PETA इंडिया की शिकायत के बाद रूपनगर में अवैध ग्रेहाउंड रेस के खिलाफ FIR दर्ज की गई

Posted on by Erika Goyal

पंजाब स्थित रूपनगर के रोपड़ में 15 दिसंबर को होने वाली ग्रेहाउंड कुत्ते की अवैध दौड़ के बारे में जानकारी मिलने के बाद, PETA इंडिया ने तुरंत रूपनगर पुलिस को सतर्क किया। इस पूर्व सूचना और दौड़ को रोकने के लिए समन्वय के बावजूद, दौड़ योजना के अनुसार आयोजित की गई थी। इस अवैध आयोजन के बाद, PETA इंडिया ने एक शिकायत दर्ज की और मामले के खिलाफ़ कार्रवाही करी, जिसके परिणामस्वरूप अवैध दौड़ की मेजबानी, आयोजन और भाग लेने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।

शिकारी कुत्तों को इस प्रकार की अवैध दौड़ों के दौरान इतनी खतरनाक गति से दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है कि इससे उनके शरीर पर जबरदस्त दबाव पड़ता है, जिससे अक्सर यह पशु गंभीर रूप से चोटिल हो जाते हैं या इनकी मौत हो जाती है। जब दौड़ों हेतु इनका उपयोग नहीं किया जाता तो इन्हें आमतौर पर केनेल में कैद रखा जाता है और अपने ही मलमूत्र में खड़े रहने के लिए बाध्य किया जाता है। इन लड़ाइयों में जो कुत्ते हारते हैं उन्हें दौड़ के बाद और ज़्यादा क्रूरता का सामना करना पड़ता है जिसमें लावारिस छोड़ दिया जाना या मौत के घाट उतार दिए जाना शामिल है। जहां पशुओं को जबरन दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है और जुए को पशु कल्याण से ऊपर रखा जाता है, वहां पशुओं को लगने वाली गंभीर चोटें, थकावट और मनोवैज्ञानिक आघात बहुत आम हैं।

हाल ही में, PETA इंडिया ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ काम करते हुए कई स्थानों पर अवैध ग्रेहाउंड दौड़ को सफलतापूर्वक रोका जिसमें मनसा जिला, पंजाब (23 दिसंबर); लासोई गांव, मलेरकोटला, पंजाब (10 दिसंबर); विजयपुरा, कर्नाटक (12 दिसंबर); एसएएस नगर मोहाली, पंजाब (8 दिसंबर); श्री मुक्तसर साहिब, पंजाब (6 दिसम्बर); समराला गाँव, लुधियाना, पंजाब (30 नवंबर); चुंग गांव, तरनतारन, पंजाब (27 नवंबर); यमुनानगर, हरियाणा (25 नवंबर); और मोगा, पंजाब (24 नवंबर) शामिल है।

PETA इंडिया द्वारा अपने शिकायत पत्र में उल्लेखित किया गया कि ‘प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) नियम, 2001’ और ‘प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) संशोधन नियम, 2001’ के अंतर्गत, किसी भी पशु का भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI, पूर्व में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के नाम से संचालित) के पास पंजीकरण कराए बगैर प्रशिक्षण, प्रदर्शन या करतब हेतु प्रयोग पूरी तरह से गैर-कानूनी है। इस प्रकार की पशु दौड़ों का आयोजन ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ और ‘भारतीय न्याय संहिता, 2023’ का भी स्पष्ट उल्लंघन हैं जिसके अंतर्गत पशुओं को अनावश्यक दर्द एवं पीड़ा पहुँचाने पर रोक लगाई गयी है।

‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ के अंतर्गत पशुओं को अन्य पशुओं से लड़ने के लिए उकसाने को एक अपराध घोषित किया गया है। 7 मई 2014 के भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड बनाम ए नागराजा और अन्य (सिविल अपील संख्या 5387/2014) के ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पशु दौड़ जैसी गतिविधियां पशुओं की अवैध लड़ाई के दायरे में आती हैं क्योंकि यह पशुओं को एक-दूसरे से लड़ने के लिए उकसाने और उन्हें जानकर हानिकारक स्थितियों में डालने के समान है।

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