PETA इंडिया की शिकायत के बाद ग्वालियर के एक मंदिर से जंजीर में कैद बंदर का रेसक्यू किया गया
एक दयालु नागरिक से यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि ग्वालियर के लश्कर स्थित एक मंदिर में रीसस मकाक नामक प्रजाति के एक बंदर को अवैध रूप से बंधी बनाया गया है, PETA इंडिया ने मध्य प्रदेश वन विभाग के सहयोग से इस पीड़ित बंदर को सफलतापूर्वक रेस्कयू किया। अब इस बंदर को वापस जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया है।
लोगों के घरों में “पालतू पशुओं” के रूप में रखे गए या नाच करवाने के लिए मजबूर किए जाने वाले बंदरों को अक्सर जंजीरों से बांध दिया जाता है या छोटे पिंजरों में कैद करके रखा जाता है। इंसानों के मनोरंजन के ख़ातिर करतब सिखाने के लिए उन्हें अक्सर मारा-पीटा जाता है और भूखा रखकर प्रताड़ित किया जाता है एवं डरा-धमकाकर प्रशिक्षित किया जाता है। यहाँ तक कि, यह स्वयं का बचाव न कर सकें इसलिए इनके दांत तक नोच लिए जाते हैं। वर्ष 1998 में, केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत एक अधिसूचना जारी कर निर्देश दिया था कि बंदरों और जंगली पशुओं की विभिन्न प्रजातियों को प्रदर्शन करने वाले पशुओं के रूप में प्रदर्शित या प्रशिक्षित नहीं किया जाना चाहिए।