अलवर पुलिस ने दो अभियुक्तों को एक कुत्ते के पैर काट उसे मारने के जुल्म में गिरफ़्तार किया
यह सूचना मिलने के बाद कि चार लोगों ने एक कुत्ते के पैर बांधकर क्रूरतापूर्ण तरीके से काट दिए और उसे मौत के घाट उतार दिया हैं, PETA इंडिया ने अलवर के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की मदद से ‘भारतीय दंड संहिता की धारा 34 और 429’ एवं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” की धारा 11 (1) (ए) और (1) के अंतर्गत FIR दर्ज़ करवाई है। PETA इंडिया को अलवर के स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा मदद हेतु संपर्क किया गया था। पुलिस द्वारा प्रमुख अभियुक्त और उसके साथी को हिरासत में ले लिया गया है जबकि दो अन्य अभियुक्त अब भी फ़रार हैं।
PETA इंडिया इन अभियुक्तों के साथ-साथ इस घिनौने कृत्य को बिना विरोध किए देखने वाले लोगों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है। जानवरों के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग जानवरों के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह आगे चलकर जानवरों या मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, केरल में अमीरुल इस्लाम को विधि की एक छात्रा जीशा का बलात्कार कर उसकी हत्या करने के लिए मौत की सजा सुनाए गयी जबकि उससे पहले वह कुत्तों और बकरियों का बलात्कार कर उन्हें मार चुका था। घरेलू हिंसा पीड़ितों पर किए गए एक अध्ययन में 60% महिलाओं ने माना कि उनके अत्याचारी पार्टनरों ने उनके कुत्तों या अन्य जानवरों को भी नुकसान पहुंचाया या मार दिया।
PETA इंडिया देश के ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’, 1960 को मजबूत करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहा है। इस कानून में कड़ी सज़ाए तो हैं लेकिन यह बहुत पुराना और अप्रासंगिक है, जैसे पहली बार जानवरों पर अपराध का दोषी पाये जाने पर महज़ 50 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। PETA इंडिया ने हाल ही में, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में संशोधन से संबंधित अपने प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे हैं जिसमें जानवरों के खिलाफ़ क्रूरता का दोषी पाये जाने वालों पर 25,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के जुर्माने और पांच साल तक की कैद की सजा के प्रावधान की सिफारिश की है। एक संज्ञेय अपराध या दूसरे गैर-संज्ञेय अपराध की स्थिति में हमने अभियुक्त के जानवर को जब्त करने और भविष्य में किसी अन्य जानवर के संरक्षण के अधिकार को समाप्त करने की भी सिफ़ारिश करता है।