‘हर पशु का अपना एक अस्तित्व है’: PETA इंडिया ने ‘प्रजातिवाद के अंत को समर्पित विश्व दिवस’ के अवसर पर जनता को वीगन जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित किया

Posted on by Shreya Manocha

प्रजातिवाद के अंत को समर्पित विश्व दिवस (31 अगस्त) के अवसर पर, PETA इंडिया ने दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और पुणे के साथ-साथ चिकालिम (गोवा) में बिलबोर्ड लगवाकर लोगों से पशुओं से प्राप्त भोजन का त्याग करने का अनुरोध किया। इस बिलबोर्ड में मुर्गी, बकरे और मछ्ली को दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया कि, “हर पशु का अपना एक अस्तित्व है“ एवं प्रजातिवाद का विरोध किया गया है। यह एक ऐसी मानव वर्चस्ववादी विचारधारा है जिसमे मनुष्य इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य समस्त प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है।

PETA इंडिया उल्लेखित करता है कि भोजन हेतु मौत के घाट उतारे जाने वाले पशुओं को अत्यंत पीड़ा का सामना करना पड़ता है जैसा कि “Glass Walls” नामक बेहद चर्चित वीडियो में देखा जा सकता है जिसमें डेयरी उद्योग की वास्तविक क्रूरता का पर्दाफाश किया गया है। फ़ैक्टरी फ़ार्मों पर मुर्गियों को हज़ारों की संख्या में भीड़-भाड़ वाले शेडों में पैक किया जाता है, जहां उन्हें जमा कचरे के बीच अमोनिया की दुर्गंध में जबरन खड़ा होने के लिए बाध्य किया जाता है। उन्हें हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों और अन्य जानवरों को वाहनों में भरकर इतनी अधिक संख्या में बूचड़खानों में ले जाया जाता है कि कई जानवरों की हड्डियाँ टूट जाती हैं, दम घुट जाता है, या रास्ते में ही मृत्यु हो जाती हैं। बूचड़खानों में मजदूर अक्सर बकरियों, भेड़ों और अन्य जानवरों का गला कम धार वाले ब्लेडों से काट देते हैं। साथ ही, मछली पकड़ने वाली नौकाओं के डेक पर जीवित रहते हुए भी मछलियाँ का गला चीर दिया जाता हैं।

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