PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद, अपने कुत्ते को सामुदायिक कुत्ते पर हमला करने देने वाले एक पिटबुल के अभिभावक के खिलाफ FIR दर्ज
छत्रपति संभाजीनगर में एक भयानक घटना सामने आई, जिसमें एक पिटबुल मालिक ने अपने कुत्ते के गले का पट्टा खुला छोड़ दिया जिसके बाद इस कुत्ते ने एक सामुदायिक कुत्ते पर गंभीर हमला कर दिया। इस मामले में, PETA इंडिया ने सूरज बागड़े नामक स्थानीय कार्यकर्ता और औरंगाबाद पेट लवर्स एसोसिएशन (APLA) से संबंधित बेरिल सांचिस की शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करते हुए जवाहर नगर पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर के साथ मिलकर कार्य किया और अपराधी के खिलाफ़ FIR दर्ज कराई। यह FIR पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(i) और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 325, 125, 291 और 336 के तहत दर्ज की गई है।
वीडियो में कैद हुई घटना से पता चलता है कि किसी सार्वजनिक स्थान पर पिटबुल ने एक सामुदायिक कुत्ते पर हमला कर दिया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। फ़ुटेज में पिटबुल को सामुदायिक कुत्ते को गले से पकड़ते और फिर अपने जबड़े में जकड़ कर उसे पटकते हुए देखा जा सकता है। इस सब के बीच इस पिटबुल का मालिक अपने कुत्ते को रोकने या इस सामुदायिक कुत्ते को बचाने की बजाय वह इस घटना को होते हुए देखते रहे। घटना में घायल सामुदायिक कुत्ते का फिलहाल इलाज चल रहा है लेकिन इसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
भारत में ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ के अंतर्गत कुत्तों को आपस में लड़ने के लिए उकसाना गैर-कानूनी है जिसके बावजूद कुत्तों की अवैध लड़ाइयों के लिए मुख्य रूप से पिटबुल और इसी तरह की विदेशी प्रजाति के कुत्तों का उपयोग किया जाता है। इस कानून का उचित अनुपालन सुनिश्चित न होने के कारण, देश के कई हिस्सों में कुत्तों की अवैध लड़ाइयों का आयोजन किया जाता है, जिस कारण पिटबुल और इसके जैसी अन्य प्रजातियों के कुत्तों को सबसे अधिक शोषण का सामना करना पड़ता है। अवैध लड़ाइयों के लिए प्रयोग होने वाले कुत्तों को आमतौर पर हमलावर कुत्तों के रूप में भारी जंजीरों में कैद रखा जाता है, जिस कारण यह पशु अपनी रक्षा करने की कोशिश में और भी आक्रामक हो जाते हैं और जीवनभर मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा का शिकार होते हैं। इनमें से कई कुत्तों के प्राकृतिक शारीरिक लक्षणों के साथ अवैध छेड़छाड़ करी जाती है जैसे कि इनके कान और पुंछ काटना जिससे लड़ाइयों के दौरान प्रतियोगी कुत्ता उन्हें पकड़कर हरा न दे। इन कुत्तों को तब तक लड़ते रहने के लिए बाध्य किया जाता है जब तक कि यह पूरी तरह से थक न जाएं या इनमें से कोई एक गंभीर रूप से घायल न हो जाए या मर न जाए। चूँकि कुत्तों की लड़ाई गैरकानूनी है, इसलिए घायल कुत्तों को पशु चिकित्सकों के पास भी नहीं ले जाया जाता है।
राज्य में ऐसे कुत्तों की नसबंदी और पंजीकरण को अनिवार्य बनाकर और एक निर्धारित अवधि के बाद इनके प्रजनन, पालन और बिक्री पर रोक लगाकर इन पर अंकुश लगाया जा सकता है। PETA इंडिया पालतू पशुओं की अवैध दुकानों और ब्रीडर्स को बंध कराने और कुत्तों की अवैध लड़ाइयों पर रोक लगवाने के लिए भी अभियान चला रहा है।
पशुओं पर क्रूरता की रिपोर्ट कैसे करें