30 वन्यजीव और पशु संरक्षण संगठनों ने कर्नाटक सरकार से पिलीकुला जैविक पार्क में कंबाला कार्यक्रम रद्द करने की अपील की

Posted on by Shreya Manocha

30 वन्यजीव और मवेशी संरक्षण संगठन और पशु चिकित्सकों का एक समूह कर्नाटक सरकार से पिलीकुला जैविक पार्क में कंबाला कार्यक्रम रद्द करने की मांग कर रहा है। इन संगठनों ने कर्नाटक सरकार के सचिव डॉ. एकरूप कौर से अपील की है, और यह अपील मुख्य वन संरक्षक श्री सुभाष के. मालखेड़े को भी भेजी गई है। यह अपील पिलीकुला विकास प्राधिकरण (PDA) द्वारा पिलीकुला जैविक पार्क में कंबाला (बैल दौड़) कार्यक्रम आयोजित करने के खिलाफ है। इसमें PETA इंडिया, एनीमल राहत, पीपल फॉर कैटल इन इंडिया (PFCI), वर्ल्ड वेटनरी सर्विस (WVS), इंडिया प्रोजेक्ट फॉर एनीमल्स एंड नेचर (IPAN), कंपैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन (CUPA), वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (WRRC), ह्यूमन एंड एनवायरनमेंट अलायंस लीग (HEAL), अर्थलिंग्स ट्रस्ट, फॉना पुलिस, सैक्रेड अर्थ ट्रस्ट, गिव मी ट्रीज ट्रस्ट, उम्मीद फाउंडेशन और फेडरेशन ऑफ इंडियन एनीमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन्स (FIAPO) शामिल हैं। FIAPO भारत के 200 से अधिक पशु संरक्षण संगठनों का संघ है। इस अपील पर 16 पशु चिकित्सकों ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

Kambala investigation 2019 photos

इस अपील में कहा गया है कि कंबाला कार्यक्रम में हजारों लोग आएंगे, जिससे बहुत शोर होगा और यह पार्क में रहने वाले पशुओं को तनाव में डाल सकता है। शोध में पाया गया है कि शोर और परेशानी वाले माहौल के कारण पशुओं में सुनाई न देना, घबराहट, दिल की धड़कन बढ़ना और अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती हैं।

PETA इंडिया की जांच में यह पाया गया है कि कंबाला में इस्तेमाल होने वाले बैलों के साथ क्रूर व्यवहार किया जाता है। इन्हें बिना भोजन-पानी के बांधकर रखा जाता है, इन पर डंडों से वार किया जाता है, और इनके नाक में दर्दनाक उपकरण बांधकर दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। बैल प्राकृतिक रूप से दौड़ने के लिए तैयार नहीं होते, क्योंकि उनके पास पसीने की ग्रंथियां नहीं होतीं, जिससे उन्हें गर्मी से परेशानी होती है। बैलों को दौड़ने के लिए नियंत्रित करने के लिए क्रूर तरीके अपनाए जाते हैं, जैसे उनकी नाक में रस्सियाँ पहनाकर उन्हें खींचना, बैलों को मारना, चिल्लाना और दौड़ के दौरान इन पर डंडों से वार करना।

 

ये संगठन और पशु चिकित्सक राज्य सरकार से अपील करते हैं कि पिलीकुला जैविक पार्क में कंबाला कार्यक्रम को तुरंत रद्द किया जाए, ताकि वहां के पशुओं और वन्यजीवों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके।

 

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