PETA इंडिया की शिकायत के बाद बीरभूम पुलिस द्वारा टार्ज़न सर्कस से अफ्रीकी ग्रे तोतों को जब्त किया गया
बीरभूम पुलिस और PETA इंडिया के प्रतिनिधियों ने टार्ज़न सर्कस पर देर रात छापेमारी करके प्रदर्शन करने वाले पशुओं के पंजीकरण प्रमाणपत्र (PARC) के बिना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर करने और पक्षियों के पंखों को विकृत करने के लिए तीन अफ्रीकी ग्रे तोतों को बचाया एवं इन्हें जब्त कर लिया। पक्षियों को पश्चिम बंगाल के प्रधान मुख्य वन संरक्षक की मदद से एक सुरक्षित, विशाल एवियरी में स्थानांतरित कर दिया गया है।
पुलिस द्वारा यह FIR जानवरों के प्रति क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 के उल्लंघन के खिलाफ़ धारा 3 और 11 (1) (A) के तहत पशुओं को अनावश्यक दर्द और पीड़ा देने के लिए, धारा 11(1)(L) के तहत पक्षियों को अंगभंग करने के लिए; और धारा 26 और 38 के तहत जानवरों को अपंजीकृत करतब करने के लिए मजबूर करने के खिलाफ़ दर्ज़ की गयी है। इस FIR में, पक्षियों को उड़ने से रोकने के लिए और उनके पंखों को काटने के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 429 को भी शामिल किया गया है।
भारतीय जीव-जन्तु पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) PCA अधिनियम, 1960 के तहत निर्धारित प्राधिकरण है, जो देश में प्रदर्शन के लिए जानवरों के उपयोग को नियंत्रित करता है। टार्ज़न सर्कस द्वारा न तो जानवरों को और न ही उनके करतबों को AWBI के साथ पंजीकृत नहीं किया गया था।
PETA इंडिया द्वारा की गयी जाँचों एवं भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा किए गए अनेकों निरीक्षणों में यह साबित हुआ है कि जानवरों का इस्तेमाल करने वाले सर्कस स्वाभाविक रूप से क्रूर होते हैं, वह जानवरों को जंजीरों में बांधकर लगातार गंदे एवं बदबूदार तंग पिंजरों में कैद रखते हैं, उन्हें पशु चिकित्सा देखभाल और पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय से वंचित कर उन सब चीजों से वंचित रखते हैं जो प्रकर्तिक रूप से उनके लिए जरूरी एवं स्वाभाविक हैं। उन्हें मारपीट एवं हथियारों के डर से भ्रामक, असुविधाजनक और दर्दनाक करतब करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन्ही यातनाओं एवं कष्ठभरे जीवन के चलते यह जानवर अत्यधिक तनाव और मानसिक रूप से पीड़ित होने के व्यवहार भी प्रदर्शित करते हैं।