Tiger king सुविधा केंद्र के 39 बाघ अब बेहतरीन जीवन जी रहे हैं। PETA US का धन्यवाद।
जिसने भी नेटफ्लिक्स पर “टाइगर किंग” “मर्डर, मेहेम एंड मैडनेस” डोक्यूसीरीज़ देखी है वह जानते हैं बाघों का प्रदर्शन एवं शावकों के साथ फोटोग्राफी करवाने हेतु इन वन्यजीवों के साथ उनके देखभालकर्ताओं द्वारा कैसा बर्ताव किया जाता है। इन देखभाल कर्ताओं में जोसफ मेल्डोनादों पेसेज़ (“जॉय एक्सोक्टिक”), भगवान “डॉक” एंटल, टिम स्टार्क तथा जेफ़ लोव शामिल हैं जिनहोने इस शो को तैयार किया। Tiger king शो में जो आपको देखने को नहीं मिलेगा वह यह कि ओक्लाहोमा में स्थित “द ग्रेटर वायनेवुड एक्सोटिक एनिमल्स पार्क (aka GW Zoo)” के देखभालकर्ता पकड़ में नहीं आए लेकिन PETA की मदद से वह बंदी बनाकर रखे गए 39 शेरों, 3 भालुओं, 2 लंगूर व 2 चिम्पांजियों को रिहा कार्वा लिया गया। अब इन सभी 46 जानवरों को एक प्रतिष्ठित पुनर्वास केंद्र भेजा जा रहा है।
उपरोक्त फोटो में दिखाया गया “Mo” व कर्ली भी उन 39 जानवरों में से एक हैं जिन्हें उस चिड़ियाघर से बचाया गया है।
वन्यजीव अभयारण में बाएँ ‘कर्ली’ एवं दाएं ‘पर्ल’। इन्हें GW चिड़ियाघार से बचाव कर लाया गया है।
‘पर्ल’ जो महज़ एक सप्ताह की उम्र का होने पर उसे मिसीसिपी में स्थित एक चिड़ियाघर से फ्लॉरिडा के Dade City’s Wild Things (DCWT) सेंटर में लाया गया था।
‘पर्ल’ उन 19 जानवरों में शामिल था जिंहे कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए 18 घंटे की खतरनाक यात्रा करके DCWT लाया गया था। गर्मियों की चिलचिलाती तप्ति गर्मी में उन्हें ट्रकों में लोहे के बने पिंजरों में भरकर यहाँ लाया गया था। परिवहन के दौरान पर्याप्त भोजन पानी की व्यवस्था नहीं थी। इस जानलेवा यात्रा के दौरान जन्म लेने वाले 3 शावक रास्ते में ही मर गए थे।
PETA इंडिया के कई वर्षों के प्रयास जिसमे बहुत से कानूनी कदम एवं प्रत्यक्षदर्शी द्वारा की गयी गुप्त जाँचों ने भी एहम भूमिका अदा की, सब प्रयासों के फलस्वरूप ‘मो’, ‘कर्ली’, ‘पर्ल’ एवं उनके बहुत से अन्य साथियों का बचाव किया जा सका। GW Zoo के गंदे बदबूदार पिंजरों, जंजीरों एवं तंग बाड़ो से आज़ाद अब ‘मो’ एवं अन्य साथी कोलोराडो के वन्यजीव अभयारण में खुले एवं आज़ाद माहौल में जीवन जी रहे हैं।
“वन्यजीव अभयारण केंद्र के मुख्य विज्ञान एवं पशु कल्याण अधिकारी ‘बेक्का मिसेली’ ने कहा- “यह नेट्फ्लिक्स द्वारा दिखाई गयी फिल्म या किसी अन्य के बारे में नहीं बल्कि यह उन प्रयासों के बारे में है जो हम इन शेरों को बेहतरीन संभव ज़िदगी प्रदान करने हेतु करते हैं”।
इन बाघों को 2 अलग अलग चरणों में रिहा करवाया गया, पहले कोर्ट के आदेश पर स्थान का निरीक्षण करने के बाद 19 बाघों को GW Zoo से हस्तांतरित करके DCWT भेजा गया था। PETA US का धन्यवाद जिसकी मदद से DCWT को दुबारा बाघ रखने की अनुमति नहीं गयी है इसलिए “लुना” जिसे प्रजनन किया गया था अब पर्यटकों के साथ फोटोग्राफी हेतु इस्तेमाल नहीं होना होगा। अब यह मनोरंजन बंद हो चुका है।
LUNA को Tiger King केंद्र पर प्रजनन किया गया था व PETA ने बाद में इसे DCWT केंद्र से आज़ाद करवाया। वहाँ जबरन इसे पर्यटकों के साथ फोटोग्राफी हेतु इस्तेमाल किया जा रहा था। अब लुना अपने मन मुताबिक आज़ादी से घूमती फिरती है।
