‘मां का दूध’ नामक डॉक्यूमेंट्री ने भारतीय डेयरी उद्योग की क्रूर वास्तविकता को उजागर किया गया
यदि आप PETA इंडिया को इंस्टाग्राम पर फॉलो करते हैं, तो आपने संभवत: आंखें खोल देने वाली डॉक्यूमेंट्री, मां का दूध, का एक अंश देखा होगा, जिसमें माननीय सांसद श्रीमती मेनका गांधी ने भारतीय डेयरी उद्योग की क्रूर वास्तविकता को उजागर किया है। वीडियो में, श्रीमती गांधी डेयरी उद्योग को “सभी क्रूरता की जड़” के रूप में संबोधित करती हैं और और बताती हैं कि डेयरी फार्मों में गायों और भैंसों को कितनी क्रूरता झेलनी पड़ती है। इन निर्दोष जानवरों के पास पूरे दिन अपने मल-मूत्र में खड़े रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और उनकी सभी शारीरिक गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती हैं जिससे उन्हे टी.बी, गठिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अंततः गोमांस के लिए मारे जाने से पहले उन्हें सूखा भूसा और गंदा चारा खिलाया जाता है।
डॉ. हर्ष आत्मकुरी की पूरी डॉक्यूमेंट्री नीचे देखें, जो अंग्रेजी, गुजराती और मराठी भाषाओं में भी उपलब्ध है।
आज डेयरी उद्योग में प्रयोग की जाने वाली ज़्यादातर गायों और भैसों को फ़ैक्टरी जैसे वातावरण में रखा जाता है और कृत्रिम ढंग (कार्मिकों द्वारा जबरन उनके गुदे में हाथ डाला जाता है और भैसों के वीर्य को गायों की योनि में डाला जाता है) से गर्भधारण कराया जाता है। अगर यह क्रूर व्यवहार किसी कुत्ते के साथ किया जाता तो इसे निश्चित ही बलात्कार की श्रेणी में रखा जाता और इस प्रक्रिया को व्यवस्थित ढंग से पूरा करने से पशुओं की पीड़ा में बिल्कुल कमी नहीं आती।
जन्म के तुरंत बाद बछड़ों को अपनी माताओं से अलग कर दिया जाता है जिससे उनके प्राकृतिक दूध को मनुष्यों को बेचा जा सके। आपने स्वयं अक्सर सड़क पर देखा होगा कि नर बछड़ों को भूखा मरने के लिए लावारिस छोड़ दिया जाता है क्योंकि वह डेयरी उद्योग के लिए दूध का उत्पादन नहीं कर सकते। इनमें से बहुत से नर बछड़ों को उनकी चमड़ी के लिए मौत के घाट उतार दिया जाता है जबकि मादा बछड़ों को अपनी माँ की तरह शोषणपूर्ण जीवन व्यतीत करने हेतु मज़बूर किया जाता है। इन्हें तब तब दूध देने के लिए मज़बूर किया जाता है जब तक इनका शरीर जवाब नहीं दे देता और इसके बाद इन्हें भी लावारिस छोड़ दिया जाता है या सस्ते मांस हेतु मौत के घाट उतार दिया जाता है।
इस डॉक्युमेंट्री में, श्रीमती गांधी ने सभी से डेयरी खरीदना बंद करने का आग्रह किया क्योंकि भारत में, डेयरी उद्योग ही गोमांस उद्योग का सबसे बड़ा अपूतिकर्ता है और ज़्यादातर पारिवारिक फ़ार्म अब बंद हो गए हैं। यही बात चमड़े के लिए भी लागू होती है। यदि आप गाय और भैंसों की परवाह करते हैं, तो इस डॉक्युमेंट्री को अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें।
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