केरल में लकड़ी के लट्ठे ढुलाई के लिए दुर्बल हाथी के साथ दुर्व्यवहार – PETA इंडिया ने बचाव के लिए मुख्यमंत्री से की अपील
लकड़ी के भारी भरकम लट्ठ ढोने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थेक्कुमकंदथिलु परमेश्वरन नाम के एक कमजोर हाथी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद, PETA इंडिया ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से इस मामले में हस्तक्षेप करने और वन विभाग को तुरंत जानवर को बचाने तथा पुनर्वास करने का निर्देश जारी करने का आग्रह किया है । वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि हाथी को भारी लट्ठ ढोने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री को भेजी गयी शिकायत में, PETA इंडिया ने पशु संरक्षण कानूनों के कई उल्लंघनों का हवाला दिया है जिसमे वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972; पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960; और केरल कैप्टिव हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2012 तथा कमजोर हाथी को रखने और उसका इस्तेमाल करने के संबंध में केंद्र सरकार के दिशानिर्देश का भी जिक्र किया है।
परमेश्वरन के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार भारत में भारी माल ढुलाई करने, भीख मांगने, हाथी सवारी, समारोह और अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाला किए जाने वाले हाथियों की दुर्दशा को उजागर करता है। इन हाथियों को अक्सर मार-पीट के द्वारा नियंत्रित किया जाता है, उन्हें अक्सर पशु चिकित्सा देखभाल या पर्याप्त पोषण से वंचित रखा जाता है। कई कई घंटों तक जंजीर में जकड़े रहने से इन हाथियों के पैर में दर्द होता है और घाव बन जाते हैं। वह आमतौर पर गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट से भए एपीड़ित रहते हैं और उसके लक्षण साफ दिखाई देते हैं जैसे सिर को गोल गोल हिलना, सिर पटकना, या फिर सिर को आगे पीछे की स्थिति में हिलाते रहना जबकि प्रकृतिक महोल में रहने वाले हाथियों में इस तरह का व्यवहार देखने को नहीं मिलता। निराशा व हताशा के शिकार यह कैदी हाथी आमतौर पर अपने महावतों या उनके आसपास के अन्य लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं या मार देते हैं। हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बंदी हाथियों ने 15 साल की अवधि में केरल में 526 लोगों को मार डाला।
जैसा कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के कई निरीक्षणों और PETA इंडिया की जांच से पता चला है, केरल सहित देश के अन्य राज्यों में भी बंदी बनाए गए अधिकांश हाथियों को अवैध रूप से रखा जा रहा है या बिना अनुमति के दूसरे राज्य में ले जाया गया है।
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