PETA इंडिया ने स्थानीय अधिकारियों से महात्मा गांधी रोड पर मांस की बिक्री एवं विज्ञापनों पर रोक लगाने का अनुरोध किया
गांधी जयंती (2 अक्तूबर) से ठीक पहले, PETA इंडिया ने इंदौर सहित भारत भर के नगर निगम प्रमुखों को पत्र लिखकर उनसे महात्मा गांधी के अहिंसा का समर्थन करने वाले विचारों का सम्मान करते हुए, गांधी जयंती के अवसर पर शहर के महात्मा गांधी (MG) रोड पर मांस की बिक्री एवं इससे संबंधित विज्ञापनाओं पर रोक लगाने का अनुरोध किया। PETA इंडिया ने अपने पत्र में लिखा कि इस राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता जी का मानना था कि “मांसाहार हमारी प्रजाति के लिए अनुपयुक्त है” और उन्होंने अपने अनुयायियों को सदा जीवित प्राणियों के प्रति दया एवं करुणा का भाव रखने हेतु प्रोत्साहित किया।
PETA इंडिया गांधी जी के विचारों से पूरी तरह से सहमत है कि मांस-मुक्त भोजन का सेवन करने से अनेकों जानवरों को पीड़ा से बचाया जा सकता है। वर्तमान में मांस, अंडा और डेयरी उद्योग के कारण अरबों जानवरों को बड़े-बड़े गोदामों में कैद करके पाला जाता है। PETA इंडिया की एक विडियो “ग्लास वॉल” में दिखाया गया है कि भोजन हेतु प्रयोग होने वाली मुर्गियों के गले काटे जाने से पहले अक्सर उन्हें उल्टा लटकाया जाता है। माँस के लिए मारी जाने वाली गायों और भैसों को छोटे एवं तंग वाहनों में ठूस-ठूसकर भरकर इस तरह बूचड़खानों तक पहुंचाया जाता है की रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं और सूअरों के सचेत अवस्था में रहते उनके गले में चाकू घोंप दिया जाता है। समुद्र से पकड़ी गयी मछलियों को पानी से निकाल कर नौकाओं की डेक पर फेंक दिया जाता है जिससे वह एक एक सांस के लिए संघर्ष करती हैं या उन्हें काटकर उनकी भयनाक हत्या कर दी जाती है।
वीगन भोजनशैली अपनाकर हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है; इसके द्वारा ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन को कम करके जलवायु आपदा से लड़ने में मदद मिलती है; और यह भविष्य की महामारियों को रोकने में भी सहायक है। बड़े तौर पर ऐसा माना जाता है कि COVID-19 की शुरुआत भी जिंदा-पशु मंडियों से हुई है, एवं SARS, स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू जैसे बीमारियों को भी भोजन हेतु जानवरों को कैद करने और उन्हें मौत के घाट उतारने से जोड़कर देखा जाता है।
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