के खिलाफ कानून को सख्ती से लागू करने का अनुरोध किया था। पत्र में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के द्वारा समस्त राज्यों के भेजे गए उस पत्र का भी संदर्भ दिया गया जिसमे क़ानूनों को स्पष्ट बताया गया था।

जानवरों के अवैध परिवहन व हत्या के दौरान उनके प्रति दुर्व्यवहार के विरोध में PETA इंडिया 2004 से 2007 तक सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक केस का हिस्सा रहा, जानवरों के प्रति यह क्रूरता बहुत ही आम है व इसे हमने व्यापक रूप से दस्तावेज़ भी किया है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 17 फरवरी 2017 को दिये गए आदेश में कहा गया है कि भारत के समस्त राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश, भारत सरकार द्वारा गठित कानून एवं नियमावली को मानने हेतु बाध्य है। किन्तु यह बेहद दुखद है कि अवैध कत्लखानों को बंद कराये जाने के आदेश के बाद भी इस पर सख्ती से अमल नहीं हो रहा।

भारतीय कानून के तहत, लाईसेन्स प्राप्त कत्लखानों को काम करने की अनुमति है लेकिन हम आशा करते हैं कि एक दिन यह यह जरूर बंद होंगे। जानवरों से प्रेम करने वाले लोगो से हम आग्रह करते हैं कि माँस उद्योग को जानवरों की आपूर्ति करने वालों का समर्थन न करें। इन आपूर्तिकर्ताओं में डेयरी उद्योग प्रमुख है। लोग जानवरों के कत्ल से बने उत्पाद जैसे कि लैदर का त्याग करके भी अपना विरोध दर्ज कर सकते हैं।

PETA इंडिया का काम लोगों को जानवरों की बलि के विरोध हेतु सशक्त करता है जैसे ईद के त्यौहार को बलि के लिए नहीं बल्कि उन लोगों को विख्यात बनाकर मनाना चाहिए जो ईद को अलग ढंग से मनाते हुए रमजान का रोजा तोड़ने के लिए वीगन विकल्पों को चुनते हैं। एक अन्य तरीके से ईद मनाते हुए हमने एक कार्यक्रम में बकरी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया।

हमारे साथी PETA अमेरिका द्वारा बनाए गए एनिमल्सइनइस्लाम.कॉम एक उत्क्रष्ट संसाधन है जिसे उन मुसलिमों की मदद के लिए बनाया गया है जो जानवरों की कुर्बानी में विश्वास नहीं रखते बल्कि जानवरों के प्रति दया व करुणा पर इस्लाम धर्म में दी गयी शिक्षाओं के माध्यम से अपने समुदाय को प्रेरित करते हैं।

हमारी एमरजेंसी रिस्पांस टीम प्रतिदिन 24/7 फोन कॉल पर उपलब्ध रहती है चाहे ईद हो या कोई भी अन्य त्यौहार, उनका काम जानवरों के प्रति क्रूरता के गंभीर मामलों को सुनना व तत्काल उस पर कार्यवाही करना है।

और हम उन लोगों से एक सवाल पूछना चाहते है जो केवल ईद के दौरान सक्रीय होते हैं- “आप वर्ष के बाकी दिनों में कहाँ गायब रहते है जब हम जानवरों के जीवन को बचाने के लिए काम कर रहे होते हैं ?”

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