अभिनेता साहिल सलाथिया ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर बॉडी-पेंटिंग द्वारा पिंजरे की क्रूरता को प्रदर्शित किया!

Posted on by Shreya Manocha

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (29 जुलाई) से ठीक पहले, अमेज़ॅन प्राइम पर नई हॉरर श्रृंखला अधूरा  में अपने अभिनय का जलवा बिखेरने वाले प्रसिद्ध अभिनेता और फैशन आइकन साहिल सलाथिया, PETA इंडिया के पिंजरा विरोधी अभियान में एक बाघ के रूप में नज़र आएंगे। इस अभियान के अंतर्गत बाघ की जगह स्वयं साहिल को एक पिंजरे में कैद प्रदर्शित किया गया है और जनता के बीच “पिंजरों को कहे न” एवं “वन्यजीवों को आज़ाद रहने दें” जैसा दयालु संदेश का प्रसार किया गया है। इस अभियान की बेहतरीन फोटोज़ को रोहित गुप्ता द्वारा शूट किया गया है और साहिल के शरीर पर नहुष पिसे द्वारा पेंट किया गया है। साहिल की हेयरस्टाइलिंग शाहरुख सिद्दीकी और स्टाइलिंग मोहित राय द्वारा की गयी है।

 

साहिल सलाथिया ने कहा, “चिड़ियाघरों में जानवर अक्सर इतने निराश और उदास हो जाते हैं कि वे लगातार हिलते रहते हैं, एक जगह पर चक्कर लगाते हैं या इधर-उधर भागते रहते हैं। मैं PETA इंडिया के अपने साथियों के साथ जनता को ऐसी सभी गतिविधियों का त्याग करने के लिए प्रोत्साहित करूंगा जिनके लिए जानवरों को क्रूर पिंजरों में कैद किया जाता है।”

चिड़ियाघरों में कैद शेरों एवं अन्य बड़े जानवरों को प्रकृति के मुकाबले 18,000 गुना कम जगह में रहने के लिए बाध्य किया जाता है, और बंदी भालूओं के लिए यह आंकड़ा बढ़कर 10 लाख गुना कम हो जाता है। PETA इंडिया द्वारा भारतभर के चिड़ियाघरों में व्यपाक जांच की गयी है जिसमें जानवरों के साथ किए जाने वाले भयानक शोषण एवं उनकी पीड़ा एवं शारीरिक और मानसिक आघात से संबंधित कई तथ्य सामने आए हैं। PETA इंडिया द्वारा सिफारिश की गयी है कि चिड़ियाघरों को वनस्पति उद्यानों में बदला जाए जिनका उपयोग केवल बचाए गए जानवरों को पुनर्वासित करने के लिए किया जाए।

 

इस अभियान में भाग लेकर साहिल सलाथिया, मशहूर अभिनेताओं की उस सूची में शामिल हो गए हैं जिनके द्वारा PETA इंडिया के साथ मिलकर पशु हित में आवाज़ उठाई गयी है। इस सूची में अभिनेता जॉन अब्राहम और राहुल खन्ना; संगीतकार अनुष्का शंकर, रघु दीक्षित, गौरव वाज़, और पार्थ चंडीरमानी; और क्रिकेटर वेन पार्नेल एवं प्रज्ञान ओझा शामिल हैं।

चिड़ियाघरों का त्याग करने की प्रतिज्ञा करें

मुझे यह जानकारी मिली है कि चिड़ियाघरों में जानवरों को जबरन कष्ट सहने के लिए बाध्य किया जाता है, अपना पूरा जीवन तंग और क्रूर पिंजरों में बिताने के लिए मजबूर किया जाता है और यहां उन्हें हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक और महत्वपूर्ण है।

मैं प्रतिज्ञा करता/करती हूं कि मैं किसी भी चिड़ियाघर का समर्थन नहीं करूंगा/करूंगी।

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