PETA इंडिया की शिकायत के परिणामस्वरूप जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से मुर्गों की अवैध लड़ाई रोकने का आग्रह किया
PETA इंडिया की एक शिकायत में उल्लेखित किया गया था कि देश में मुर्गों की अवैध लड़ाई पर प्रतिबंध के बावजूद, इन लड़ाईयों के लिए विशेष रूप से अखाड़े स्थापित किए गए हैं और इसके लिए मुर्गों को स्टेरॉयड और शराब भी दी जा रही है। इस शिकायत के परिणामस्वरूप केंद्र सरकार की वैधानिक संस्था भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने तुरंत कार्यवाही करते हुए, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के राज्यकीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड के अधिकारियों को एक पत्र जारी करके उचित कानूनी कार्रवाई करने और कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11(1) (m) (ii) और (n) के तहत मुर्गों की लड़ाई निषिद्ध है। इससे पहले, PETA इंडिया ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पुलिस को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का आग्रह किया था और जब्त पक्षियों को संरक्षण प्रदान करने की पेशकश भी करी थी। इसके बाद, आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने यूनिट अधिकारियों को मकर संक्रांति के दौरान सतर्क रहने और मुर्गों की लड़ाई के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं।
लड़ाई के लिए पाले गए मुर्गों को अक्सर तंग पिंजरों में रखा जाता है और अभ्यास लड़ाई में यातना दी जाती है। इस दौरान इन मुर्गियों को अलग-अलग प्रकार के शोषण का सामना करना पड़ता है जिसमें उनकी आँख फोड़ना, उनके पंखों और पैरों को तोड़ना, उनके फेफड़ों पर वार करना और यहाँ तक उनकी रीढ़ की हड्डी को तोड़ना भी शामिल है। इस प्रकार की लड़ाईयों हेतु प्रयोग किए गए मुर्गे अक्सर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और अपनी जान भी गवाँ देते हैं। इन आयोजनों में, कई बार ब्लेड लगाए गए मुर्गे गलती से मनुष्यों को भी मार देते हैं।
आप भी सहायता कर सकते हैं!
यदि आपको कही से भी मुर्गों की लड़ाई के बारे में जानकारी मिलती हैं, तो तुरंत पुलिस और स्थानीय पशु-सुरक्षा संगठन को सूचित करें। पशु-संरक्षण संगठनों की एक निर्देशिका यहां पाई जा सकती है।