दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच PETA इंडिया ने अपने नए बिलबोर्ड अभियान के माध्यम से लोगों को सांस समस्याओं के साथ ब्रीड किए गए कुत्तों को न खरीदने का अनुरोध किया
दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच PETA इंडिया ने अपने नए बिलबोर्ड अभियान के द्वारा जनता से चपटे-मुँह वाले कुत्तों को न खरीदने का अनुरोध किया। इस बिलबोर्ड में, एक महिला को मास्क पहने हुए और एक कुत्ते को हर सांस के लिए संघर्ष करते हुए देखा जा सकता है। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि इस प्रचंड प्रदूषण के बीच जिस तरह इन्सानों को सांस लेने में परेशानी हो रही है उसी तरह असामान्य और मानव निर्मित शारीरिक अक्षमताओं के साथ जबरन ब्रीड किए गए कुत्तों को हमेशा सांस लेने में परेशानी होती है और इस प्रदूषण के बीच उनकी यह परेशानी और भी बढ़ जाती है।
वोडाफोन के विज्ञापन द्वारा भारत में लोकप्रिय हुए पग जैसे विदेशी प्रजाति के और अन्य श्वास-बाधित नस्लों (BIB) जैसे French एवं English bulldogs, pugs, Pekingese, Boston terriers, boxers, Cavalier King Charles spaniels, और shih tzus प्रजाति के कुत्ते ब्रेकीसेफेलिक सिंड्रोम नामक जानलेवा बीमारी से पीड़ित होते हैं। इस बीमारी के कारण कुत्ते अपनी कोई भी प्राकृतिक गतिविधि सामान्य ढंग से नहीं कर पाते हैं जिसमें टहलना, गेंद का पीछा करना, दौड़ना और खेलना शामिल है जो उनकी मानसिक और शारीरिक अवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है। इसलिए PETA इंडिया ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला से पशु क्रूरता निवारण (कुत्ते प्रजनन और विपणन) नियम, 2017 में संशोधन करने का आग्रह किया है, ताकि इन जानवरों के प्रजनन पर रोक लगाई जा सके।
PETA इंडिया ने यह भी चेतावनी दी है कि कुत्तों की बिक्री करने वाली अधिकांश दुकानें व ब्रीडर्स राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं होते और उनके द्वारा बेचे जाने वाले “पेडिग्री” कुत्तों को उचित पशु चिकित्साकीय देखभाल और पर्याप्त भोजन, व्यायाम, प्यार और समाजीकरण से वंचित रखा जाता है। जिन लोगों के पास पर्याप्त समय, प्यार, करुणा और संसाधन हैं, PETA इंडिया उन सभी लोगों से आग्रह करता है कि आश्रय गृहों या सड़कों पर जीवन यापन कर रहे किसी कुत्ते को गोद लें व उसे अपनाएं।