बेगूसराय के मंदिर को पशु बलि की पुरानी और क्रूर प्रथा ख़त्म करने हेतु PETA इंडिया की ओर से पुरुस्कार
PETA इंडिया की ओर से “मां दुर्गा मंदिर पुष्पलता घोष चैरिटेबल ट्रस्ट” को बिहार के बेगूसराय स्थित माँ दुर्गा मंदिर में क्रूर पशु बलि की बजाए वहाँ फल और सब्जियों का चडावा चड़ाने का निर्णय लेने हेतु “प्रगतिशील संस्थान पुरस्कार” से नवाज़ा जा रहा है। PETA इंडिया द्वारा ट्रस्ट को यह पुरस्कार दयालु पूजा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए दिया जा रहा है जिसके ज़रिये उन जानवरों को दर्दनाक मौत से बचाया जा सकेगा जो जिंदा रहते अपनी मौत का दर्द महसूस करते थे।
हर साल ईद-उल-अज़हा, दशहरा और दुर्गा पूजा जैसे वार्षिक धार्मिक त्योहारों के दौरान बकरियों, भैंसों और मुर्गियों सहित हजारों जानवरों को मौत के घाट उतारा जाता है। इन सभी जानवरों को परिवहन संबंधी कानूनों का उल्लंघन करते हुए भारी भीड़ वाले ट्रकों में एक साथ भरा जाता है, जिसके कारण इन्हें सांस लेने में परेशानी होती है और इनकी हड्डियाँ भी टूट जाती हैं। पशु बलि या कुर्बानी के दौरान, अप्रशिक्षित लोगों द्वारा खुलेआम जानवरों के गले काट दिये जाते हैं या अन्य डरे-सहमे जानवरों के सामने उनके सिर काट दिये जाते हैं वो भी इन्हें बेहोश किए बिना जो कि लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों के लिए कानूनी अनिवार्यतः है।
हाल ही में, कई सांसदों ने PETA इंडिया की मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला जी को की गयी अपील का समर्थन किया, जिसमें “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” की धारा 28 को हटाने का आह्वान किया गया था। इसके अंतर्गत, “किसी भी समुदाय के धर्म मजहब के हिसाब से किसी भी जानवर की हत्या करना इस अधिनियम में अपराध नहीं माना जाएगा।“
गुजरात, केरल, पुडुचेरी और राजस्थान सहित कई राज्यों में पहले से ही ऐसे कानून हैं जो किसी भी मंदिर या उसके परिसर में पशुओं के धार्मिक बलिदान को प्रतिबंधित करते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्य किसी भी सार्वजनिक धार्मिक स्थल व परिसर या सड़क पर निकाली गयी धार्मिक मण्डली या जुलूस के दौरान पशु बलि को प्रतिबंधित करते हैं।