PETA इंडिया और आश्रय फ़ाउंडेशन के समर्थकों ने विश्व UFO दिवस के उपलक्ष्य में वीगन समर्थन अभियान के अंतर्गत ‘एलियंस’ ने मानव मांस का सेवन किया

Posted on by Shreya Manocha

विश्व UFO दिवस (2 जुलाई) के उपलक्ष्य में PETA इंडिया और आश्रय फ़ाउंडेशन द्वारा लोगों को अपने भोजन विकल्पों के बारे में जागरूक करने के लिए एक बहुत ही विचारोत्तेजक प्रदर्शन का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत हमारे दो समर्थकों ने ‘एलियंस’ की वेशभूषा में चंडीगढ़ के सेक्टर 17 मेन प्लाज़ा पर “मानव मांस” का सेवन किया। इस प्रदर्शन का आयोजन ऐसे समय पर किया गया है जब भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताएं सुर्खियों में हैं और जब देश ने पहली बार ऐतिहासिक रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक यान सफलतापूर्वक उतारा है।

PETA इंडिया उल्लेखित करता है कि भोजन हेतु मौत के घाट उतारे जाने वाले पशुओं को अत्यंत पीड़ा का सामना करना पड़ता है जैसा कि “Glass Walls” नामक बेहद चर्चित वीडियो में देखा जा सकता है जिसमें डेयरी उद्योग की वास्तविक क्रूरता का पर्दाफाश किया गया है। फ़ैक्टरी फ़ार्मों पर मुर्गियों को हज़ारों की संख्या में भीड़-भाड़ वाले शेडों में पैक किया जाता है, जहां उन्हें जमा कचरे के बीच अमोनिया की दुर्गंध में जबरन खड़ा होने के लिए बाध्य किया जाता है। उन्हें हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों और अन्य जानवरों को वाहनों में भरकर इतनी अधिक संख्या में बूचड़खानों में ले जाया जाता है कि कई जानवरों की हड्डियाँ टूट जाती हैं, दम घुट जाता है, या रास्ते में ही मृत्यु हो जाती हैं। बूचड़खानों में मजदूर अक्सर बकरियों, भेड़ों और अन्य जानवरों का गला कम धार वाले ब्लेडों से काट देते हैं। साथ ही, मछली पकड़ने वाली नौकाओं के डेक पर जीवित रहते हुए भी मछलियाँ का गला चीर दिया जाता हैं।

वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति, प्रति वर्ष लगभग 200 जानवरों को अत्यधिक पीड़ा और भयानक मृत्यु से बचाता है। इसके अलावा, भोजन के लिए जानवरों को पालना जल प्रदूषण और भूमि क्षरण का एक प्रमुख कारण है, और 2010 की संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन भोजन की ओर वैश्विक बदलाव आवश्यक है।

स्वयं एवं अन्य पृथ्वीवासियों के हित में वीगन जीवनशैली अपनाएं!