अभिनेत्री अदा शर्मा और PETA इंडिया ने तिरुवनंतपुरम के पूर्णिमाकावु मंदिर को ‘बालाधासन’ नाम का एक विशालकाए यांत्रिक हाथी दान में दिया
प्रसिद्ध अभिनेत्री अदा शर्मा और PETA इंडिया ने तिरुवनंतपुरम के पूर्णमिकवु मंदिर को एक विशालकाए यांत्रिक हाथी दान में दिया है। यह निर्णय मंदिर द्वारा कभी भी किसी जीवित हाथी को पालने या किराए पर न लेने के संकल्प के बाद लिया गया है। इस यांत्रिक हाथी का नाम बालाधासन रखा गया है और इसका उपयोग मंदिर समारोहों को सुरक्षित एवं क्रूरता-मुक्त तरीके से आयोजित करने के लिए किया जाएगा, जिससे असली हाथियों को जंगल में अपने परिवारों के साथ रहने में मदद मिलेगी। आज मंदिर में एक उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया, जिसके बादचेंडा मेलम और पंचवाद्यम की प्रस्तुति हुई।
अभिनेत्री अदा शर्मा ने कहा, “आज के प्रगतिशील युग में तकनिकी क्रांति की मदद से हम लुप्तप्राय हाथियों को जंगल में अपने परिवारों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से जीवन व्यतीत करने का अवसर प्रदान करने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक परंपराओं और विरासत को संरक्षित करने में भी अपना योगदान दे सकते हैं। मुझे PETA इंडिया के साथ मिलकर मंदिर को यह यांत्रिक हाथी प्रदान करने की अत्यंत खुशी है, जिसका प्रयोग करके मंदिर में आए सभी श्रद्धालुगण क्रूरतामुक्त तरीके से अपना पूजा-पाठ कर पाएंगे और यह इंसानों के लिए सुरक्षित होने के साथ-साथ पशुओं के हित में भी एक सम्मानजनक निर्णय है।“
पूर्णामिकवु मंदिर के मुख्य कार्यदर्शी MS भुवनचंद्रन ने कहा, “पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर, हमें बालाधासन नामक यांत्रिक हाथी का साथ पाकर अत्यंत खुशी की अनुभूति हो रही है एवं यह उन सभी प्राणियों के प्रति सम्मान है जो अपने प्रियजनों के साथ पृथ्वी पर स्वतंत्र एवं सुरक्षित ढंग से जीवन व्यतीत करना चाहते हैं।“
मंदिर के अध्यक्ष अनंतपुरी मणिकंदन ने कहा, “हमें भगवान द्वारा बनाए गए ऐसे सभी सजीव प्राणी जो हमारी करुणा और सम्मान के पात्र के प्रतिनिधि के रूप में बालाधासन नामक यांत्रिक हाथी का हमारे मंदिर में स्वागत करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है।“
देश में अनेकों जगह हाथियों को अवैध रूप से कैद करके रखा जा रहा है या बिना अनुमति के किसी दूसरे राज्य में ले जाया जाता है। क्योंकि हाथी जंगली पशु हैं जो स्वेच्छा से मानव आदेशों का पालन नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें सवारी, समारोहों, करतबों या फिर अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल के लिए उन्हें गंभीर दंड, पिटाई और धातु लगे नुकीले हथियारों के द्वारा प्रशिक्षित और नियंत्रित किया जाता है। कई हाथियों को पैरों की अत्यधिक दर्दनाक बीमारियाँ होती हैं और कंक्रीट में घंटों तक जंजीर से बंधे रहने के कारण पैर में घाव हो जाते हैं, और अधिकांश को प्राकृतिक जीवन के साथ-साथ पर्याप्त भोजन, पानी या पशु चिकित्सकीय देखभाल से भी वंचित रखा जाता है।
कैद की हताशा के कारण कई हाथियों में असामान्य व्यवहार विकसित होने और प्रदर्शित होने लगता है। निराश हाथी अक्सर हमलावर हो जाते हैं और मुक्त होने की कोशिश करते हैं, अनियंत्रित होकर मनुष्यों, अन्य पशुओं या फिर संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बंधक हाथियों ने 15 साल की अवधि में केरल में 526 लोगों की जान ले ली। थेचिक्कोट्टुकावु रामचंद्रन नामक हाथी जो लगभग 40 वर्षों से कैद में है और केरल के त्योहार सर्किट में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले हाथियों में से एक है, ने कथित तौर पर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया जिसमे – छह महावत, चार महिलाएं और तीन हाथी शामिल हैं।
PETA इंडिया द्वारा पहले भी तीन मंदिरों द्वारा धार्मिक कर्मकांडों, उत्सवों, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जीवित हाथियों या अन्य पशुओं को कभी भी इस्तेमाल ना करने की दयालु प्रतिज्ञा के बाद उन्हें यांत्रिक हाथी दान किए गए हैं। इनमें त्रिशूर के इरिंजदापिल्ली श्री कृष्ण मंदिर में इरिंजदापिल्ली रमन, कोच्चि के त्रिक्कयिल महादेव मंदिर में महादेवन और मैसूर में जगद्गुरु श्री वीरसिम्हासन महासंस्थान मठ में शिव शामिल हैं। चौथा, शंकर हरिहरन, गुडलुर में श्री शंकरन मंदिर में उपयोग किया जाता है, जिसे वॉयस फॉर एशियन एलिफेंट्स के संस्थापक कार्यकारी निदेशक द्वारा दान किया गया है। PETA हाथियों का उपयोग करने वाले सभी स्थानों और कार्यक्रमों को वास्तविक हाथियों की बजाय रोबाटिक हाथियों या अन्य विलकपों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है। PETA इंडिया पहले से ही कैद में रह रहे हाथियों को अभयारण्यों में भेजने की वकालत करता है, जहां वे जंजीरों से मुक्त होकर अन्य हाथियों की संगत में रह सकते हैं और वर्षों के अलगाव, कैद और दुर्व्यवहार के मनोवैज्ञानिक आघात और शारीरिक कष्ट से निजात पा सकते हैं।
पौर्णमिकवु मंदिर तिरुवनंतपुरम के वेंगनूर में स्थित है। इस मंदिर की मुख्य देवता श्री बाला त्रिपुर सुंदरी देवी हैं, और यहाँ विश्व में पहले बार 51 अक्षर देवताओं की मूर्तियों की प्रतिष्ठा की गयी है। यह मंदिर विश्व की कई अन्य विशालतम मूर्तियों के लिए भी जाना जाता है, जिनमें एक ही कृष्ण शिला पत्थर से बनी पंचमुखी गणेश मूर्ति भी शामिल है, जिसकी ऊंचाई 2 मीटर है; एक ही पत्थर से बनी नागराज की मूर्ति, जिसकी ऊंचाई 2.75 मीटर है; और एक पंचलोहा मूर्ति भी शामिल है जिसकी ऊंचाई लगभग 2 मीटर और वजन 1300 किलोग्राम है।
हाथियों को जबरन क्रूर प्रदर्शनों हेतु इस्तेमाल होने से बचाएं