दिल्ली : ‘अंतर्राष्ट्रीय पशु अधिकार दिवस’ के अवसर पर PETA इंडिया के दर्जनों समर्कों ने सांसदों की वेशभूषा पहनकर “पशुओं” के रूप में मजबूत पशु संरक्षण कानूनों की मांग की
अंतर्राष्ट्रीय पशु अधिकार दिवस और मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) से पहले, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया और आश्रय फाउंडेशन के दर्जनों समर्थक पशुओं के मुखौटे, मोदी जैकेट, सफेद कुर्ता एवं साड़ियाँ पहनकर और अपने हाथों में “पशुओं पर क्रूरता के खिलाफ मजबूत दंड होना चाहिए।“ का साइनबोर्ड लेकर, शुक्रवार को जंतर-मंतर पर एकत्र हुए। इस प्रदर्शन का प्रमुख उद्देश्य हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से पशु क्रूरता के खिलाफ़ मजबूत दंड प्रावधानों की मांग करना था। इस प्रदर्शन के लिए PETA इंडिया के समर्थकों ने गाय, कुत्ते, बंदर, चूहे और अन्य पशु बनकर एक विशाल बैनर भी फहराया, जिस पर संदेश लिखा था, “प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी, कृपया पशु क्रूरता के खिलाफ़ दंड व्यवस्था को मजबूत किया जाए” और अपने आसपास की जनता से इससे संबंधित एक याचिका पर हस्ताक्षर करने का भी अनुरोध किया। इस याचिका में, पशुओं पर क्रूरता का दोषी पाए जाने वाले अपराधियों के लिए जेल की सजा की अवधि को बढ़ाने, वर्तमान मूल्य के हिसाब से जुर्माने का निर्धारण करने, अनिवार्य काउंसलिंग और पशु शोषणकारियों पर भविष्य में पशु पालने या उनसे किसी प्रकार का संपर्क रखने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम” को वर्ष 1960 में पारित किया गया था। अब यह अधिनियम साठ साल से अधिक पुराना हो गया है जिस कारण इसके अंतर्गत आने वाले दंड प्रावधान और जुर्माना आज के दौर के हिसाब से बहुत पुराने हैं जैसे, पहली बार पशुओं पर क्रूरता का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 10 रुपये और अधिकतम 50 रुपये का जुर्माने का दंड है जो कि आज के हिसाब से बहुत ही कम है जिससे अपराधियों का कानून के प्रति डर ख़त्म हो जाता है। जबकि, “भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023” और “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972” के अंतर्गत पशु क्रूरता के खिलाफ़ मजबूत दंड प्रावधान रखे गए हैं।
PETA इंडिया पशु क्रूरता के अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।”