बकरीद के मद्देनज़र PETA इंडिया की याचिका पर तेलंगाना सरकार ने अवैध पशु कुर्बानी के खिलाफ सख़्ती बरतने के आदेश जारी किए
PETA इंडिया ने तेलंगाना राज्य के पुलिस महानिदेशकों को पत्र भेजकर आग्रह किया था कि राज्य में जानवरों से संबन्धित किसी भी तरह के गैरकानूनी हत्याओं को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएँ जाएँ, खासकर बकरीद के मद्देनजर क्यूंकि इस दौरान भारी मात्रा में अवैध तरीकों से कुर्बानी अदा की जाती है जो कि “तेलंगाना जानवरों एवं पक्षियों की बलि प्रतिबंध अधिनियम, 1950” के तहत प्रतिबंधित है। इस याचिका के संबंध में पुलिस मुख्य कार्यालय द्वारा एक आदेश जारी कर राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया गया है राज्य में पशुओं की कुर्बानी एवं परिवहन के संबंध में राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा पारित क़ानूनों एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का सख़्ती से पालन किया जाए। इस आदेश में यह भी इंगित किया गया है कि देश में ऊंटों की कुर्बानी देना प्रतिबंधित है व उस पर भी सख़्ती बरती जाए।
हमने अपने पत्र में “तेलंगाना पशु पक्षी बलि प्रतिबंद अधिनियम 1950” के सेक्शन 3 के प्रावधान का उल्लेख किया था सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया था जिसमे “सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जानवरों की कुर्बानी एवं हत्याओं के 2 मामलों पर सुनवाई के दौरान सुनाये गए फैंसलों में कहा है की जानवरों को केवल आधिकारिक तौर पर लाईसेंस प्राप्त कत्लखानों में ही कुर्बानी दी जानी चाहिए जहां पशुओं को बेहोश करने की पर्याप्त सुविधा हो और नगर पालिका अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा की इस निर्णय का पालन हो।“
हर वर्ष बकरीद जैसे त्योहारों पर हजारों बकरों, भैंसों, ऊंटों व अन्य जानवरों की गैरकानूनी तरीकों से हत्या कर दी जाती है। इन त्योहारों के दौरान, गैर कानूनी तरीको को इस्तेमाल करते हुए, परिवहन के लिए अनेकों जानवरों को एक ट्रक में ठूस-ठूस कर भरा जाता है जिससे रास्ते में ही उनका दम घुट जाता है व हड्डियाँ टूट जाती हैं। कत्लखानों की तरफ बढ़ते रहने के लिए उनको लगातार मारा जाता है व झटक झटक कर उनकी पुंछ तोड़ दी जाती है, गैर प्रशिक्षित कसाइयों के द्वारा इन्सानों के डरे सहमे छोटे बच्चों के सामने, जो इन जानवरों को दुख नहीं पहुंचाना चाहते, इन जानवरों को तेज़ धारदार चाकू से आधा गला काटकर तड़फ तड़फ कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। .