PETA इंडिया ने बिलबोर्ड अभियान शुरू किया “यदि कुत्ते का मांस नहीं तो फिर मुर्गे का मांस क्यूँ ?”
हाल ही में पुलिस द्वारा आसाम में 60 कुत्तों को कत्ल के लिए ले जा रहे एक ट्रक को जब्त करने तथा कोलकाता में कूड़े के ढ़ेर में कुत्तों के मांस के टुकड़े मिलने से यह अंदेशा लगाया गया कि शहर के रेस्टोरेंट्स पर कुत्ते के मांस की बिक्री जोड़ पकड़ रही है। इस पर प्रतिक्रिया करते हुए PETA इंडिया ने गुवाहाटी तथा कोलकाता में बिलबोर्ड अभियान के द्वारा लोगों को जागरूक किया जिसमे लिखा था कि “यदि कुत्ते का मांस नहीं तो फिर मुर्गे का मांस क्यूँ ?”
PETA इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मणिलाल वालियाते कहते हैं “कुत्ते का मांस खाना सोचकर ही इतनी घिन आती है की किसी को भी उल्टी आ सकती है तो फिर मुर्गे का मांस खाने से भी तो घिन आनी चाहिए। PETA इंडिया द्वारा बिलबोर्ड के माध्यम से भी यही संदेश दिया जा रहा है कि जो लोग कुत्ते का मांस खाने से नफरत करते है तो फिर उनको स्वयं से यह सवाल करना चाहिए एक जानवर का मांस खा सकते है लेकिन बाकियों का नहीं, उन्हे वीगन अपनाना चाहिए।“
भोजन के लिए जानवरों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर उन्हे पीड़ा प्रदान करता है। कुत्तों को तेज धारदार हथियार से छोटे छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है, मछलियों को सांस घुटने के लिए पानी से बाहर निकाल कर छोड़ दिया जाता है, मुर्गो को गंदे बदबूदार छोटे पिंजरों में रखा जाता है कि वो अपने पंख तक नहीं फैला पाते, छोटे नर बछड़ों को उनके जन्म के तुरंत बाद से उनकी माताओं से अलग कर दिया जाता है ताकि इनके हिस्से का दूध इंसान पी सके।
PETA इंडिया इस बात का संज्ञान लेता है कि भारतीय दंड संहिता कि धारा 1860 के सेक्शन 429 तथा प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट 1960 की धारा 11 के तहत कुत्ते को उसके मांस के लिए मारना गैरकानूनी अपराध है। जानवरों का मांस व उनसे प्राप्त होने वाले अन्य किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ के सेवन से हृदय रोग, दौरे, मधुमेह, कैंसर एवं मोटापा जैसे रोग हो जाते हैं।
कृपया वीगन अपनाए, यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।