PETA इंडिया के सुझाव के बाद ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ ने जानलेवा “गिनी पिग परीक्षणों” को समाप्त किया
PETA इंडिया द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर करते हुए ”भारतीय मानक ब्यूरो’ की पशुपालन, चारा एवं उपकरण समिति जो पशुपालन, उनके चारे तथा उनके उपकरण के मानक स्थापित करने हेतु राष्ट्रीय समिति है, ने रोगजनक तत्वों की पहचान करने हेतु “गिनी पिग” पर होने वाले क्रूर जानलेवा परीक्षणों को बदल दिया है। इस प्रकार के चारे का सेवन जानवरों के लिए उपयुक्त नहीं होता। “उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण प्रणाली मंत्रालय” के अंतर्गत आने वाले “खाद्य और कृषि प्रभाग परिषद” ने “पशु आहार और भरण सामग्री” हेतु मानक परीक्षण तरीकों के भाग 3 में “माइक्रोबायोलॉजिकल तरीके” को अपनाने की मंजूरी प्रदान की है।
इस नए संशोधित मानक के प्रलेख में कहा गया हैं कि, “मानक में शामिल किए गए यह नए तरीके “पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन” पर आधारित हैं और यह सटीक एवं संवेदनशील होने के साथ-साथ प्रयोगशालाओं में “गिनी पिग परीक्षणों” की आवश्यकता को भी समाप्त करते हैं।”
“निर्णायक परीक्षणों” हेतु जानवरों के अंदर जिन सैम्पल पदार्थों को इंजेक्ट किया जाता हैं अगर उनमें बेसीलस एन्थ्रेसिस नामक जीवाणु या इसके बीजाणु प्रस्तुत हैं तो इनसे “एंथ्रेक्स” नाम की ख़तरनाक बीमारी का जन्म हो सकता है जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। इस बीमारी के कारण जानवरों के पेट या लिवर जैसे अंदरूनी शारीरिक अंगों में खून का रिसाव शुरू हो जाता है और लगभग 48 घंटों के लंबे अंतराल के बाद जानवरों की तड़प-तड़पकर दर्दनाक और भयानक मृत्यु होती है।
चलिए सब मिलकर भारतीय मानक ब्यूरो का धन्यवाद अदा करें !