जानवरों के हितों हेतु इस “विश्व पर्यावरण दिवस” को प्लास्टिक मुक्त दिवस के रूप में मनाए।  

Posted on by Surjeet Singh

भारत विश्व पर्यावरण दिवस 2018 को मनाने जा रहा है, इस बार पूरा ध्यान “प्लास्टिक” इस्तेमाल न करने पर रहेगा। प्लास्टिक न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित करता है बल्कि जानवरों को भी नुकसान पहुंचता है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लोग प्रतिवर्ष 500 बिलियन प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल करते हैं जो हमारे समुद्र, नदियों, जंगलों, व जानवरों के लिए हानिकारक हैं। हमारा ग्रह और इसमे रहने वाले प्यारे जानवर इस बात का इंतज़ार नहीं कर सकते की सरकार प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाए, उनको हमारी मदद की जरूरत है क्यूंकि-

  • अगर हमने समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए तो वर्ष 2050 तक महा सागर में मछलियों से अधिक प्लास्टिक भरा होगा।
  • प्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण कम से कम 700 से अधिक समुद्री पशु प्रजातियों को प्रभावित करता है और अनुमान के अनुसार कम से कम 100 मिलियन समुद्री स्तनधारी हर साल प्लास्टिक प्रदूषण से मर जाते है।
  • 50 प्रतिशत से अधिक समुद्री कछुए गलती से भोजन की जगह प्लास्टिक निगल जाने से मर जाते हैं। अनेकों कछुओं के पेट में प्लास्टिक के स्ट्रा, थैलियां व टूथब्रश भी पाए गए हैं।
  • सील व समुद्री लायन प्लास्टिक की थैलियों व पैकिंग बैंड में उलझ जाते हैं, यह इतने जटिल होते है कि वह इन जानवरों के संक्रमण व मौत का कारण बनते है।
  • प्लास्टिक निगल जाने से लाखों समुद्री जीवों का पाचन तंत्र बिगड़ जाता है व उनके अंदरूनी अंगो को काट देता है जिससे उनकी मौत हो जाती है।
  • अनेकों अध्ययनों से पता चला है कि मछ्ली का मांस खाने वाले लोगों ने मछ्ली के साथ साथ
  • माइक्रोफ़ाईब्रो को भी खा लिया है।
  • व्हेल भी यही गलती करती है, उसका मुंह बड़ा होने के कारण वो मलबे में से भोजन के साथ साथ प्लास्टिक भी निगल जाती है।
  • गाय, कूड़ेदान में से भोजन खाने के साथ प्लास्टिक भी खा लेती है जो उनके पेट में जमा होता रहता है व कुछ समय बाद सीमेंट की तरह कठोर हो जाता है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण नीचे की ओर जाता है जहां से जानवर खाते व पीते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है।
  • एक मृत पाये गए हाथी के पेट में से 750 किलोग्राम प्लास्टिक मिला था।
  • अक्सर कूड़ेदान से खाने की तलाश करने के दौरान कुत्ते बिल्लियाँ व अन्य जानवरों के गले के चारो तरफ प्लास्टिक के कन्टेनर फंस जाते है जो की बहुत घातक होते हैं।

अच्छी बात यह है कि हम सब कुछ सामान्य सा बदलाव करके प्लास्टिक प्रदूषण को काफी कम कर सकते हैं जैसे ख़रीदारी हेतु पुना प्रयोग हो सकने वाले कपड़े के थैले का इस्तेमाल करें, थोक में समान खरीदें जिससे पैकिंग बच सके, अपने कूड़ेदान को ढ़क कर रखें ताकि जानवर वहाँ तक न पहुँच सके, प्लास्टिक स्ट्रा के इस्तेमाल से बचे, पुनः इस्तेमाल हो सकने वाली शीशे की बोतल का इस्तेमाल करें, कूड़ा हमेशा उसके निश्चित स्थान पर ही डालें तथा प्लास्टिक पैकिंग उत्पादों के चलन का कोई स्थायी हल निकालें। प्लास्टिक की रि-साईकलिंग (पुना प्रयोग लायक बनाना) विधि को ढूँढना आवश्यक है, यदि आपके क्षेत्र में ऐसी सुविधा नहीं है तो फिर नगर पालिका को इसे शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करें।

प्लास्टिक के जार अथवा कंटेनर को फेंकने से पहले यह सुनिश्चित करें की उन पर ढक्कन लगा हुआ है तथा अन्य बेकार फेंके जाने वाले सामान को इस दशा में न फेंके की उसमे कोई जानवर फंस जाए। यदि आप खाद्य पदार्थ फेंकते हैं तो इन्हे किसी प्लास्टिक की थैली में रखकर न फेंके उससे जानवर खाने के साथ प्लास्टिक की थैली भी निगल जाते हैं। यदि आपको लगता है की आपको प्लास्टिक जैसे किसी बैग की सख्त आवश्यकता है तो फिर प्लास्टिक की जगह उसका कोई विकल्प इस्तेमाल करें जो जानवरों तथा पर्यावरण के अनुकूल हो जैसे एनविग्रीन का प्रकर्तिक संसाधनो, सब्जी वाले तेल व सब्जियों के कचरे से बना, बिना टॉक्सिन इस्तेमाल वाला बैग। बेकीज़ खाद्य कटलरी चावल, गेंहू व ज्वार आटे से बना है और वीगन भी है।

प्लास्टिक को समाप्त कर पर्यावरण व जानवरों की रक्षा करना कभी भी बहुत आसान काम नहीं है इसलिए आज ही से शुरू करें।