PETA इंडिया द्वारा शिकायत के बाद जंबो सर्कस के खिलाफ FIR दर्ज की गई
PETA इंडिया से शिकायत मिलने के बाद, बेंगलुरु में बेगुर पुलिस स्टेशन ने जंबो सर्कस के प्रशासकों के खिलाफ कुत्तों और घोड़ों को भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) द्वारा अपंजीकृत करतब करने हेतु मजबूर करने के लिए FIR दर्ज़ करी। AWBI पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत निर्धारित प्राधिकरण है, जो देश में प्रदर्शन के लिए जानवरों के उपयोग को नियंत्रित करता है। PETA इंडिया द्वारा पुलिस को सौंपे गए सबूतों में सभी कानूनी उल्लंघनों के सबूत पेश किए गए थे।
यह FIR PCA अधिनियम, 1960 की धारा 3, 11(1)(ए), 11(1)(बी), और 26 के तहत जानवरों को अपंजीकृत चालें करने के लिए मजबूर करने के खिलाफ़ दर्ज की गई है। FIR में भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 289 को भी शामिल किया गया है, जिसमें घोड़े की सवारी करते हुए स्टंट करते समय जानवरों की जान को ख़तरे में डालना, उन्हें जबरन दर्द एवं डर की अनुभूति कराना और घोड़ों को खुला छोड़कर सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने का उल्लेख किया गया है।
फरवरी में, PETA इंडिया द्वारा कुत्तों, पक्षियों, घोड़ों और ऊंटों के प्रति क्रूरता से संबंधित समान अपराधों और इसके प्रदर्शन करने वाले जानवरों के पंजीकरण प्रमाण पत्र के उल्लंघन हेतु शिकायत दर्ज़ कराने के बाद केरल के मवेलीकारा पुलिस द्वारा सर्कस के खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी। इसके आधार पर, AWBI ने जल्द ही जंबो सर्कस को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उसे यह बताने हेतु निर्देशित किया गया कि उसके प्रदर्शन करने वाले जानवरों के पंजीकरण प्रमाणपत्र को तुरंत निलंबित क्यों नहीं किया जाना चाहिए। नोटिस के बावजूद, जंबो सर्कस द्वारा अपने पंजीकरण प्रमाण पत्र का उल्लंघन करना और जानवरों का शोषण करना जारी रखा गया।
PETA इंडिया द्वारा की गयी जाँचों एवं भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा किए गए अनेकों निरीक्षणों में यह साबित हुआ है कि जानवरों का इस्तेमाल करने वाले सर्कस स्वाभाविक रूप से क्रूर होते हैं, वह जानवरों को जंजीरों में बांधकर लगातार गंदे एवं बदबूदार तंग पिंजरों में कैद रखते हैं, उन्हें पशु चिकित्सा देखभाल और पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय से वंचित कर उन सब चीजों से वंचित रखते हैं जो प्रकर्तिक रूप से उनके लिए जरूरी एवं स्वाभाविक हैं। उन्हें मारपीट एवं हथियारों के डर से भ्रामक, असुविधाजनक और दर्दनाक करतब करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन्ही यातनाओं एवं कष्ठभरे जीवन के चलते यह जानवर अत्यधिक तनाव और मानसिक रूप से पीड़ित होने के व्यवहार भी प्रदर्शित करते हैं।
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