दिल्ली: PETA इंडिया द्वारा एकत्र किए गए सैम्प्ल्स में तांगा चलाने के लिए अवैध रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों में ग्लैंडर्स के लक्षण पाएँ गए जिससे मानव जीवन को बड़ा खतरा है
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR-NRCE) के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र ने हाल ही में पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA), इंडिया द्वारा दिल्ली में तांगा चलाने के लिए अवैध रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों से एकत्र किए गए तीन सैम्प्ल्स ग्लैंडर्स नामक एक खतरनाक ज़ूनोटिक बीमारी के लिए पोसिटिव पाए गए हैं जो मनुष्यों हेतु भी जानलेवा साबित हो सकती है। ICAR-NRCE द्वारा दिल्ली के पशुपालन एवं डेयरी विभाग से इस बीमारी के अधिक प्रकोप को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र में घोड़ों की आवाजाही को सख्ती से नियंत्रित करने और इनकी निगरानी करने का अनुरोध किया गया है। संस्था द्वारा इन तीन घोड़ों की संक्रामक बीमारी के संबंध में “पशुओं में संक्रामक और संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 2009” के अनुरूप कार्यवाही करने का अनुरोध भी किया गया है।
दिल्ली सरकार द्वारा दिनांक 4 जनवरी 2010 को पारित नगर निगम के रेसोल्यूशन नं. 590 के अंतर्गत दिल्ली शहर में घोड़े से खींचे जाने वाले तांगे के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन इसके बावजूद आज भी, दिल्ली में बेहद धीमी गति से चलने वाले तांगों के लिए लगभग 90 घोड़ों का प्रयोग किया जाता है। आज के आधुनिक युग में इस प्रकार के तांगों का प्रयोग, यातायात के लिए बड़ा ख़तरा होने के साथ-साथ घोड़ों के गोबर एवं शवों के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक हैं।
दिल्ली में काम करने के लिए मजबूर घोड़ों और बैलों की मदद करने और उनके गरीब मालिकों एवं परिवारों को आजीविका कमाने के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए, PETA इंडिया ने पहले ही 78 घोड़ा मालिकों और 56 बैल मालिकों को अपनी गाड़ियों को बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा से बदलने के लिए प्रोत्साहित किया है। PETA इंडिया द्वारा इस पहल के माध्यम से बचाए गए 134 से अधिक जानवरों को अभयारण्यों भी भेजा गया है। अब PETA इंडिया ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को पत्र लिखकर शहर में घोड़ों के पालन और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है एवं घोड़े से खींचे जाने वाले तांगों पर 2010 के प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया हैं। अपने पत्र में, PETA इंडिया ने जरूरतमंद घोड़ों के पुनर्वास में मदद करने की भी पेशकश की है।
PETA इंडिया ने उल्लेखित किया है कि वर्ष 2018 में 40 घोड़ों, वर्ष 2019 में आठ और वर्ष 2020 में एक घोड़े के ग्लैंडर्स हेतु पॉज़िटिव परीक्षण के बावजूद, शहर में घोड़ों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए उचित कदम नहीं उठाएँ गए हैं।
ग्लैंडर्स घोड़ों में होने वाली एक संक्रामक और जानलेवा बीमारी है। मनुष्य भी संक्रमित जानवरों या दूषित सतहों के संपर्क में आने से इसकी चपेट में आ सकते हैं। यह संक्रमित एरोसोल या धूल में सांस लेने या संक्रमित सेल या तरल पदार्थों को छूने से फैलता है। यह किसी कट या आंखों और नाक जैसे म्यूकस मेम्ब्रेन के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। ग्लैंडर्स फेफड़ों, स्प्लीन या/और लिवर में फोड़े का कारण बन सकता है और तात्कालिक एवं उचित उपचार के बिना, यह अक्सर घातक होता है।
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