PETA इंडिया की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायलाय ने “एशियाड सर्कस” से एक हिप्पो को जब्त करने का आदेश दिया

Posted on by PETA

22 जनवरी को PETA इंडिया की याचिका पर कार्यवाही करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायलय ने “दिल्ली सोसाइटी फॉर प्रेवेंटिंग क्रुएल्टी टू एनिमल्स” को आदेश दिया कि वह दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर “एशियाड सर्कस” से एक दरियाई घोड़े को जब्त करे और इस जानवर को किसी पास के चिड़ियाघर में स्थानांतरित कराए। कोर्ट ने अधिकारियों को यह भी आदेश दिया कि अगले आदेश तक इस दरियाई घोड़े (PETA इंडिया द्वारा इसका नाम “विजय” रखा गया है) का सही प्रकार से संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।

This lonely male hippopotamus is kept in isolation at an undisclosed location in a cramped enclosure by Asiad Circus….

Posted by PETA India on Monday, 14 October 2019

कोर्ट ने एशियाड सर्कस के मालिक के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर, सुनवाई की अगली तारीख पर उसकी उपस्थिति को अनिवार्य क़रार दिया। न्यायाधीश प्रतिभा एम सिंह ने याचिकाकर्ता, PETA इंडिया की ओर से पेश वकील डॉ. अमन हिंगोरानी की दलीलें सुनीं। इस मामले की अगली सुनवाई आने वाली 15 अप्रैल को तय की गई है।

 

PETA इंडिया ने वर्ष 2018 में एक याचिका दायर कर कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह इस दरियाई घोड़े को जब्त करने और इसे इसके जन्मस्थान संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना में वापिस भेजना का आदेश दे, यहाँ यह एक बार फिर अपने परिवार के साथ शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकेगा। समूह ने कोर्ट को 5 जनवरी 2021 के अपने आवेदन में सूचित किया था कि भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने 1 दिसम्बर 2020 को एशियाड सर्कस का पंजीकरण रद्द कर दिया है क्योंकि इस सर्कस ने कोर्ट के आदेशानुसार गठित निरीक्षण समिति को अपने नाम पर पंजीकृत जानवर दिखाने से या उनका स्थान बताने से मना कर दिया था।

अपनी याचिका के माध्यम से, PETA इंडिया ने यह भी अनुरोध किया कि कोर्ट “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” को निर्देश दे कि वह “केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण” के दायरे का विस्तार करे जिससे दरियाई घोड़े और पक्षी समेत उन जंगली जानवरों को भी शामिल किया जा सके, जो वर्तमान में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अधीन संरक्षित नहीं हैं।

सर्कस द्वारा इस जानवर को वर्ष 2015 में प्राप्त किया गया था और तभी से इसे एक अकेला जीवन जीने के लिए मज़बूर किया जा रहा था। PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करता है कि, “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने या किसी भी प्रकार का शोषण सहने के लिए नहीं है” और समूह द्वारा कोर्ट में प्रकाशित की गई एशियाड सर्कस संबंधी एक जांच में सामने आया कि अक्सर प्रदर्शन खत्म हो जाने के बाद अवांतुकों को केवल एक कमज़ोर जाली से संरक्षित इस जानवर के पास जाने दिया जाता था, जो कि उनकी जान के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता था। इस जांच में यह भी सामने आया कि इस जानवर को पानी की एक छोटी और गंदी टंकी में रखा जाता था जिसकी सतह ठोस फ़र्श से बनी थी जिस कारण इसे “आर्थेराइटिस” जैसी ख़तरनाक बीमारी का बड़ा ख़तरा था।

जानवरों का इस्तेमाल करने वाली सर्कसें क्यूँ गलत हैं