PETA इंडिया के वीगन समर्थन अभियान में ‘एलियंस’ ने मानव मांस का सेवन किया
PETA इंडिया द्वारा लोगों को अपने भोजन विकल्पों के बारे में जागरूक करने के लिए एक बहुत ही विचारोत्तेजक प्रदर्शन का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत हमारे दो समर्थकों ने ‘एलियंस’ की वेशभूषा में मुंबई के गिरगांव चौपाटी व्यूइंग डेक पर “मानव मांस” का सेवन किया। इन एलियंस का शिकार एक बैनर तले मेज पर लेटा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था, “क्या होगा अगर एलियंस हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा हम जानवरों के साथ करते हैं?” वीगन जीवनशैली अपनाएँ!” इस प्रदर्शन का आयोजन ऐसे समय पर किया गया है जब भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताएं सुर्खियों में हैं और जब देश ने पहली बार ऐतिहासिक रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक यान सफलतापूर्वक उतारा है।
PETA इंडिया उल्लेखित करता है कि भोजन हेतु मौत के घाट उतारे जाने वाले पशुओं को अत्यंत पीड़ा का सामना करना पड़ता है जैसा कि “Glass Walls” नामक बेहद चर्चित वीडियो में देखा जा सकता है जिसमें डेयरी उद्योग की वास्तविक क्रूरता का पर्दाफाश किया गया है। फ़ैक्टरी फ़ार्मों पर मुर्गियों को हज़ारों की संख्या में भीड़-भाड़ वाले शेडों में पैक किया जाता है, जहां उन्हें जमा कचरे के बीच अमोनिया की दुर्गंध में जबरन खड़ा होने के लिए बाध्य किया जाता है। उन्हें हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों और अन्य जानवरों को वाहनों में भरकर इतनी अधिक संख्या में बूचड़खानों में ले जाया जाता है कि कई जानवरों की हड्डियाँ टूट जाती हैं, दम घुट जाता है, या रास्ते में ही मृत्यु हो जाती हैं। बूचड़खानों में मजदूर अक्सर बकरियों, भेड़ों और अन्य जानवरों का गला कम धार वाले ब्लेडों से काट देते हैं। साथ ही, मछली पकड़ने वाली नौकाओं के डेक पर जीवित रहते हुए भी मछलियाँ का गला चीर दिया जाता हैं।
वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति, प्रति वर्ष लगभग 200 जानवरों को अत्यधिक पीड़ा और भयानक मृत्यु से बचाता है। इसके अलावा, भोजन के लिए जानवरों को पालना जल प्रदूषण और भूमि क्षरण का एक प्रमुख कारण है, और 2010 की संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन भोजन की ओर वैश्विक बदलाव आवश्यक है।