मेडिक्लोन बायोटेक का लाईसेन्स निलंबन होने के बाद भी वहाँ घोड़े पीड़ा सह रहे हैं
PETA इंडिया पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से आग्रह करता है कि मेडिक्लोन बायोटेक में जिन घोड़ों से विषरोधक का उत्पादन किया जा रहा था उन समस्त घोड़ों को जब्त कर पुनर्वास ग्रह भेज दिया जाए। हालांकि “कमेटी फॉर पर्पस ऑफ कंट्रोल एंड सुपरविजन ऑफ एक्सपेरिमेंट ऑन एनिमल्स (CPCSEA)” ने मार्च 2017 में ही मेडिक्लोन के परीक्षण के लाइसेन्स को निरस्त कर दिया था- भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की निरीक्षण रिपोर्ट में दिखाया गया था कि था कि मेडिक्लोन व उनके अन्य सुविधा केन्द्रों में घोड़ों के रक्त से विषरोधक व विषनाशक बनाने के लिए घोड़ों के साथ दुर्व्यवहार किया गया था वा कम्पनी का लाइसेन्स रद्द होने के बावजूद भी घोड़ों को राहत नहीं मिली है व अभी भी वो कष्ट सह रहे हैं।
PETA इंडिया के एक प्रत्यक्षदर्शी ने चेन्नई में कम्पनी के एक प्राईवेट फार्म “इक्वीन पेराड़ाईस” में देखा कि जानवर मानसिक व शारीरिक समस्याओं से पीड़ित हैं। इनमे तवचा रोग, आंखो से कम दिखना, खुर के रोग, कुपोषण, परजीवी, संक्रमण, खुले घाव तथा अंगों में सूजन थी। हमारे प्रत्यक्षदर्शी ने फार्म में देखा कि घोड़ों को खुले स्थान में बाड़ा बनाकर रखा गया है। वहाँ किसी भी प्रकार के बिस्तर नहीं थे व घोड़ों को कंक्रीट के पक्के फर्श पर रहने के लिए मजबूर किया जा रहा था। बाड़े के निर्माण में लोहे के पाईप लगाए गए थे जो काफी नुकीले थे। फार्म हाउस में जगह जगह घोड़ों के मल-मूत्र की गंदगी थी।
“कमेटी फॉर पर्पस ऑफ कंट्रोल एंड सुपरविजन ऑफ एक्सपेरिमेंट ऑन एनिमल्स (CPCSEA)” के दिशानिर्देशों के अनुसार घोड़ों के रहने के लिए फार्म में पर्याप्त साफ सफाई व स्वस्थ्य वातावरण होना चाहिए। PETA इंडिया की जांच ये दर्शाती है कि CPCSEA के दिशानिर्देशों तथा लाईसेंस निरस्त करने के बावजूद मेडिक्लोन बायोटेक ने अभी तक फार्म में इन सुविधाओं को दुरुस्त करने पर कोई कदम नहीं उठाया।
PETA इंडिया अधिकारियों आग्रह कर करता है कि इन घोड़ों का बचाव कर उनका पुनर्वास किया जाए व मेडिक्लोन का लाईसेन्स हमेशा के लिए निरस्त किया जाय। घोड़ों व खच्चरों पर हिंसा कर उनसे विषरोधक व विषनाशक प्राप्त करने वाली अन्य कंपनियों पर भी सख्त कार्यवाही करें।
हजारों घोड़ों को विषरोधक व विषनाशक के उत्पादन से बचाने के लिए PETA अंतराष्ट्रीय विज्ञान संघ लिमिटेड, इस प्रकार के शोध को वित्त -पोषित कर रहा है जो डिप्थीरिया के लिए बिना पशुओं का इस्तेमाल किए विषरोधक व विषनाशक बनाया जा सके। डिप्थीरिया जो की एक बेहद गंभीर बीमारी है व इससे सांस लेने में तकलीफ होती है, गुर्दों को नुकसान पहुंचता है, तंत्रिकाओं व दिल के रोग के लिए घातक होती है।
दवाओं के निर्माण के लिए घोड़ों को पीड़ा सहने से बचाने में आप मदद कर सकते हैं।
घोड़ों एवं खच्चरों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने में मदद करें।