एनिमल राहत के शोध द्वारा घोड़ों के साथ होने वाले शोषण का खुलासा किया गया

Posted on by Siffer Nandi

22 मार्च 2023 को, पशु राहत संगठन एनिमल राहत ने माथेरान, महाराष्ट्र में पर्यटकों और भार ढोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों और खच्चरों के लिए काम करने की स्थिति का आकलन किया, और जीवन भर के भीषण श्रम के कारण जिससे उनकी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खुलासा किया गया। इनमें से 75% से 100% के बीच जानवर पैर की गंभीर समस्याओं से पीड़ित हैं जिसके कारण वह लंगड़ेपन का शिकार भी होते हैं। शोध किए गए घोड़ों में से, 25% घोड़ों पर क्रूर काँटेदार लगामों का प्रयोग किया जा रहा था, जो कि परिवहन तथा कृषि पशुओं पर क्रूरता-निवारण नियम, 1965 के अंतर्गत प्रतिबंधित है।

जुलाई 2022 में पुणे में कलेक्टर कार्यालय के बाहर PETA इंडिया और महाराष्ट्र पुलिस द्वारा जब्त की गयी 100 से अधिक काँटेदार लगामों का प्रदर्शन किया गया था एवं एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया था लेकिन इसके बावजूद आज भी पशुओं को चोट पहुंचाने वाले इन क्रूर उपकरणों का प्रयोग जारी है। पुलिस द्वारा कोल्हापुर, महाबलेश्वर, माथेरान और पंचगनी में एक अभियान चलकर इस प्रकार की लगामों को जब्त कर लिया था। इस अभियान के तहत PETA इंडिया द्वारा लोगों को अपनी शादी में और हिल स्टेशनों की यात्रा के दौरान घोड़े का प्रयोग न करने हेतु जागरूक किया गया।

एनिमल राहत के नए अध्ययन द्वारा यह स्पष्ट रूप से पता चला है कि आज भी माथेरान में घोड़ों और खच्चरों का शोषण जारी है, जिसमें जीवन भर कठिन श्रम के कारण लाइलाज बीमारियों का शिकार होना शामिल है। PETA इंडिया मांग करता है कि इन पशुओं को पर्यावरण अनुकूल गैर-पशु वाहनों से बदला जाएँ।

एनिमल राहत की विस्तृत शोध रिपोर्ट यहाँ उपलब्ध है।

आप भी सवारी या शादियों हेतु घोड़ों का उपयोग न करने की प्रतिज्ञा लेकर इन निर्दोष जानवरों की सहायता कर सकते हैं।

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