कुत्ते के कान काटने संबंधी मामले में पहली बार FIR दर्ज
एक स्थानीय पशु अधिकार कार्यकर्ता की मदद एवं PETA इंडिया की पहल पर मुंबई के पूर्वी बोरीवली में कस्तूरबा मार्ग पुलिस स्टेशन में एक अभियुक्त जो खुद को “साँपो का बचावकर्ता” कहता है, के खिलाफ FIR दर्ज कराई गयी है। अभियुक्त एवं उसके दो साथी एक अमेरिकन कुत्ते के बच्चे के कानों की छटाई करके उसे बेचने का प्रयास कर रहे थे जो की “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (कुत्तों का प्रजनन एवं बाज़ारीकरण) नियम, 2017” तथा “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (पालतू पशु) नियम, 2018” का उलंघन है। कुत्ते के जिस बच्चे के कान काटे गए वह 2 माह से भी कम उम्र का है, नस्ल के अनुसार उसका वजन बेहद कम है, उसके कानों की छटाई की गयी है व अस्वस्थ स्थितियों में रखे जाने के कारण उसकी त्वचा में सूजन एवं संक्रमण भी पाया गया है।
मुख्य अभियुक्त जिसका नाम “करण पारकर” है, ने इस छोटे अमेरिकन कुत्ते को बेचने का वीडियो वाट्सअप ग्रुप में पोस्ट किया था। बोरिवली के ही एक पशु अधिकार कार्यकर्ता “वैशाली चव्हाण” ने यह पोस्ट देखी व PETA के आपातकालीन दल को इसकी सूचना दी। PETA ने बिना किसी देरी के तत्काल रूप से कार्यवाही करते हुए पशु अधिकार कार्यकर्ता एवं बोरिवली पुलिस की मदद से “करण पारकर” की पहचान कर उसके खिलाफ FIR दर्ज कराई। मुख्य अभियुक्त करण पारकर सहित उसके दो अन्य नामजद साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 34 एवं 429 तथा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 3, 11 (1) (a), (I) एवं 38 (3) के तहत मामला दर्ज किया गया है। बिक्री के लिए इस्तेमाल होने वाले अमेरिकन कुत्ते को जब्त कर पशु अधिकारी कार्यकर्ता को सुपुर्द किया गया है जिसे अभी चिकित्सीय देखभाल हेतु भेजा गया है।
इससे पहले PETA इंडिया ने बहुत सी भारतीय पशु चिकित्सा नियामक संस्थाओं को पत्र भेजकर 2017 एवं 2018 नियमों के अनुसार कुत्तों के कान एवं पूंछ की कटाई रोकने पर लगे प्रतिबंध को सख्ती से लागू किए जाने का अनुरोध किया था। जिन संस्थानों को यह पत्र भेजे गए उनमे भारतीय पशु चिकित्सा परिषद, राज्य पशु चिकित्सा परिषद, राज्य एवं केंद्रीय पशु पालन विभाग, पशु चिकित्सा कॉलेज एवं विश्वविद्यालय, पशु चिकित्सक संघ, भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत गठित वैधानिक निकाय) शामिल थे। “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (कुत्तों का प्रजनन एवं बाज़ारीकरण) नियम, 2017” तथा “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (पालतू पशु) नियम, 2018” का संज्ञान लेते हुए इस वर्ष जुलाई माह के दौरान मद्रास उच्च न्यायालय ने कुत्तों की पूंछ एवं कान काटने पर प्रतिबंध लगाया दिया था।
जब किसी पशु चिकित्सक द्वारा सतर्कता से व बेहोशी की दवा का इस्तेमाल करने बाद कुत्तों के कान की छटाई (या कान के किसी एक हिस्से को काटना) की जाती है तो भी वो दर्द एवं मनोवैज्ञानिक आघात का कारण बनता है और संक्रमित घाव जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकता है। कुत्तों के कान को काट कर बार बार उनपर टेप लगाकर उनके एक खास प्रकार के आकार देने कि कोशिश कि जाती है जिससे कुत्तों को तकलीफ होती है। कुछ ब्रीडरों ने ऐसे मामलों को अपने हाथों में ले लिया है और बिना किसी बेहोशी एवं दर्द कि दावा के कुत्तों के कान एवं पुंछ को कैंची अथवा ब्लेड से काट देते हैं। यहाँ तक कि बहुत से पशु चिकित्सक भी बिना किसी दर्द निवारक दावा का इस्तेमाल किए बिना पुंछ एवं कान काटने का काम कर रहे हैं। एक विकल्प्स के रूप में ब्रीडर अक्सर रक्त आपूर्ति को काटने के लिए एक छल्ले का इस्तेमाल करते हैं ताकि यह स्वतः ही गिर जाए।
जो लोग इन प्रक्रियाओं को करते हैं वो इस बात कि अहवेलना करते हैं कि शरीर के ये अंग कुत्तों के लिए कितने आवश्यक हैं, वे अपनी पुंछ का इस्तेमाल अपने शरीर का संतुलन बनाने एवं अपने मालिक व अन्य कुत्तों के साथ संवाद करने के लिए करते हैं।