PETA इंडिया के प्रयासों के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को गाड़ियों को खींचने हेतु प्रयोग होने वाले घोड़ों के लिए पुनर्वास योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

Posted on by Erika Goyal

हाल ही में, माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय ने PETA इंडिया और CAPE फ़ाउंडेशन के प्रयासों के परिणामस्वरूप, कोलकाता में घोड़ा गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की योग्यता को स्वीकार करते हुए, राज्य सरकार को घोड़ा मालिकों के पुनर्वास और उन्हें विक्टोरिया गाड़ियों में पर्यटकों को ले जाने के लिए एक वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया है जिससे, “मुंबई की तरह घोड़े से खींची जाने वाली गाड़ियों की प्रथा को समाप्त किया जा सके और इसकी व्यवहार्यता की जांच की जा सके”। मुंबई में घोड़ागाड़ियों को बैटरी से चलने वाली गाड़ियों से विस्थापित कर दिया गया है।

e-carriage display in Kolkata

PETA इंडिया और CAPE फाउंडेशन द्वारा दायर 2021 की रिट याचिकाओं 318 और 327 में माननीय मुख्य न्यायाधीश TS शिवगणनम और माननीय न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ द्वारा पारित आदेश में, उच्च न्यायालय ने राज्य में घोड़ों की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करी थी। शहर में घोड़ों से संबंधित विनियामक और कल्याण मुद्दों को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में सरकार की लगातार विफलता, बताते हुए, कोर्ट ने कहा था “कागज पर सब कुछ अच्छा दिखता है लेकिन अब तक कुछ भी सार्थक नहीं हुआ है।” न्यायाधीशों ने कहा कि पशुपालन और पशु चिकित्सकीय सेवा विभाग द्वारा पिछले पांच महीनों से घोड़ों के लिए स्वास्थ्य शिविरों पर कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की गई है। अपने शिकायती पत्रों में PETA इंडिया ने उल्लेखित किया कि पिछले स्वास्थ्य शिविर भी केवल दिखावा बनकर रह गए थे।

विफलता पर चिंता व्यक्त करने के बाद आए हैं, जिसमें कहा गया है कि “ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों ने उक्त मुद्दे पर आंखें मूंद ली हैं”। अदालत ने राज्य सरकार को जून 2022 में अपने स्वयं के वचन को लागू करने में देरी के लिए स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया कि लंगड़े, बीमार, कमजोर और गर्भवती घोड़ों को उचित चिकित्सा उपचार प्रदान किया जाएगा जिसके अभाव में यह अत्यधिक भारी गाड़ियां ढोने वाले जानवरों की परेशानी बढ़ जाएगी और उन्हें भविष्य किसी भी गतिविधि के लिए अयोग्य बना सकता है। PETA इंडिया ने जब्त किए गए घोड़ों के पुनर्वास की पेशकश की है ताकि उन्हें आवश्यक विशेषज्ञ अश्व पशु चिकित्सा देखभाल, उपचार और आराम मिल सके।

घोड़ों का स्वास्थ्य निरीक्षण सितंबर 2022 में कोलकाता मैदान अदालत द्वारा नियुक्त एक समिति द्वारा किया गया था जिसमें पशु संसाधन विकास विभाग, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, PETA इंडिया और CAPI फाउंडेशन (याचिकाकर्ता) के एक प्रतिनिधि और घोड़ा मालिकों के एक प्रतिनिधि शामिल थे। 12 सितंबर 2022 की एक रिपोर्ट के माध्यम से, समिति ने सर्वसम्मति से पाया कि निरीक्षण किए गए सभी घोड़े किसी न किसी प्रकार की बीमारी से पीड़ित थे और पर्यटकों की सवारी के लिए अयोग्य घोड़ों का व्यावसायिक शोषण नहीं किया जाना चाहिए।

हाल ही में, पुलिस ने एक घटना के लिए पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की, जहां एक पर्यटक गाड़ी को खींचने के लिए मजबूर किए गए एक घोड़े को पुलिस और जनता के सामने मृत अवस्था में गिरा दिया गया, जिससे कोलकाता में चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन के पास यातायात में काफी मुश्किल पैदा हो गई। इस घटना के साथ ही शहर में हाल के महीनों में मरने वाले घोड़ों की संख्या छह हो गई है, इसमे अधिकांश ऐसे हैं जो अत्यधिक काम लिए जाने के चलते मौत का शिकार हुए हैं, जबकि एक घोड़ा कोलकाता मैदान में लगे नुकीले सरिये की सीखों पर फस जाने से दर्दनाक मौत का शिकार हुआ था। इस आंकड़े में केवल सार्वजनिक की गई मौतें शामिल हैं – वास्तविक मृत्यु दर बहुत अधिक हो सकती है।

कोलकाता में पर्यटकों की गाड़ियों को खींचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों की दुर्दशा देखने या उनकी स्थिति के बारे में सामग्री की समीक्षा करने के बाद, 150 से अधिक पशु चिकित्सकों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक अपील भेजी, जिसमें अनुरोध किया गया कि उनकी सरकार जानवरों की खराब सेहत और बिगड़ती स्थिति को ध्यान में रखकर घोड़ागाड़ियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दे। PETA इंडिया द्वारा लंबे समय से इन गाड़ियों को मोटर चालित ई-गाड़ियों से बदलने की अपील की जा रही है और हमारे द्वारा घोड़ों के पुनर्वास में सहायता करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। मुंबई में, इस प्रकार की घोड़ागाड़ियों को विंटेज शैली के गैर-पशु वाहनों से बदला गया है।

कोलकाता में घोड़ा गाड़ियों की प्रथा को समाप्त कराने मे सहायता करें