“विश्व पर्यावरण दिवस” के उपलक्ष्य पर डिज़ाइनर रीना ढाका ने PETA इंडिया के नए वीडियो में चमड़े का विरोध किया
“विश्व पर्यावरण दिवस” (5 जून) के अवसर पर, डिज़ाइनर रीना ढाका ने PETA इंडिया की ओर से प्रकाशित नयी पब्लिक सर्विस घोषणा (PSA) में चमड़े का त्याग किया। यह PSA चमड़ा उद्योग से हमारे ग्रह को होने वाले नुकसान और सूअर, बकरी, भेड़, शुतुरमुर्ग, सांप, मगरमच्छ और कुत्ते जैसे जानवरों को पहुँचने वाले आजीवन दर्द, पीड़ा एवं उनकी क्रूर मौत के सच को उजागर करता है। इस वीडियो को दीपक आर्य द्वारा शूट किया गया है।
मियामी फैशन वीक 2004 की सर्वश्रेष्ठ डिजाइनर और राजीव गांधी उत्कृष्टता पुरस्कार विजेता रीना ढाका ने इस वीडियो में कहा, “मुझे फैशन पसंद है। मुझे जानवरों और इस ग्रह से भी प्यार है। और इसलिए मैं अपने डिजाइनों में चमड़े का उपयोग नहीं करती हूँ। यदि आप चमड़ा खरीदते हैं, तो याद रखें: आप किसी सजीव प्राणी की चमड़ी का उपयोग कर रहे हैं। वीगन चमड़े के बहुत से विकल्प बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हैं। कृपया दयालु बनें एवं जानवरों की चमड़ी उनसे न छीनें।”
गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार “जंगलों की तबाही सिर्फ मांस के लिए ही नहीं बल्कि विश्व भर में लैदर की बढ़ती मांग का भी एक कारण है”। एक गाय को मार कर उसका मांस बेचने से जितने पैसे मिलते हैं उस से कहीं ज्यादा उसकी खाल बेचने से मिलते हैं और यही एक बड़ा कारण है कि पशु पालन हेतु जगह बनाने के लिए इन जंगलों की कटाई की जा रही है। भारत में चमड़े हेतु प्रयोग किए जाने वाले जानवरों को परिवहन हेतु गाड़ियों में इस तरह से ठूस ठूसकर भरा जाता है कि रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं या दम घुटने से उनकी मौत हो जाती है। बूचड़खानों में जानवरों को बिना बेहोश किए कसाइयों द्वारा खुले में अन्य साथी जानवरों के सामने ही इनका गला काट दिया जाता है जबकि यहाँ का फ़र्श मारे जाने वाले जानवरों के खून, मल-मूत्र और कटे हुए शारीरिक अंगों के भरा रहता है।
PETA इंडिया और लैक्मे फैशन वीक की अपील के बाद, रीना ढाका सहित 32 अन्य प्रमुख भारतीय डिजाइनरों ने चमड़े का त्याग किया था। रीना “युवा रतन पुरस्कार” की विजेता रही हैं और उन्होंने पेरिस में Galeries Lafayette और जर्मनी में Inters Off नामक आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके कार्य का दुनियाभर में प्रदर्शन किया जाता है।