कलकत्ता हाई कोर्ट पर्यटकों को सवारी कराने के लिए बीमार और अयोग्य घोड़ों का प्रयोग न करने हेतु आदेश पारित किया गया
PETA इंडिया और हज़ारों घोड़ा प्रमियों द्वारा माननीय न्यायमूर्ति TS शिवगणनम, और माननीय न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य के नेतृत्व में बनी कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ की सरहाना की जा रही है जिनके द्वारा यह घोषणा की गयी है कि कलकत्ता में पर्यटकों को सवारी कराने के लिए बीमार और अयोग्य घोड़ों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। इस दयालु आदेश के परिणामस्वरूप अब इन कमज़ोर जानवरों को विक्टोरिया मेमोरियल पर गाड़ी ढोने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 11 अप्रैल 2023 को पारित आदेश के अनुरूप, एक चिकित्सा निरीक्षण शिविर का आयोजन किया गया था जिसमें पश्चिम बंगाल के पशु संसाधन विकास विभाग (ARDD) द्वारा इन घोड़ों को “अयोग्य” पाया गया था। यह आदेश PETA इंडिया और CAPE फाउंडेशन द्वारा दायर याचिकाओं के परिणामस्वरूप पारित किया गया है, जिसमें बीमार घोड़ों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी थी। अदालत द्वारा अपने आदेश में, ARDD को नगर निगम, घोड़ा मालिकों और दोनों याचिकाकर्ताओं से परामर्श करने का भी निर्देश दिया गया जिससे 16 पीड़ित घोड़ों को इलाज के लिए किसी उचित सुविधा में पुनर्वासित किया जा सके।
We thank all the kind veterinarians for speaking up for horses in Kolkata and urging Honourable Chief Minister @MamataOfficial to prohibit the use of horse-drawn carriages considering the animals’ poor health and deteriorated condition.https://t.co/tyJCu01Owa pic.twitter.com/lZ0qIqqNwy
— PETA India (@PetaIndia) April 11, 2023
कोलकाता में पर्यटकों की गाड़ियों को खींचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों की दुर्दशा देखने या उनकी स्थिति के बारे में सामग्री की समीक्षा करने के बाद, 150 से अधिक पशु चिकित्सकों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक अपील भेजी, जिसमें अनुरोध किया गया कि उनकी सरकार जानवरों की खराब सेहत और बिगड़ती स्थिति को ध्यान में रखकर घोड़ागाड़ियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दे। PETA इंडिया द्वारा लंबे समय से इन गाड़ियों को मोटर चालित ई-गाड़ियों से बदलने की अपील की जा रही है और हमारे द्वारा घोड़ों के पुनर्वास में सहायता करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। मुंबई में, इस प्रकार की घोड़ागाड़ियों को विंटेज शैली के गैर-पशु वाहनों से बदला गया है।
हाल ही में, PETA इंडिया द्वारा घोड़ों के साथ दुर्व्यवहार और उपेक्षा की शिकायतों के बाद, भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने कोलकाता पुलिस एवं पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा निदेशालय को घोड़ों के प्रति क्रूरता की तत्काल जांच करने का निर्देश दिया। अपने आदेश में बोर्ड ने उल्लेख किया कि जानवरों के प्रति क्रूरता करना “पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 3 का उल्लंघन है, और PCA अधिनियम की धारा 11 (1) और भारतीय दंड संहिता की धारा 289 के तहत दंडनीय अपराध है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने 8 जून 2015 के फैसले में उल्लेखित किया था कि मुंबई में “मनोरंजन सवारियों” के लिए घोड़ा-गाड़ी का उपयोग करना अवैध है। उच्च न्यायालय ने प्रकाशित किया कि शहर में कंक्रीट और तारकोल की सतहों पर घोड़ों को चलाने से जानवरों में कई तरह की खराब स्वास्थ्य स्थितियां पैदा होती हैं और आगे पाया गया कि जिन स्थितियों में घोड़ों को रखा गया था, वे “दयनीय” थीं। अदालत ने यह भी कहा कि गाड़ियों का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए किया जा रहा था न कि सार्वजनिक परिवहन के लिए। इसके अलावा, अदालत ने पाया कि मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 के तहत घोड़ों के किसी भी अस्तबल के पास लाइसेंस नहीं था। इसके बाद, 3 अप्रैल 2017 को, घोड़ा मालिकों द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मजबूती से अपना फैसला दोहराया था। वर्तमान में, मुंबई में पारंपरिक शैली की ई-गाड़ियों का उपयोग किया जाता है जिसे पर्यटकों और गाड़ी चालकों द्वारा समान रूप से पसंद किया जाता है।
कोलकाता में घोड़ा-गाड़ियों की प्रथा को समाप्त कराने में सहायता करें!