पामेला एंडरसन विश्व स्वास्थ्य संगठन का धन्यवाद करती है : ‘स्तनपान सर्वश्रेष्ठ हैं’

Posted on by Surjeet Singh

गाय के दूध वाली कंपनियों में व्यापारिक हितों के चलते अमेरिका ने प्रो-स्तनपान के प्रस्ताव का विरोध किया, PETA अमेरिका की ओर से PETA की माननीय निदेशक, पामेला एंडरसन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र लिख कर क्रूर डेयरी उद्योग की निंदा करते हुए स्तनपान का समर्थन करने हेतु उनका धन्यवाद अदा किया।

द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार- WHO का प्रस्ताव उस जांच पर आधारित था जिसमे बताया गया कि माँ का दूध बच्चों के लिए क्यूँ स्वास्थवर्धक है व अन्य देशों से “स्तनपान के विकल्पों की गलत व भ्रामक मार्केटिंग को रोकने के लिए आग्रह किया गया। इसमे गाय के दूध के उपयोग को कम करने तथा मनुष्यों व गायों को समान रूप से लाभ पहुंचाने की मांग थी। हालांकि इस प्रस्ताव को आसानी से मान लिए जाने के उम्मीद थी किन्तु अमेरिका ने शिशुओं की बजाए शिशुओं का आहार बनाने वालों के हितों का ध्यान रखा जो की एंडरसन जैसे और भी बहुत लोगो को अपमानजनक लगा। अपने बेटों को अपना स्तनपान करने के अनुभव को बताते हुए पामेला ने लिखा –

स्तनपान ही सर्वश्रेष्ठ है। जो दूध गाय के बच्चों के लिए बना है वो इंसान के बच्चों को देना ठीक नहीं। डेयरी फार्म में गायों को जबरन एक के बाद एक गर्भधारण कराया जाता है व उसके बच्चे को उससे दूर कर दिया जाता है जबकि वो सिर्फ अभी एक दिन का होता है। अपने बच्चे के बिछड़ जाने के दुख में गाय रोज सुबह कई दिनों तक ज़ोर ज़ोर से चिल्लाती है।

बहुत से छोटे बच्चों में पेट की बीमारियों का कारण भी बाजार के दूध के इस्तेमाल को बताया गया है। बाज़ार से दूध खरीदने के लिए परिवार पर्याप्त धन इकट्ठा करते हैं क्यूकी यह माना जाता है की वह माँ के स्तनपान से बेहतर है। यह एक झूठ है जो दशकों से दूध बनाने वाली कंपनियाँ झूठे विज्ञापनो में दिखती आ रही हैं। इसे बच्चों के अनुरूप बनाने के लिए माताएं कई बार इसमे पानी मिलाती हैं जिससे यह दूषित हो जाता है व बच्चों को बीमारी का कारण बनता है।

मुंबई में नायर अस्पताल में जो माताएँ बच्चों को स्तनपान नहीं करा पाती उनके बच्चों के लिए स्तन दूध बैंक शुरू किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके नवजात शिशुओं को गाय के दूध की बजाए पर्याप्त पोषणयुक्त प्रकर्तिक दूध मिल सके। WHO बच्चे को जन्म से लेकर कम से कम 6 माह तक की उम्र तक स्तनपान कराये जाने की सिफ़ारिश करता है। इसके बाद जब तक बच्चा 2 वर्ष का नहीं हो जाता तब तक उसके भोजन में थोड़े अनुपात में पोषक पदार्थों को जोड़ा जा सकता है। 

WHO के अनुसार कृतिम भोजन शिशु स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है इससे नवजात को दस्त, संक्रमण व एलर्जी तथा व्यस्क होने की उम्र में मधुमेह, हृदय रोग व मोटापे की बीमारियाँ हो सकती हैं।  भारत में स्तनपान संवर्धन नेटवर्क ने कहा है की यदि सम्पूर्ण देश में स्तनपान होने लगे तो यह 5 साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली मृत्यु दर को 13 प्रतिशत तक कम कर सकता है, दस्त के 39 लाख मामलों को रोक सकता है, निमोनिया के 34.37 लाख, स्तन कैंसर के द्वारा होने वाली 4915 मौतों को होने से बचा सकता है, मोटापे की दर में 26 प्रतिशत तक कमी कर सकता है, टाईप 2 के मधुमेह की घटनाओं को 3 फीसदी तक घाटा सकता है, बच्चों के IQ में 3 अंकों का सुधार कर सकता है तथा सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में 4300 करोड़ रुपये का योगदान भी कर सकता है।

एंडरसन बताती है – “गाय का दूध नवजात व छोटे बच्चों में एलर्जी का सबसे बड़ा कारण है व इसी से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह तथा हड्डियों का खोखलापन जैसे रोग होते है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने विकासशील देशों में हाल ही में स्तनपान न कराने की एक घटना की आलोचना की है।“

डेयरी आधारित प्रोडक्टस खरीदना जानवरों के प्रति होने वाली क्रूरता का समर्थन करना है।

एक बच्चे की प्रारम्भिक देखभाल प्रकर्तिक तरीकों से व खूबसूरत अनुभव की तरह होनी चाहिए। किन्तु डेयरी उद्योग एक अप्रकर्तिक व बदसूरत वास्तविकताओं से भरा है। उदाहरण के लिए दूध देते रहने के लिए गाय हर साल कृतिम रूप से गर्भधारण करती है इस कृतिम व निरंतर गर्भधारण तकनीक को “बलात्कार रैक” कहा जाता है। 9 माह बाद, जन्म के कुछ ही घंटो बाद गाय से उसका बछड़ा अलग कर दिया जाता है। डेयरी उद्योग में गाय अपना पूर्ण जीवन दूध देने वाली मशीन के रूप में व्यतीत करती है व समान्यतः जितना दूध वो अपने बच्चों की परवरिश के लिए सर्जित करती है डेयरी उद्योग में उसका 4.5 गुना अधिक दूध उनसे जबरन प्राप्त किया जाता है।

डेयरी में गायों का जीवन लंबा नहीं होता। यदि गाय से दूध प्राप्त करने के लिए उसे इस्तेमाल व उसके साथ दुर्व्यवहार न किया जाए तो गाय 20 वर्ष तक जीवित रहती है। जिन गायों को दूध के लिए इस्तेमाल किया जाता है उन्हे 4 वर्ष के बाद कम ग्रेड मांस के लिए कत्लखाने भेज दिया जाता है। जब आप डेयरी के प्रोडक्टस खरीदते हो जिनमे गाय का दूध भी शामिल है तो आप इन जानवरों के प्रति होने वाली क्रूरता का समर्थन करते हो। डेयरी उद्योग में गायों को इस बात का चुनाव करने का अवसर नहीं मिलता की वह अपने नवजात बच्चों की देखभाल करेंगी या नहीं लेकिन इंसानी बच्चों की माताओं को यह चुनने की आजादी मिलती है। कृपया डेयरी प्रोडक्टस न खरीदें, जानवरों के प्रति दयालु रहे और वीगन बने।

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