PETA इंडिया की याचिका को स्वीकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने “एशियाड सर्कस” से रिहा करवाए गए दरियाई घोड़े के लिए घर की मंजूरी दी

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15 अप्रैल को, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा दायर एक याचिका और भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) द्वारा प्रस्तुत की गयी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एशियाड सर्कस से रिहा करवाए गए दरियाए घोड़े को जामनगर स्थित पशु केंद्र भेजे जाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। PETA इंडिया की दलील के आधार पर कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि 30 सितंबर तक केंद्र सरकार उन विदेशी जानवरों के संरक्षण के लिए नियमावली बनाए जो अभी तक वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के दायरे में नहीं आते ।

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माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 17 फरवरी के दिये गए आदेश का पालन करते हुए “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” द्वारा उस जगह का निरीक्षण किया गया था जहां दरियाई घोड़े को रखा गया था व AWBI द्वारा की गयी इस जांच में उन्होने दरियाई घोड़े शारीरिक एवं मानसिक  स्थिति, वहाँ के परिवेश, देखभाल, तथा पौष्टिक खानपान की स्थितियों पर संतोष व्यक्त किया था। AWBI ने देखा कि उस दरियाई घोड़े को रेसक्यू किए गए अन्य मादा दरियाई घोड़ों के साथ बेहद साफ सुथरे महोल में रखा गया है व नियमित रूप से उसको पशु चिकित्सा प्रदान की जा रही है। AWBI ने यह भी माना कि वह सुविधा केंद्र “केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण” द्वारा जारी “विभिन्न प्रजातियों के आवास, विधेशी नस्ल के जानवरों के लिए बाड़ों के न्यूनतम आयामों” पर जारी दिशानिर्देशों का  पूर्णतया पालन करता है व इस दरियाई घोड़े को आजीवन संरक्षण हेतु इसी केंद्र में रखे जाने की सिफ़ारिश भी की है।

PETA इंडिया ने वर्ष 2018 में एक याचिका दायर कर कोर्ट से अनुरोध किया था कि एशियाड सर्कस में इस दरियाई घोड़े को भीषण अत्याचारों से रिहा किया जाए वहाँ इसे सीमेंट के बने छोटे गंदे पानी के टैंक में कैद करके रखा गया है। अपनी याचिका के माध्यम से, PETA इंडिया ने यह भी अनुरोध किया था कि कोर्ट “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” को निर्देश दे कि वह “केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण” के दायरे का विस्तार करें जिससे दरियाई घोड़े और पक्षी समेत उन जंगली जानवरों को भी शामिल किया जा सके, जो वर्तमान में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अधीन संरक्षित नहीं हैं।

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