जीव-जन्तु कल्याण ने कोलकाता प्राधिकरण को घोड़ों के प्रति क्रूरता की तत्काल जांच करने का आदेश दिया
PETA इंडिया द्वारा पंजीकृत जानवरों के साथ किए जाने वाले गंभीर शोषण से संबंधित शिकायत दर्ज़ कराए जाने के बाद केंद्र सरकार के निकाय भारतीय जीव-जन्तु कल्याण (AWBI) ने कोलकाता पुलिस और पशुपालन एवं पशु चिकित्साकीय सेवा निदेशालय को सवारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों के साथ की जाने वाली क्रूरता की तत्काल जांच करने साथ ही एक “एक्शन रिपोर्ट” दर्ज़ कराने का आदेश दिया। AWBI ने इंगित किया कि पशुओं के प्रति क्रूरता PCA अधिनियम की धारा 11 (1) और भारतीय दंड की धारा 289 के तहत एक दंडनीय अपराध है। AWBI ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया कि घोड़ों को आवश्यक पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाए, उनसे काम न कराया जाए और ज़रूरत पड़ने पर उनका पुनर्वास किया जाए।
अपनी शिकायत के माध्यम से PETA इंडिया ने तीन औपचारिक मूल्यांकन रिपोर्ट साझा की, जिसमें फोटोग्राफिक साक्ष्य शामिल हैं और जिसमें भुखमरी, कुपोषण, झुलसने वाले घावों, अधिक काम एवं लंगड़ापन के साथ-साथ कानून के अन्य उल्लंघनों से पीड़ित घोड़ों के साथ बड़े पैमाने पर क्रूरता को उजागर किया गया है। PETA इंडिया ने AWBI से राज्य सरकार को सवारी हेतु इस्तेमाल किए जाने वाले अस्वस्थ एवं अपंजीकृत घोड़ों को जब्त करने और उन्हें अभयारण्य में पुनर्वासित करने हेतु आदेश देना का अनुरोध किया था।
हाल ही में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे में, राज्य सरकार द्वारा ऐसी नीति लागू करने का निर्णय लेने का दावा किया गया जिसके अंतर्गत अपंजीकृत घोड़ों की सवारी अवैध है। राज्य सरकार के अनुसार, इस नियमन के तहत उन घोड़ों का उचित इलाज किया जाएगा जो लंगड़े, बीमार, कमजोर या गर्भवती हैं।
BREAKING: Horses used for hauling carriages in Kolkata were found suffering from fractures and other injuries, starving, falling victim to traffic accidents and diseases, and enduring a prolonged death.
Help us put an end to this cruelty NOW: https://t.co/dhnne0sfi7
— PETA India (@PetaIndia) February 1, 2022
PETA इंडिया और CAPE फ़ाउंडेशन की एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, शहर में सवारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सौ से अधिक घोड़े एनीमिक, कुपोषित और भूख से पीड़ित हैं और साथ ही कई जानवरों की हड्डियाँ टूटी हुई हैं और इन्हें अपने ही मल-मूत्र के बीच शहर के बेहद गंदे, जर्जर और अवैध रूप से कब्जे वाले परिसरों में कैद करके रखा गया है जिनमें फ्लाईओवर के नीचे का एक तंग क्षेत्र शामिल है। अध्ययन रिपोर्ट में सड़कों पर सवारी करने वाले घोड़ों से हुई 10 अलग अलग सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों को संकलित कर बताया गया है कि यह पर्यटकों के लिए कितना खतरनाक है। इस तरह की दुर्घटनाएं जानवरों के लिए अनावश्यक दर्द और पीड़ा का कारण बनती हैं और यात्रियों के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा करती हैं। एक जनहित याचिका के माध्यम से, समूहों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय से सवारी के लिए घोड़ों के उपयोग पर रोक लगाने की अपील की है।