PETA इंडिया की अपील के बाद, चंडीगढ़ माता सूअरों को कैद में रखने वाले पिंजरों पर रोक लगाने वाले 24 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में शामिल

Posted on by Shreya Manocha

PETA इंडिया द्वारा माता सूअरों को कैद में रखने वाले पिंजरों के निर्माण, बिक्री एवं उपयोग पर रोक लगाने से संबंधित अपील के परिणामस्वरूप चंडीगढ़ पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग के निदेशक ने एक आदेश प्रसारित किया है जिसमें पशु क्रूरता निवारण सोसायटी के पशु चिकित्सा अधिकारी और मानद महासचिव-सह-MOH को उपरोक्त निषेध को अनिवार्य करने वाले कानून का पालन करने का निर्देश दिया गया है।

इस सर्क्युलर में, “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” की धारा 11(1)(e) का उल्लेख किया गया जिसके अंतर्गत किसी भी जानवर को जेस्टेशन और फेरोइंग क्रेट की तरह ऐसे तंग पिंजरों में कैद रखना जिनमें वह सही से हिल डुल तक न सके, वह अवैध है। पशुओं को इस प्रकार से कैद करना अवैध है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केंद्र द्वारा सुअरों के संबंध में जेस्टेशन एवं फेरोइंग क्रेट को अवैध घोषित किया गया है जिसका इस सर्कुलर में भी उल्लेख किया गया है।

चंडीगढ़ इस प्रकार के पिंजरों पर रोक लगाने वाले 24 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की सूची में शामिल हो गया है। सर्कुलर जारी करने वाले अन्य राज्यों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

गेस्टेशन क्रेट (उर्फ गर्भवती सुअर को जकड़ने का तंग पिंजरा) जो केवल सुअर की माप के होते हैं, इनका फर्श पक्का या कंक्रीट का होता है, जिसमे जानवरों को करवट बदलने या खड़े होने में अत्यधिक कष्ट होता है। गेस्टेशन क्रेट का इस्तेमाल गर्भवती सूअरों को एक जगह रोके रखने के लिए किया जाता है, बच्चों को जन्म देने के लिए फेरोइंग क्रेट (जन्म देने का तंग पिंजरा) में भेज दिया जाता है और उन्हें वहाँ तब तक रखा जाता है जब तक कि उनके नवजात बच्चों को उनसे अलग न कर दिया जाये। ये फेरोइंग क्रेट मूल रूप से गेस्टेशन क्रेट के समान होते हैं, बस इनमे सूअर के नवजात बच्चों के लिए साइड में छोटे खांचे बने रहते हैं।

गेस्टेशन और फेरोइंग क्रेट इतने छोटे व सँकरे होते हैं कि वे मादा सूअरों को उन सभी चीज़ों से वंचित कर देते हैं जो उनके लिए प्राकृतिक और महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि चारा खाना, अपने बच्चों के लिए घोंसला बनाना, अन्य सूअरों के साथ समूह में रहना, उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए कीचड़ में लोट पोट होना। क्रेट मे बंद सूअरों को जबरन अपने ही मल-मूत्र में सने रहने के लिए मजबूर किया जाता है। अत्यधिक क्रूरता सह रहे सुअर तनाव और हताशा का शिकार होते हैं जिसके परिणामस्वरूप असामान्य व्यवहार करते हैं जैसे कि बाड़े की सलाखों को लगातार काटने का प्रयास या हवा को लगातार चबाने की कोशिश करते रहना ।

वर्ष 2022 में, चंडीगढ़ प्रशासन ने पतंग उड़ाने वाले धारदार धागों से पक्षियों और मनुष्यों को होने वाले खतरे के खिलाफ़ एक व्यापक अधिसूचना जारी की और सभी प्रकार के माँझे पर रोक लगाई।

हमारे कार्य का समर्थन करें