दूसरे चरण में बाघों के देखभालकर्ताओं एवं PETA US के बीच सीधी सीधी बातचीत के बाद 20 बदघों को रिहा करवाया गया। इनमे से कुछ को स्टार्क (एक अन्य पशुपालक जो इंडियाना में Wildlife in Need नाम से एक चिड़ियाघर चलाता है) के द्वारा इन केन्द्रों में भेजा गया था। यह 20 वह भाग्यशाली जानवार हैं जिन्हें Tiger King शो में दिखाया गया था व cub-petting उद्योग के द्वारा इन्हें बेकार समझकर त्याग दिया गया था।
GW Zoo अपने फायदे के लिए बाघो के अलावा लंगूरों एवं अन्य नस्ल के जानवरों का भी प्रजनन करते हैं
39 बाघों के साथ साथ PETA US ने GW चिड़ियाघर के कूड़ेघर से 3 भालुओं को भी बचाया और उन्हें The Wild Animal Sanctuary में हस्तांतरित करने में मदद की। यहाँ के देखभालकर्ताओं ने इन भालुओं को भी स्टार्क से ही लिया था।
जॉय एवं बो नामक दोनों चिम्पांजियों को भी GW चिड़ियाघर से बचाकर फ्लॉरिडा में स्थित PETA US के एक दोस्त Center for Great Apes नामक अभयारण केंद्र में भेजा गया। यहाँ से बचाव करने से पहले यह दोनों चिम्पांजियों इन्सानों के मनोरंजन के लिए बच्चे प्रजनन के लिए इस्तेमाल होते थे।
Tiger King शो में एक देखभालकर्ता ने यह बताया था की वो इन दोनों चिम्पांजियों के साथ कैसा सलूक करता है।
उसने बताया की यह दोनों चिम्पांजी एक दूसरे के पास वाले पिंजरों में पिछले एक दशक से कैद है लेकिन इन्हें कभी एक दूसरे के साथ मिलने जुलने नहीं दिया जाता। इन दोनों के साथ एक एक मादा चिम्पांजी भी थी जिससे यह बच्चे पैदा करते थे। जॉय नामक चिम्पांजी को लिली नामक मादा चिम्पांजी के साथ जबकि बो को बोंगों नामक मादा चिम्पांजी के साथ रखा गया था। दोनों लिली एवाम बोंगों की जीडबल्यू चिड़ियाघर में मौत हो गयी।
जब जॉय एवं बो (इस फोटो में अपने नए घर में) इस Center for Great Apes में आए तो दोनों तुरंत ही सबके साथ घुल मिल गए व इस खूबसूरत माहौल में मस्ती करने लगे। ऐसे खुले माहौल व आज़ादी से उन्हें पिछले कई दशकों से वंचित रखा गया था।
चिम्पांजी भी इन्सानों की ही तरह होते हैं। वह खुलकर प्यार का इज़हार करते हैं। एक दूसरे को देखा देखी वह भी खूब उछाल कूद करते हैं जो की उन्हें बिलकुल भी बेवकूफी भरा नहीं लगता जब तक मनोरंजन के नाम पर उनका शोषण कर वो सब जबरदस्ती न करवाया जाए।
मारकस एवं लुना नामक लंगूरों का बचाव कर दोनों को इंडियाना स्थित Peaceable Primate Sanctuary भेजा गया है। जब यह दोनों GW चिड़ियाघर मे थे तो देखभालकर्ता इन दोनों का इस्तेमाल कर प्रजनन से बच्चे पैदा कर उनको पशु बिक्री केन्द्रों पर बेचते थे। जो वास्तविक अभयारण केंद्र होते हैं वह पशुओं का दुरुपयोग नहीं करते ना ही उनका प्रजनन करते हैं। मरकस एवं लुना अब एक बेहतर जिंदगी जी रहे हैं।
आपकी मदद से, हम बहुत से जानवरो की जिंदगी बदल पा रहे हैं। हम लगातार GW चिड़ियाघर में कैद अन्य जानवरों की रिहाई के लिए संघर्षरत हैं व आपसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि जानवरों का शोषण करने वाले शो एवं प्रदशनों का समर्थन न करें।
वास्तविक अभयारण केन्द्रों की सूची यहाँ देखें जहां बाघों का शोषण नहीं किया जाता
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