अपडेट: वाइरल वीडियो में हाथी को पीटने वाले आरोपियों के खिलाफ़ मामला दर्ज़
आपने हाल ही में तमिलनाडु का एक वाइरल वीडियो ज़रूर देखा होगा जिसमें दो लोग एक बंधक हाथी को पीट रहे थे और आप निश्चित ही इस हिंसा को देखकर दुखी हुए होंगे।
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला एक “कायाकल्प शिविर” के अंदर किया गया जहां जानवरों को तथ्यात्मक रूप से अच्छी सेहत बनाने हेतु भेजा जाता है और इस क्रूर घटना के बाद “Hindu Religious & Charitable Endowments Department” ने दो महावतों को बर्खास्त कर दिया। वीडियो में पीटे जाने वाले जानवर का नाम “जयमाल्यथा” है और इसका संबंध “श्रीविल्लिपुथुर नाचियार थिरुकोविल मंदिर” से है।
इस मामले पर कार्यवाही करने वाले वन अधिकारियों ने PETA इंडिया को सूचित किया कि दोनों अपराधियों को गिरफ्तार करके “तमिलनाडु कैप्टिव एलिफेंट्स (मैनेजमेंट एंड मेंटेनेंस) नियम, 2011” के रूल 13 और WPA की धारा 51 के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया गया है। बाद में आरोपियों को स्थानीय मजिस्ट्रेट अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया।
इस दुःखद घटना से हमें सीख मिलती हैं कि हाथियों को त्योहारों, सवारियों या किसी अन्य मनोरंजन गतिविधि हेतु क़ैद करना क्यों गलत एवं क्रूर है। हाथियों को काबू करने के लिए उन्हें पीड़ादायक हथियारों से पीटा जाता है, सामान्य तौर पर भूखा-प्यासा रखा जाता है, स्वयं के मलमूत्र में लंबे समय तक खड़े रहने हेतु बाध्य किया जाता है, पशुचिकित्सकीय जांच से वंचित रखा जाता है और उनकी ज़रूरत न होने पर बांधकर रखा जाता है। विभिन्न प्रकार के उत्सवों और प्रदर्शनों हेतु प्रयोग किए जाने वाले जानवरों में गंभीर मानसिक बीमारियों के लक्षण देखें जा सकते हैं जिनमें लगातार सिर हिलाना, काटना, आदि शामिल हैं। यहाँ तक कि दृष्टिहीन और चोटिल जानवरों को भी मनुष्यों हेतु मेहनत करने के लिए जबरन बाध्य किया जाता है।
Swaying behavior in elephants is a sheer sign of psychological stress due to captivity.
Don’t steal their freedom!
Never support rides, circuses or any other form of entertainment that use elephants. #WorldWildlifeWeek pic.twitter.com/okQ6yB6ypm— PETA India (@PetaIndia) March 4, 2020
क़ैद किए गए जानवरों को अंतहीन पीड़ा का सामना करना पड़ता है। PETA इंडिया ने “सुंदर” नामक एक हाथी को संरक्षित किया था जिसे उसकी शिशु अवस्था में एक मंदिर को दान दे दिया गया था और निरंतर शोषण के कारण उसका पूरा शरीर गंभीर चोटों से भर गया था। इसे सालों तक एकान्त कारावास में रखा गया था, और इसकी रिहाई के लिए वर्षों चलाए गए अभियानों के बाद, इसे “बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क” में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां अब यह अपने साथियों के साथ तैराकी का आनंद उठाता है और अपने बेहतरीन संरक्षकों से प्यार-दुलार प्राप्त करता है।
“हाथी” सामाजिक जानवर होते हैं और इनके साथ दुर्व्यवहार करना या इन्हें क़ैद करके शोषित करना गलत है क्योंकि स्वाभाविक तौर पर यह अपना पूरा जीवन प्राकृतिक परिवेश में अपने परिवार के साथ बिताते हैं, अपने बुजुर्गों के ज्ञान और निर्णय क्षमता पर आश्रित रहते हैं, और ताजे भोजन के लिए एक दिन में दर्जनों किलोमीटर तक चलते हैं।
त्योहारों, सवारियों या अन्य प्रकार के मनोरंजन साधनों हेतु हाथियों के क्रूर प्रयोग के खिलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए इस प्रकार की गतिविधियों को अपने जीवन से निष्कासित करें और PETA इंडिया का समर्थन करने के लिए हमारे एक्शन अलर्टस हेतु साइनउप करें!
हाथियों को क्रूर प्रदर्शनों की पीड़ा से मुक्ति दिलाए