हैदराबाद में पिंजरे में बंद ‘पक्षी’ ने जनता से पक्षियों को आज़ाद उड़ने देने का आग्रह किया
हैदराबाद के धरना चौक पर PETA इंडिया की एक समर्थक ने पक्षी बनकर लोगों को यह दयालु संदेश दिया कि पक्षियों को पिंजरों में बंद करना और उन्हें उड़ने की आजादी से वंचित करना बेहद क्रूर है।
पक्षियों को पिंजरों में बंद करना ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ का उलंघन है जिसमे कहा गया है कि किसी भी जानवर को किसी पिंजरे में बंद करना या किसी ऐसे स्थान में कैद रखना जो उसकी ऊंचाई, लंबाई व चौड़ाई के अनुसार पर्याप्त नहीं है व जहां वह जानवर या पक्षी ठीक से मूमेंट भी न कर पाये वह गैरकानूनी है। पक्षियों के लिए हवा में उड़ना उनका प्रकर्तिक स्वभाव है। इसके अलावा ‘वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के तहत देशी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के पकड़ने, पिंजरों में कैद करके रखने और उनकी खरीद फ़रोक्त करने पर भी रोक है और इसका पालन ना करने पर 3 साल तक कैद और 25000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा का प्रावधान है।
अपने प्रकर्तिक जीवन में यह पक्षी अनेकों तरह की सामाजिक गतिविधियों में लीन रहते हैं जैसे कि रेत में नहाना, लुका छुपी खेलना, नाचना, साथी दोस्तों के साथ मिलकर घोंसले बनाना व अपने नन्हें बच्चों की परवरिश करना। लेकिन जब इन पक्षियों को पिंजरों में कैद कर लिया जाता है तो यह खुशदिल पक्षी उदास व निराश हो जाते हैं। वह तनाव के चलते खुद को चोटिल कर लेते हैं। बहुत से लोग इन पक्षियों के पर कुतर देते हैं ताकि वह आसमान में ना उड़ सकें हालांकि पक्षियों के लिए उड़ना उतना ही जरूरी है जितना कि इन्सानों के लिए चलना फिरना।