PETA इंडिया की शिकायत के बाद तमिलनाडु में करूर के लता सर्कस से सभी जानवर जब्त किए गए
प्रदर्शन पशु पंजीकरण प्रमाणपत्र (PARC) के बिना जानवरों को प्रदर्शन करने के लिए मजबूर करने और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 का उल्लंघन करने के लिए, इरुप्पु, नेवेली में स्थित करूर लता सर्कस पर कुड्डालोर जिला पुलिस और PETA इंडिया द्वारा 12 मई को एक छापा मारा गया था। इस छापेमारी में एक ऊंट, एक टट्टू, तीन कुत्तों, एक बच्चे बंदर और एक बकरी को जब्त कर उनका रेस्क्यू किया गया और इस सर्कस के मालिक के खिलाफ़ ओमंगलम पुलिस स्टेशन में FIR भी दर्ज़ की गयी। PETA इंडिया द्वारा इस सर्कस की अवैध गतिविधियों की निगरानी करके पुलिस और वन अधिकारियों को जानवरों के उपयोग के बारे में सूचित किया गया था। वर्तमान में, इन सभी जानवरों को स्थायी एवं सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किया गया है जहां उन्हें मानसिक एवं शारीरिक तौर पर बड़ी राहत मिलेंगी।
पुलिस द्वारा यह FIR जानवरों को अपंजीकृत करतब करने हेतु मज़बूर करने के लिए पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(ए), 11(1)(बी), 11(1)(एफ), 11(1)(जी), 11(1)(एच), 26(ए) और 38 (3) के अंतर्गत दर्ज़ की गयी है। इस FIR में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 429 को भी शामिल किया गया है, जिसमें घोड़ों, कुत्तों एवं ऊंट को अपंग करने, जानवरों के साथ क्रूर व्यवहार के कारण लगी गंभीर चोटों और चोटिल जानवरों को प्रदर्शन के लिए जबरन उपयोग करने का उल्लेख किया गया है। इसके साथ-साथ संबंधित FIR में WPA, 1972 की धारा 39 को भी शामिल किया गया है जो कि अनुसूचित जंगली जानवर के अवैध कब्जे को गैर कानूनी घोषित करती है। वन जीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 की अनुसूची I के अंतर्गत बोनट मकाक एक संरक्षित प्रजाति है।
भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) PCA अधिनियम, 1960 के तहत निर्धारित प्राधिकरण है, और देश में प्रदर्शन के लिए जानवरों के उपयोग को नियंत्रित करता है। करूर लता सर्कस ने जानवरों को स्वयं या AWBI के अंतर्गत पशु करतबों हेतु पंजीकृत नहीं किया था, और प्रदर्शन के लिए बंदरों का उपयोग भारत में 1998 से अवैध है।
PETA इंडिया द्वारा की गयी जाँचों एवं भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा किए गए अनेकों निरीक्षणों में यह साबित हुआ है कि जानवरों का इस्तेमाल करने वाले सर्कस स्वाभाविक रूप से क्रूर होते हैं, वह जानवरों को जंजीरों में बांधकर लगातार गंदे एवं बदबूदार तंग पिंजरों में कैद रखते हैं, उन्हें पशु चिकित्सा देखभाल और पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय से वंचित कर उन सब चीजों से वंचित रखते हैं जो प्रकर्तिक रूप से उनके लिए जरूरी एवं स्वाभाविक हैं। उन्हें मारपीट एवं हथियारों के डर से भ्रामक, असुविधाजनक और दर्दनाक करतब करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन्ही यातनाओं एवं कष्ठभरे जीवन के चलते यह जानवर अत्यधिक तनाव और मानसिक रूप से पीड़ित होने के व्यवहार भी प्रदर्शित करते हैं।
नीचे दी गयी याचिका पर हस्ताक्षर करके सर्कस में जानवरों के उपयोग को समाप्त कराने में हमारा साथ दें:
सर्कस में पशुओं के प्रयोग को समाप्त करें