अभिनेत्री एंद्रिता रे और अभिनेता दिगंत मनचले ने PETA इंडिया के साथ मिलकर मैसूर के सुत्तूर मठ को एक विशालकाए यांत्रिक हाथी दान में दिया

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया के साथ मिलकर अभिनेत्री एंद्रिता रे और अभिनेता दिगंत मनचले ने मैसूर के पास स्थित जगद्गुरु श्री वीरसिम्हासन महासंस्थान मठ (श्री सुत्तूर मठ) को “शिवा” नामक एक विशालकाए यांत्रिक हाथी दान में दिया है। यह निर्णय मंदिर द्वारा कभी भी किसी जीवित हाथी को पालने या किराए पर न लेने के संकल्प के बाद लिया गया है। शिवा की लंबाई 3 मीटर एवं इसका वजन 800 किलोग्राम है और अब इसका उपयोग मंदिर समारोहों को सुरक्षित एवं क्रूरता-मुक्त तरीके से आयोजित करने के लिए किया जाएगा, जिससे असली हाथियों को जंगल में अपने परिवारों के साथ रहने में मदद मिलेगी। आज मठ में एक उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया, जिसके बाद मंगला वाद्य की प्रस्तुति हुई। पहले श्री सुत्तूर मठ में असल हाथी को रखा गया था।

 

अभिनेत्री एंद्रिता रे ने कहा, “इस यांत्रिक हाथी के माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का दयालुता के साथ पालन कर सकेंगे जो आज के प्रगतिशील समय में अत्यंत आवश्यक है। दिगंत और मुझे PETA इंडिया के साथ मिलकर श्री सुत्तूर मठ को यह यांत्रिक हाथी दान में देकर बहुत ही गर्व की अनुभूति हो रही हैं जिससे सभी भक्त क्रूरता-मुक्त ढंग से अपना पुजा-पाठ कर पाएंगे।“

 

अभिनेता दिगंत मनचले ने कहा, “आज के आधुनिक युग में सभी जानते हैं कि हाथियों की सही जगह प्रकृति में उनके परिवारों के साथ है। ईश्वर द्वारा उन्हें इसी रूप में जन्म दिया गया है और इस का सम्मान करते हुए, हमें उन्हें उनके प्राकृतिक आवास अर्थात ‘जंगलों’ में स्वतंत्र रूप से रहने देना चाहिए। शिवा के प्रयोग द्वारा आगे भी मंदिर के पुजा-पाठ और धार्मिक आयोजनों में किसी प्रकार का विघ्न नहीं आएंगा।“

 

श्री सुत्तूर मठ के पीठाधिपति, परम पावन जगद्गुरु श्री शिवरात्रि देशीकेंद्र महास्वामीजी ने कहा, “हम ईश्वर द्वारा बनाए गए सभी सजीव प्राणियों के सम्मान में शिवा नामक यांत्रिक हाथी को अपनाकर बहुत प्रसन्न हैं। इस प्रकार के यांत्रिक हाथियों का उपयोग बहुत ही सरल एवं किफायती है, क्योंकि इन्हें भोजन या किसी प्रकार की पशु चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। इसके साथ-साथ इन पशुओं को गुस्सा भी नहीं आता है और यह पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं।“

 

देश में अनेकों जगह हाथियों को अवैध रूप से कैद करके रखा जा रहा है या बिना अनुमति के किसी दूसरे राज्य में ले जाया जाता है। क्योंकि हाथी जंगली पशु हैं जो स्वेच्छा से मानव आदेशों का पालन नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें सवारी, समारोहों, करतबों या फिर अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल के लिए उन्हें गंभीर दंड, पिटाई और धातु लगे नुकीले हथियारों के द्वारा प्रशिक्षित और नियंत्रित किया जाता है। कई हाथियों को पैरों की अत्यधिक दर्दनाक बीमारियाँ होती हैं और कंक्रीट में घंटों तक जंजीर से बंधे रहने के कारण पैर में घाव हो जाते हैं, और अधिकांश को प्राकृतिक जीवन के साथ-साथ पर्याप्त भोजन, पानी या पशु चिकित्सकीय देखभाल से भी वंचित रखा जाता है। 

कैद की हताशा के कारण कई हाथियों में असामान्य व्यवहार विकसित होने और प्रदर्शित होने लगता है। निराश हाथी अक्सर हमलावर हो जाते हैं और मुक्त होने की कोशिश करते हैं, अनियंत्रित होकर मनुष्यों, अन्य पशुओं या फिर संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बंधक हाथियों ने 15 साल की अवधि में केरल में 526 लोगों की जान ले ली। थेचिक्कोट्टुकावु रामचंद्रन नामक हाथी जो लगभग 40 वर्षों से कैद में है और केरल के त्योहार सर्किट में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले हाथियों में से एक है, ने कथित तौर पर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया जिसमे – छह महावत, चार महिलाएं और तीन हाथी शामिल हैं।

 

View this post on Instagram

 

A post shared by OfficialPETAIndia (@petaindia)

PETA इंडिया द्वारा पहले भी त्रिशूर के इरिंजाडाप्पिली श्री कृष्ण मंदिर को ‘इरिंजादपिल्ली रमन’ और कोच्चि के थ्रिककायिल महादेव मंदिर को ‘महादेवन’ नाम के दो विशालकाए यांत्रिक हाथी भेंटसवरूप दिए गए हैं। इन दोनों मंदिरों द्वारा धार्मिक कर्मकांडों, उत्सवों, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जीवित हाथियों या अन्य पशुओं को कभी भी इस्तेमाल ना करने की दयालु प्रतिज्ञा की गयी है। वर्तमान में, इरिंजादपिल्ली रमन और महादेवन का उपयोग मंदिरों में समारोह आयोजित करने के लिए किया जाता है और इन्हें अनुष्ठान, शादी एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए किराए पर लिया जा सकता है।

 

PETA इंडिया हाथियों का उपयोग करने वाले सभी स्थानों और कार्यक्रमों को वास्तविक हाथियों की बजाय रोबाटिक हाथियों या अन्य विलकपों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है। PETA इंडिया पहले से ही कैद में रह रहे हाथियों को अभयारण्यों में भेजने की वकालत करता है, जहां वे जंजीरों से मुक्त होकर अन्य हाथियों की संगत में रह सकते हैं और वर्षों के अलगाव, कैद और दुर्व्यवहार के मनोवैज्ञानिक आघात और शारीरिक कष्ट से निजात पा सकते हैं।

क्रूर प्रदर्शनों हेतु हाथियों के उपयोग को समाप्त करें