PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद बुलंदशहर के किशोर को बिल्ली को प्रताड़ित करने व अन्य पशुओं के साथ दुर्व्यवहार करने और बाल यौन शोषण में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिया गया

Posted on by Erika Goyal

एक नाबालिग किशोर के द्वारा एक बिल्ली को बोरे में बंद करके हिंसक तरीके से घुमाने के आरोप में दिनांक 29 अगस्त को कोतवाली देहात पुलिस स्टेशन में उक्त किशोर के खिलाफ ‘पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960’ की धारा 3 और 11 के तहत प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गयी थी। पशु क्रूरता की यह घटना सामने आने के बाद, PETA इंडिया इस मामले में हस्तक्षेप किया और आरोपी के सोशल मीडिया अकाउंट पर एक विस्तृत जांच में पाया कि वह किशोर कई पशुओं के साथ दुर्व्यवहार करता नज़र आ रहा है जिसमें ऐसे वीडियो भी शामिल थे जिनमें उसे काली काईट और किंग कोबरा (सांप) के साथ दुर्व्यवहार करते हुए दिखाया गया था। यह दोनों प्रजातियाँ वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम (डब्ल्यूपीए), 1972 की अनुसूची “I” के तहत संरक्षित हैं। किशोर के इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक अन्य वीडियो में यह किशोर एक अन्य मानव बच्चे को अनुचित तरीके से छूते हुए दिखाई दे रहा है। PETA इंडिया ने बुलन्दशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और प्रभागीय वन अधिकारी को एक पत्र लिखा और बुलन्दशहर शहर के सर्कल अधिकारी से मुलाकात की और अनुरोध किया कि उक्त किशोर के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर में अन्य अपराधों हेतु भी प्रासंगिक कठोर धाराएं जोड़ी जाएं। जिसके उपरांत दर्ज एफआईआर में अन्य धाराओं को शामिल करने के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लिया है।

एफआईआर में “सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000” की धारा 67बी और “बाल यौन शोषण संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012” की धारा 13 और 14 शामिल हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश वन विभाग के बुलन्दशहर वन प्रभाग द्वारा वन्यजीव दुर्व्यवहार से संबंधित अपराधों के लिए “वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972” की  धारा 9, 39(3) तथा 51 के तहत एक प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट भी दर्ज की गई थी। चूंकि आरोपी अभी किशोर है, इसलिए उसे हिरासत में ले लिया गया और किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया, जहां से उसे पर्यवेक्षण गृह भेज दिया गया।

‘आईटी अधिनियम, 2000’ की धारा 67बी, इलेक्ट्रॉनिक रूप में बच्चों को यौन कृत्यों में चित्रित करने वाली सामग्री को प्रकाशित करने हेतु दंडित करता है। इस धारा के तहत उल्लंघन का आरोपी पाए जाने पर पांच साल तक की कैद और/या 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। POCSO अधिनियम, 2012 की धारा 13 और 14, अश्लील उद्देश्यों के लिए बच्चों का उपयोग करने पर जुर्माना लगाती है, जिसमें जुर्माने के साथ-साथ न्यूनतम पांच साल की कैद का प्रावधान है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के धारा 9 संरक्षित प्रजाति के जंगली पशुओं के शिकार पर रोक लगाती है। इस धार में “शिकार” को पकड़ने, पीछा करने, फँसाने या यहाँ तक कि ऐसा करने का प्रयास करने के रूप में परिभाषित किया गया है। शेड्यूल “I” के तहत संरक्षित प्रजाति के पशुओं का शिकार करने पर वन्यजीव संरक्षण की धारा 51 के तहत कम से कम तीन साल की जेल की सजा हो सकती है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और कम से कम 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

PETA इंडिया अनुशंसा करता है कि पशुओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को मनोचिकित्सकीय मूल्यांकन से गुजरना चाहिए और परामर्श प्राप्त करना चाहिए, क्योंकि इस तरह की हरकतें अक्सर गहरी मनोवैज्ञानिक गड़बड़ी का संकेत देती हैं। अनुसंधान से पता चलता है कि जो व्यक्ति पशुओं के प्रति क्रूरता करते हैं, वे अक्सर आगे चलकर बार-बार अपराध करते हैं जो मनुष्यों सहित अन्य पशुओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है, “जो लोग पशु क्रूरता में संलग्न होते हैं, उनमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों के दुरुपयोग सहित अन्य अपराध करने की संभावना [तीन] गुना अधिक होती है।”

PETA इंडिया ने पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 को मजबूत करने के लिए लंबे समय से अभियान चलाया हुआ है। इस कानून में अभी पुराने और अपर्याप्त दंड शामिल हैं, जैसे कि पशुओं पर क्रूरता या अपराध का पहली बार दोषी पाए जाने पर केवल 50 रुपये दंड का प्रावधान है (हालाँकि भारतीय न्याय संहिता, 2023, कड़ी सज़ा का प्रावधान करता है)। पीसीए अधिनियम में संशोधन के संबंध में केंद्र सरकार को भेजे गए एक प्रस्ताव में, PETA इंडिया ने पशुओं के प्रति क्रूरता के लिए दंड में उल्लेखनीय वृद्धि करने की सिफारिश की है।

 

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